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दलबदल मामला : चार वर्ष सुनवाई, 97 तिथियां, 65 से ज्यादा गवाह, विधायकों ने ली राहत की सांस

स्पीकर का आया फैसला. झाविमो से भाजपा जानेवाले छह विधायकों ने राहत की सांस ली रांची : झाविमो से भाजपा जानेवाले छह विधायकों ने राहत की सांस ली है. चार वर्षों तक चले दलबदल के मामले में स्पीकर दिनेश उरांव ने बुधवार को फैसला सुना दिया. 12 दिसंबर 2018 को अंतिम सुनवाई की थी और […]

स्पीकर का आया फैसला. झाविमो से भाजपा जानेवाले छह विधायकों ने राहत की सांस ली
रांची : झाविमो से भाजपा जानेवाले छह विधायकों ने राहत की सांस ली है. चार वर्षों तक चले दलबदल के मामले में स्पीकर दिनेश उरांव ने बुधवार को फैसला सुना दिया. 12 दिसंबर 2018 को अंतिम सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रखा था. फैसला सुरक्षित रखने के दो महीने आठ दिनों के अंदर स्पीकर श्री उरांव ने फैसला सुना दिया.
इस फैसले को लेकर राजनीति गलियारे में निगाहें स्पीकर पर टिकी थी. 25 फरवरी 2015 को स्पीकर ने सारे पक्षों को सुनने के बाद वादी पक्ष (बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव ) की याचिका को स्वीकार करते हुए छह विधायकों के खिलाफ दलबदल के मामले की सुनवाई शुरू की.
स्पीकर श्री उरांव के न्यायाधिकरण की ओर से 97 तिथियां दी गयी. कई बार अपरिहार्य कारणों से बहस नहीं हुई पायी. लेकिन 60 से अधिक दिन बहस हुई. इस पूरी सुनवाई में 86 से अधिक गवाह दोनों पक्षों की आेर से दिये गये थे.
स्पीकर ने प्रतिवादी पक्ष के कई गवाहों को निरस्त भी किया. 65 से अधिक लोगों ने स्पीकर के न्यायाधिकरण में गवाही दी. वादी पक्ष यानी बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव की ओर से यही दलील दी गयी कि सभी छह विधायक पार्टी छोड़ कर गये हैं.
कहीं, कोई विलय नहीं हुआ है. विधायकों पर दलबदल का मामला चले. वहीं, प्रतिवादी पक्ष यानी छह विधायकों की ओर से कहा गया कि पार्टी का विलय हुआ है. पदाधिकारी भी भाजपा में शामिल हुए. पूरी सुनवाई की प्रक्रिया में राजधानी का दलादली एक महत्वपूर्ण नाम था. विधायकों का कहना था कि नौ फरवरी 2015 को दलादली में बैठक हुई थी और इसमें झाविमो का भाजपा में विलय का निर्णय हुआ था.
प्रतिवादी पक्ष की ओर से हर गवाह यह बात दुहराता रहा कि दलादली की बैठक में सभी पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि भाजपा में शामिल हों. इधर, वादी पक्ष यानी बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव की ओर से ऐसी बैठक को खारिज किया गया. पूरी सुनवाई में दलादली गूंजता रहा.
बाबूलाल-प्रदीप सहित सभी विधायकों की गवाही हुई, क्षेत्र को लोगों ने भी दी गवाही
स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में वादी पक्ष की ओर से बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव गवाही देने पहुंचे थे. इस मामले में सभी छह विधायकों की गवाही हुई थी. इसके साथ कई जिलाध्यक्ष और केंद्रीय पदाधिकारी की गवाही हुई. भाजपा के प्रदेश के नेता भी गवाही देने पहुंचे थे. विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र के लोगों से भी गवाही दिलायी.
