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झारखंड : डॉ रामदयाल मुंडा पर बनी फिल्म नाची से बांची को भी मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

विनोद खन्ना को दादा साहेब, श्रीदेवी बेस्ट एक्ट्रेस, न्यूटन बेस्ट फिल्म रांची : झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंटरी फिल्म ‘नाची से बांची’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. इसका निर्माण फिल्म्स डिवीजन ने कराया है. बेस्ट बॉयोग्राफिकल हिस्टोरिकल रिकंस्ट्रक्शन श्रेणी में फिल्म को यह सम्मान मिला है. यह फिल्म मेघनाथ, बीजू टोप्पो, […]

विनोद खन्ना को दादा साहेब, श्रीदेवी बेस्ट एक्ट्रेस, न्यूटन बेस्ट फिल्म
रांची : झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंटरी फिल्म ‘नाची से बांची’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. इसका निर्माण फिल्म्स डिवीजन ने कराया है.
बेस्ट बॉयोग्राफिकल हिस्टोरिकल रिकंस्ट्रक्शन श्रेणी में फिल्म को यह सम्मान मिला है. यह फिल्म मेघनाथ, बीजू टोप्पो, गुंजल इकिर मुंडा और रूपेश कुमार साहू के सम्मिलित प्रयास का परिणाम है. यह फिल्म प्रो रामदयाल मुंडा के जीवन और उनके योगदान पर आधारित है.
फिल्म फेस्टिवल में ‘नाची से बांची’ को झारखंड की आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के प्रयासों के लिए सम्मान मिला.
फिल्म में क्या : फिल्म में रामदयाल मुंडा के जीवन को दिखाया गया है. कैसे वह देवड़ी जैसे छोटे जगह से निकल कर अपनी प्रतिभा के दम पर पढ़ाई करने अमेरिका तक पहुंचते हैं.
बारी-बारी से मांदर और बांसुरी बजाते नजर आये डॉ मुंडा के नजरिये से आदिवासी समाज और संस्कृति के गहरी मूल्यों तक जाने की कोशिश की गयी है. यह फिल्म एक व्यक्ति की जीवन यात्रा, उसकी वैश्विक दुनिया से जुड़ाव और फिर वापस अपनी माटी से प्यार को दर्शाता है. कैसे एक शख्स अपनी संस्कृति को समर्पित है.
फिल्म को मिल चुके हैं कई अवार्ड
जज च्वाइस अवार्ड, सातवां अंतरराष्ट्रीय फोक म्यूजिक फिल्म फेस्टिवल काठमांडू 2017
स्पेशल ज्यूरी मेंशन, 15वां मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2018
फिल्म को स्कूल, कॉलेज तक पहुंचाना चाहिए
बोले मेघनाथ
फिल्मकार मेघनाथ ने कहा : अच्छा लगता है, जब आपकी मेहनत को पहचान मिलती है. लेकिन मेरे लिए तब और ज्यादा होगी, जब इस फिल्म को आम लोगों तक, स्कूल, कॉलेज के बच्चों तक पहुंचायी जायेगी.
नाची से बांची जैसी फिल्में बच्चों को जरूर दिखानी चाहिए, ताकि झारखंड को नया रामदयाल मुंडा मिले. अवार्ड मिला है इसकी खुशी है. अच्छा लगता है, जब आपकी फिल्म से एक भी व्यक्ति प्रभावित होता है, कुछ सीखता है. एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया : कुछ दिन पहले मैं सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया था. वहां मुझे एक प्रोफेसर मिले, जिन्होंने कहा कि मैं आपकी फिल्म देख कर ही प्रोत्साहित हुआ था.
आर्यभट्ट सभागार में उस वक्त मेरी फिल्म के प्रसारण हुआ था. उन्होंने फिल्म के बाद अपनी एक कल्चरल टीम बनायी और काम करने लगे.
अंडमान पलायन पर फिल्म बनाना चाहता हूं
मेघनाथ कहते हैं : झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. मैं अंडमान पलायन के 100 साल पर फिल्म बनाना चाहता हूं. कई लोगों से मदद मांग रहा हूं. सरकार को भी चिट्ठी लिख कर अपनी मंशा जतायी कि मेरी चिट्ठी किसी कूड़े के डिब्बे में पड़ी है. सरकार मदद नहीं कर रही. झारखंड की बातें, यहां के महापुरुषों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. यह छोटी बात नहीं है. अगर इसे आगे ले जाना है, तो सरकार को भी हाथ बढ़ाना चाहिए.

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