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झारखंड में 212 ट्रांसजेंडर मतदाता, मतदान भी करेंगे, जानें कुछ तथ्य

सुनील चौधरी संख्या अधिक होने का अनुमान पर कम लोगों का है वोटर लिस्ट में नाम झारखंड में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 307 थी, लेकिन पिछले साल हुए मतदाता पुनरीक्षण में कई केनाम हटे रांची : झारखंड में ट्रांसजेंडर के 212 मतदाता हैं. जो इस बार भी मतदान में हिस्सा लेंगे. निर्वाचन आयोग द्वारा 14 […]

सुनील चौधरी
  • संख्या अधिक होने का अनुमान पर कम लोगों का है वोटर लिस्ट में नाम
  • झारखंड में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 307 थी, लेकिन पिछले साल हुए मतदाता पुनरीक्षण में कई केनाम हटे
रांची : झारखंड में ट्रांसजेंडर के 212 मतदाता हैं. जो इस बार भी मतदान में हिस्सा लेंगे. निर्वाचन आयोग द्वारा 14 मार्च की सूची तैयार हो गयी है. इसमें राज्यभर में कुल मतदाता दो करोड़ 21 लाख दो लाख 734 मतदाता हैं.
इसमें पुरूष मतदाता एक करोड़ 15 लाख 67 हजार 479 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या एक करोड़ पांच लाख 34 हजार 607 मतदाता हैं. इनके अलावा राज्यभर में ट्रांस जेंडर मतदाताओं की संख्या केवल 212 है. हालांकि जब निर्वाचन अायोग द्वारा एक जनवरी 2019 को फाइनल सूची प्रकाशित की गयी थी, तब ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 307 थी. मतदाता पुनरीक्षण में कई के नाम हटे हैं. इनकी संख्या घट कर 212 हो गयी है.
सबसे अधिक ट्रांसजेंडर मतदाता पूर्वी सिंहभूम में
राज्यभर में सबसे अधिक ट्रांसजेंडर मतदाता पूर्वी सिंहभूम में है. यहां कुल 53 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. जो कुल ट्रांसजेंडर मतदाता का 25 फीसदी है.
रांची में इनकी संख्या 43 है. साहेबगंज में छह, दुमका में चार, गोड्डा में छह, कोडरमा में तीन, हजारीबाग में 10, रामगढ़ में एक, चतरा में एक, गिरिडीह में 13, बोकारो में 23, धनबाद में 19, सरायकेला-खरसावां में आठ, प. सिंहभूम में छह, खूंटी में एक, गुमला में छह, लोहरदगा में पांच और लातेहार में चार ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.
छह जिलों में एक भी ट्रांसजेंडर मतदाता नहीं
निर्वाचन आयोग की सूची के अनुसार राज्य के छह जिलों में एक भी ट्रांसजेंडर मतदाता नहीं है. पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, सिमडेगा, पलामू और गढ़वा में एक भी ट्रांसजेंडर मतदाता नहीं है.
संख्या ज्यादा पर मतदाता कम
जानकार बताते हैं कि राज्य में ट्रांसजेंडर की संख्या ज्यादा है. पर मतदाता सूची में इनका नाम नहीं है. हालांकि ट्रांसजेंडर मतदाता पूरे देश में मतदान के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अपने अस्तित्व के लिए ये लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं. हालांकि झारखंड में कोई जनप्रतिनिधि इनकी तरफ से चुनाव नहीं लड़ता. वहीं देश के दूसरे हिस्से में इस वर्ग से जुड़ा दिलचस्प तथ्य यह भी है कि आम लोग इन्हें वोट देकर विजयी भी बनाते रहे हैं.
ट्रांसजेंडर से जुड़े कुछ तथ्य
1998 में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी विधायक बनीं.
2004 में चित्तौड़गढ़ में निर्दलीय पार्षद बनीं ममता बाई को लोगों ने इतना पसंद किया कि 2009 में उन्हें बेगूं का नगरपालिका चेयरमैन बना दिया. 2013 में वे एनपीपी के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ीं.
2015 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में मधु किन्नर महापौर पद पर जीती हैं. 2003 में तो देश में जेजेपी अर्थात जीती जिताई पार्टी नाम से किन्नरों का राजनीतिक दल भी बन चुका है.
2005 में शबनम मौसी के नाम से बॉलीवुड में फिल्म भी बनी थी.
सर्वोच्च न्यायालय किन्नरों के अलग पहचान का आदेश दे चुका है.
2012 में चुनाव आयोग ने किया ट्रांसजेंडर या अन्य वोटर्स को पहचान दिलाने के लिए अलग कॉलम का प्रावधान.

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