कैसे चली पूरी प्रक्रिया
9 फरवरी 2015. झाविमो के बागी विधायकों ने स्पीकर को पत्र लिख कर अलग बैठने की मांग की
10 फरवरी 2015. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने पत्र लिख कर चार विधायकों के दलबदल करने के मामले में कार्रवाई की मांग की
11 फरवरी 2015. दूसरे दिन झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने दो और विधायकों पर दल बदल के तहत कार्रवाई की मांग की
12 फरवरी 2015 . स्पीकर ने झाविमो नेताओं को पक्ष रखने के लिए बुलाया
25 मार्च 2015 . याचिक को सुनवाई योग्य मानने को लेकर बहस शुरू हुई
12 दिसंबर 2018. दल बदल पर स्पीकर के न्यायाधिकरण में आखिरी सुनवाई हुई
20 फरवरी 2019 . स्पीकर दिनेश उरांव ने फैसला सुनाया
फैसले में क्या कहा स्पीकर दिनेश उरांव ने
दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने हेतु पूर्ण समय दिया, ताकि किसी पक्ष का तथ्य न्यायाधिकरण के समक्ष रखने में कमी न रह जाये. सारी सुनवाई खुली इजलास में हुई. मैंने सुनवाई के उपरांत 12 दिसंबर 2018 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज मैं अपना निर्णय सुना रहा हूं और इसकी कॉपी वादी और प्रतिवादी को जल्द से जल्द उपलब्ध करा दूंगा.
सभी तथ्यों और संवैधानिक प्रावधानों पर सम्यक विचार के बाद 12 फरवरी 2015 के आदेश के क्रमांक एक के तहत 10 वीं अनुसूची के पारा चार (2) के अधीन प्रथम दृष्टया विलय की शर्तों को पूरा करने के कारण इस मामले में विलय की सहमति प्रदान की गयी थी. उस विलय को वैध मानते हुए विलय की सहमति प्रदान करता हूं.
वादी बाबूलाल मरांडी (केंद्रीय अध्यक्ष, झारखंड विकास मोर्चा) के नौ फरवरी 2015, 10 फरवरी 2015 और 11 फरवरी 2015 के आवेदन और विधायक प्रदीप यादव के 25 मार्च 2015 के आवेदन, जिसके द्वारा उन्होंने जेवीएम (प्रजातांत्रिक) के चुनाव चिह्न से निर्वाचित छह सदस्यों नवीन जायसवाल, गणेश गंझू, अमर बाउरी, आलोक चौरसिया, रणधीर कुमार सिंह और जानकी प्रसाद यादव को पार्टी विरोधी गतिविधि एवं आचरण के आधार पर दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत झारखंड विधानसभा की सदस्यता को रद्द करने का अनुरोध किया गया था, सम्यक विचारों के उपरांत अमान्य करता हूं. इन याचिकाओं को निष्पादित घोषित करता हूं. धन्यवाद.
चुनाव जीतने के बाद ही भाजपा में शामिल हो गये थे विधायक
दो विधायकों को मिला मंत्री पद, तीन के हिस्से में बोर्ड-निगम, नवीन काे कुछ नहीं मिला
रांची : विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने जिन छह विधायकों पर बुधवार को फैसला सुनाया, ये सभी वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव झाविमो के टिकट पर जीत कर आये थे.
बाद में सभी छह विधायक फरवरी 2015 में भाजपा में शामिल हो गये थे.नौ फरवरी 2015 को इन्होंने स्पीकर को लिख कर दिया था कि हम सभी भाजपा में शामिल हो गये हैं, हमें अलग सीट सत्ता पक्ष के साथ दी जाये.इन विधायकों में हटिया से नवीन जायसवाल, चंदनकियारी से अमर कुमार बाउरी, सिमरिया से गणेश गंझू , डालटनगंज से आलोक कुमार चौरसिया, सारठ से रणधीर सिंह और बरकट्ठा से जानकी यादव शामिल हैं.
वहीं झाविमो ने इनके सत्ता पक्ष में विलय को चुनौती दी. झाविमो का तर्क था कि विधायक अपने फायदे की वजह से दल-बदल कर गलत तरीके से भाजपा में शामिल हुए हैं. 2015 में इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी.
न मंत्री पद मिला और न कोई बोर्ड-निगम
छह विधायकाें के विलय में अहम भूमिका निभानेवाले झाविमो नवीन जायसवाल काे कुछ भी नहीं मिला, जबकि छह विधायकों में से दो को मंत्री पद मिला और तीन को बोर्ड निगम में जगह मिली. नवीन जायसवाल ने ही सभी छह विधायकाेंकाे एकजुट िकया था आैर भाजपा में शामिल कराया था.
अमर बाउरी : अमर बाउरी ने 2014 में पहली बार झाविमो के टिकट पर चंदनकियारी से विधानसभा चुनाव जीता. इससे पहले 2009 में भी झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन आजसू पार्टी से हार गये थे. 2014 में उन्होंने पूर्व मंत्री आजसू नेता उमाकांत रजक को हराया. भाजपा में शामिल होने के बाद सरकार में उन्हें भूमि सुधार राजस्व मंत्री बनाया गया.
रणधीर सिंह : रणधीर सिंह सरकार में कृषि मंत्री हैं. 2014 में पहली दफा झाविमो के टिकट पर सारठ विधानसभा से चुनाव जीते. इससे पहले 2009 के चुनाव में वह सारठ विधानसभा क्षेत्र से लोकतांत्रिक समता दल से चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में झामुमो के शशांक शेखर भोक्ता को जीत मिली थी.
नवीन जायसवाल : नवीन जायसवाल ने आजसू पार्टी से राजनीति की शुरुआत की. वर्ष 2009 में हटिया विधानसभा चुनाव में उन्होंने आजसू से टिकट लेकर चुनाव लड़ा था. तब तीसरे नंबर पर थे.
कांग्रेस के विधायक गोपाल शरण नाथ शाहदेव के निधन के बाद हटिया की रिक्त सीट पर 2012 में हुए उपचुनाव में नवीन जायसवाल ने आजसू पार्टी के टिकट पर ही चुनाव जीता. हालांकि 2014 में हटिया सीट गठबंधन के तहत भाजपा के खाते में चल गयी. जिसके बाद बागी होकर नवीन जायसवाल ने झाविमो का दामन थामा और चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा की सीमा शर्मा को हरा कर दोबारा इस सीट पर जीत हासिल की. चुनाव जीतने के बाद झाविमो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये.इन्हें सरकार में कोई पद नहीं मिला.
जानकी यादव : बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र से जानकी यादव विधायक हैं. वर्ष 2005 के चुनाव में वह राजद के टिकट से चुनाव लड़े थे, पर हार गये थे. 2009 के चुनाव में भी वह झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े और वह दूसरे नंबर थे. 2014 में झाविमो ने जानकी यादव को फिर चुनाव लड़ाया. इस बार वह जीतने में सफल हुए. पर, जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गये. सरकार में जानकी यादव को आवास बोर्ड के अध्यक्ष का पद मिला.
गणेश गंझू : सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से गणेश गंझू 2014 में झाविमो के टिकट से चुनाव लड़े और पहली बार जीत हासिल की. लेकिन वह भी भाजपा में शामिल हो गये. बाद में सरकार ने गणेश गंझू को मार्केटिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया. 2009 में गणेश गंझू झामुमो के टिकट से चुनाव लड़े थे और वह दूसरे नंबर पर थे.
आलोक चौरसिया : आलोक चौरसिया भी पहली बार डालटनगंज विधानसभा सीट से झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतनेवालों में शामिल हैं. 2014 में उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को हराया था. हालांकि जीत के बाद वह भी भाजपा में शामिल हो गये. सरकार ने आलोक चौरसिया को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया.
स्पीकर के फैसले पर विधायकों ने जताया हर्ष
रांची : स्पीकर के फैसले के बाद झाविमो से भाजपा में शामिल हुए विधायकों ने हर्ष जताया है. इन विधायकों को हमेशा सदस्यता को लेकर चिंता सताती रहती थी. अब जब स्पीकर का अंतिम निर्णय आ गया है, तो विधायक एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं. वहीं एक विधायक जानकी यादव ने झाविमो की वैधता पर सवाल उठाते हुए पार्टी का सिंबल रद्द करने की मांग की है.
सत्य की जीत हुई है
2015 में स्थिर सरकार के लिए झाविमो के कुछ विधायकों और पार्टी के सदस्यों ने मर्जर करने का निर्णय लिया था. इस पर आज न्यायाधिकरण की मुहर लग गयी है. हम लोगों ने स्थिर सरकार के लिए यह निर्णय लिया था. पूर्व में स्थिर सरकार नहीं होने के कारण विकास का काम प्रभावित होता था. स्थिर सरकार होने के कारण राज्य में विकास भी हुआ है. विधायकों ने भी जनता का काम कराया. विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से सत्य की जीत हुई है.
नवीन जायसवाल, विधायक, हटिया
फैसले से लोकतंत्र की जीत हुई है
यह फैसला आने से लोकतंत्र की जीत हुई है. इस मामले में हम लोग सही थे. इस कारण सही निर्णय आया है. हम लोगों ने विकास के लिए यह निर्णय लिया था. आगे भी क्षेत्र की जनता के विकास के लिए ठोस निर्णय लेते रहेंगे. विकास के काम को और तेज करेंगे.
आलोक चौरसिया, विधायक, डालटेनगंज
झाविमो का सिंबल रद्द किया जाये
दल बदल मामले में स्पीकर का फैसला नियम व विधिसम्मत है. इस फैसले से लोकतंत्र की जीत हुई है. मेरी अध्यक्षता में झाविमो की बैठक हुई थी. इसमें सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद झाविमो का विलय भाजपा में किया गया था. इस प्रक्रिया में 10वीं अनुसूची के नियमों का पालन हुआ है. उस वक्त दो तिहाई विधायकों का विलय भाजपा में हुआ था. अब स्पीकर ने भी अपने फैसले में विलय को सही ठहराया है. ऐसे में चुनाव आयोग से झाविमो का सिंबल रद्द करने की मांग की जायेगी.
जानकी यादव, विधायक, बरकट्ठा
प्रक्रिया जायज थी : रणधीर सिंह
रांची. मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि भाजपा में झाविमो के विलय की प्रक्रिया जायज थी. हम लोगों ने विधि सम्मत काम किया था. इसकी पुष्टि माननीय विधानसभा अध्यक्ष के न्यायालय ने की है. हम लोगों ने क्षेत्र और राज्य के विकास के लिए निर्णय लिया था. स्पीकर के इस फैसले से सत्य की जीत हुई है.
प्रक्रिया की जीत हुई : गिलुवा
रांची : प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दल-बदल मामले में दिये गये निर्णय का स्वागत किया है. प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा है कि न्यायाधिकरण ने दोनों पक्षों के साक्ष्यों, गवाहों के बयानों तथा तथ्यों के आधार पर फैसला सुनाया है. यह फैसला न्याय और न्यायिक प्रक्रिया की जीत है.
फैसला सुनाया और फिर अपने कक्ष में चले गये स्पीकर
रांची : स्पीकर दिनेश उरांव फैसला सुनाने के बाद सीधे अपने विधानसभा के कक्ष में चले गये़ वहां अकेले बैठे रहे़ उनके कक्ष में जाने की मनाही थी़ स्पीकर कक्ष के बाहर उनके क्षेत्र के कुछ लोग इंतजार कर रहे थे़ कुछ देर के बाद क्षेत्र से आये लोगों को मिलने के लिए बुलाया़ उनकी बातें सुनी़ थोड़ी देर के बाद वह अपने आवास की ओर निकल गये़
स्पीकर के फैसले से राजनीतिक अटकलों पर लगा विराम
रांची : झाविमो के छह विधायकों के भाजपा में विलय को लेकर राजनीतिक दलों की नजरें स्पीकर दिनेश उरांव पर टिकी हुई थी. फैसले को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगायी जा रही थी. विधायकों की सदस्यता रद्द होने की स्थिति में राजनीतिक उथल-पुथल के भी कयास लगाये जा रहे थे.
हालांकि, छह विधायकों की सदस्यता रद्द होने पर भी सरकार पर कोई संकट नहीं आ रहा था. क्योंकि छह विधायकों की सदस्यता रद्द भी हो जाती तो विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत रहती. फिलहाल विधानसभा में भाजपा के 43 विधायक हैं.
हालांकि दलबदल मामले में स्पीकर की ओर से झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल की याचिका को खारिज करने के बाद से सारी अटकलों पर विराम लग गया. स्पीकर ने विलय को सही ठहराया है. फैसला सुनाने को लेकर स्पीकर निर्धारित समय 3.30 बजे विधानसभा के न्यायाधिकरण कक्ष में पहुंचे. पांच मिनट में उन्होंने अपना फैसला सुनाया. इस दौरान न्यायाधिकरण कक्ष खचाखच भरा हुआ था.
पहले से ही मौजूद थे राजनीतिक दल के नेता, कार्यकर्ता
दलबदल मामले में फैसले को लेकर पहले से ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता विधानसभा पहुंच गये थे. स्पीकर का फैसला आने पर जहां भाजपा कार्यकर्ता में खुशी की लहर थी, वहीं दूसरी तरफ झाविमो के कार्यकर्ता निराश दिखे. झाविमो के महासचिव खालिद खलील ने कहा कि इस फैसले से लोकतंत्र की हत्या हुई है. झाविमो कार्यकर्ता इसको लेकर लड़ाई जारी रखेंगे. हाइकोर्ट में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी जायेगी
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झाविमो ने निकाला विरोध मार्च, विपक्ष ने पक्षपातपूर्ण बताया
रांची : दलबदल मामले में स्पीकर द्वारा बागी विधायकों के पक्ष में फैसला सुनाये जाने के विरोध में झाविमो रांची महानगर एवं ग्रामीण द्वारा विधानसभा के मुख्य द्वार से बिरसा चौक तक विरोध मार्च निकाला गया. विरोध सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के केंद्रीय सचिव राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि मामले की सुनवाई 12 फरवरी 2015 से चल रही थी. तब से अब तक 64 बार इसकी सुनवाई हुई.
लेकिन आखिरकार भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या कर न्याय व्यवस्था को शर्मसार कर दिया. महानगर अध्यक्ष सुनील गुप्ता ने कहा कि संविधान विरोधी यह सरकार दिल्ली से रिमोट से चलती है. जल्द ही हम इस मामले को लेकर जनता की अदालत में जायेंगे. मौके पर प्रभुदयाल बड़ाइक, जितेंद्र वर्मा, अजय कच्छप, बलकू उरांव, शिव शर्मा, पंकज पांडेय, सुरेश शर्मा, शरीफ शर्मा, संजय टोप्पो, सुचिता सिंह, रुपचंद केवट, राम मनोज साहू, शिवा कच्छप, नजीबुल्लाह खान आदि उपस्थित थे.
विधायकों का विलय अनैतिक था : झामुमो
रांची : झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि स्पीकर ने झाविमो विधायकों का भाजपा में विलय को सही ठहराया है. भाजपा ने झाविमो विधायकों का विलय करा कर अनैतिक काम किया था. 10वीं अनुसूची का मामला जब हाइकोर्ट जायेगा, तो कोर्ट संज्ञान लेते हुए अपना फैसला सुनायेगा. हरियाणा में भी स्पीकर ने विधायकों के विलय को सही ठहराया था. हाइकोर्ट ने इस मामले में स्पीकर के फैसले को निरस्त करते हुए विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी. यहां भी वैसा ही होगा.
लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हुआ : डॉ अजय
रांची : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने दल बदल कानून के मामले में आये फैसले पर कहा कि यह दल बदल को बढ़ावा देने एवं मौका परस्तों को राजनीति में स्थापित करने वाला फैसला है. आज पूरे राज्य की जनता की निगाहें स्पीकर के फैसले पर टिकी हुई थीं, लेकिन स्पीकर ने पंच परमेश्वर को तार-तार कर दिया. स्पीकर का यह कहना कि दल-बदल नहीं हुआ है, बल्कि एक पार्टी का दूसरी पार्टी में विलय हुआ है, दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर हुआ है.
स्पीकर ने सरकार के दबाव में लिया निर्णय : बंधु
रांची : झाविमो महासचिव बंधु तिर्की ने कहा है कि दल बदल मामले में स्पीकर दिनेश उरांव का निर्णय गलत है. स्पीकर ने सरकार के दबाव में यह निर्णय लिया है.
स्पीकर श्री उरांव ने अपनी आवाज नहीं, अमित शाह की अंतरात्मा की आवाज सुनी है़ भाजपा के दबाव में लोकतंत्र का गला घोंटा गया है़ झाविमो के संघर्ष को जनता देख रही है़ पैसे और पद का प्रलोभन देकर विधायकों को पक्ष में किया गया़ स्पीकर को तथ्यों और लोकतंत्र की मर्यादा पर निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन संविधान का गला घोंट दिया गया़ झाविमो इसे बर्दाश्त नहीं करेगा़ आने वाले दिनों में इसके खिलाफ कोर्ट जायेंगे. हमें उम्मीद है कि न्याय की जीत होगी.
स्पीकर का निर्णय पक्षपातपूर्ण : मुंडा
रांची : आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा है कि स्पीकर द्वारा जेवीएम के छह विधायकों के मामले में जो निर्णय दिया गया है वह पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और रघुवर सरकार को बचाने के लिए लिया गया है.
उन्होंने कहा कि स्पीकर ने ऐसा निर्णय देकर विधानसभा अध्यक्ष के पद और मर्यादा को शर्मसार किया है. इस राज्य के आम लोग भी जानते हैं कि इन छह विधायकों ने जेवीएम से चुनाव लड़ कर जीता था और जीतने के बाद अवसरवादी तरीके से भाजपा की रघुवर सरकार में शामिल हो गये. श्री मुंडा ने कहा कि राज्य की जनता इन दलबदलू विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव सहित भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले.
माले ने फैसले का विरोध किया
रांची : भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि झाविमो के छह विधायकों का भाजपा में विलय को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सही ठहराया जाना लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने कहा है कि विधायकों की सदस्यता को बहाल रखना खरीद-फरोख्त की राजनीति को संस्थागत करना है.
इन विधायकों की वैचारिक-राजनीतिक समझ भाजपा की हो सकती है, उस आधार पर भाजपा में इस जमात का जाना उनके लिए स्वाभाविक है. संवैधानिक रूप से इन विधायकों की विधायकी बहाल रखना गलत है. यह दल बदल कानून का मजाक है. फैसले ने न्याय का गला घोंटा.
यह फैसला पक्षपातपूर्ण है : माकपा
रांची : माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि झारखंड विधानसभा के स्पीकर का जेवीएम के भगोड़े विधायकों के दल-बदल के कारनामों को सही ठहराने का फैसला पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है.
विधानसभा स्पीकर की भूमिका सदन की गरिमा, परंपरा और नियम व प्रावधानों को संरक्षण देने की होती है, लेकिन स्पीकर ने इसे ताक पर रखकर विधायी प्रावधानों की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने एेसा फैसला देकर भाजपा के पक्ष में अपनी निष्ठा प्रमाणित करने का ही काम किया है.

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