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झारखंड की राजनीति का फ्लैश बैक : पांच सीट से प्रत्याशी बने थे केबी सहाय, सिर्फ एक जीते थे

अनुज कुमार सिन्हा रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह से मतभेद के कारण केबी सहाय काे इस क्षेत्र में कई बार हार का सामना करना पड़ा था रांची : छाेटानागपुर क्षेत्र में 1952 के पहले चुनाव से लेकर 1967 के चुनाव तक रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह आैर उनके परिवार का बाेलबाला रहा था. पूरे क्षेत्र […]

अनुज कुमार सिन्हा
रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह से मतभेद के कारण केबी सहाय काे इस क्षेत्र में कई बार हार का सामना करना पड़ा था
रांची : छाेटानागपुर क्षेत्र में 1952 के पहले चुनाव से लेकर 1967 के चुनाव तक रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह आैर उनके परिवार का बाेलबाला रहा था.
पूरे क्षेत्र में उनका अच्छा खासा प्रभाव था. यही कारण था कि राजा की पार्टी काे सीट भी अच्छी संख्या में मिल जाती थी. केबी सहाय से उनके मतभेद जगजाहिर थे. यही कारण है कि कई बार केबी सहाय काे इस क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा था. 1962 का चुनाव ऐसी ही घटनाआें से भरा पड़ा है. बिहार विधानसभा के 1962 के चुनाव में केबी सहाय ने गावां, जमुआ, गिरिडीह, बेरमाे आैर पटना पश्चिम से चुनाव लड़ा था. इनमें चार सीट ऐसी थी, जिनमें रामगढ़ राजा का प्रभाव था.
इन चाराें सीटाें पर केबी सहाय काे हार का सामना करना पड़ा था. रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह आैर उनके समर्थक स्वतंत्र पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे थे. केबी सहाय निर्दलीय लड़ रहे थे. केबी सहाय मूलत: छाेटानागपुर के थे, लेकिन राजा का प्रभाव इतना अधिक था कि उन्हाेंने इन चाराें सीटाें में से किसी पर भी केबी सहाय काे एक हजार वाेट भी नहीं लाने दिया था. गांवा में केबी सहाय काे गिरिजा प्रसाद सिंह ने हराया था. केबी सहाय छठे स्थान पर थे आैर उन्हें सिर्फ 320 वाेट मिले थे. जमुआ में केबी सहाय काे स्वतंत्र पार्टी के इंद्र नारायण सिंह ने हराया था. केबी सहाय काे सिर्फ 209 वाेट मिले थे आैर वे नाैंवे स्थान (अंतिम स्थान) पर थे. गिरिडीह में ताे केबी सहाय काे अंतिम स्थान (10वां) मिला था. उन्हें सिर्फ 189 वाेट मिले थे. बेरमाे में केबी सहाय काे पांचवां स्थान (यह भी अंतिम स्थान) से संताेष करना पड़ा था. वाेट मिले थे 801. चाराें सीटाें से उनकी हार के कारण थे रामगढ़ राजा से संबंध खराब हाेना.
केबी सहाय के लिए संताेष की बात यह थी कि जिस पांचवें स्थान से उन्हाेंने चुनाव लड़ा था, वह था पटना पश्चिम. वहां केबी सहाय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. वे चुनाव जीत गये थे. बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने. दो अक्तूबर 1963 से पांच मार्च, 1967 तक वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे. इसी बीच 1967 का चुनाव आ गया. केबी सहाय फिर मैदान में थे आैर दुर्भाग्य ने उनका साथ नहीं छाेड़ा. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हाेंने हजारीबाग, चतरा अाैर पटना (पश्चिम) से चुनाव लड़ा. तीनाें स्थानाें पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
हजारीबाग आैर चतरा में रामगढ़ राजा के प्रभाव के कारण वे हारे थे, जबकि पटना सीट पर उन्हें महामाया प्रसाद सिन्हा ने हराया था. महामाया बाबू उसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. दरअसल केबी सहाय के कार्यकाल में एक फायरिंग हुई थी आैर मुख्यमंत्री के नाते उन्हाेंने उस फायरिंग काे सही ठहराया था. इसी काे मुद्दा बनाते हुए महामाया बाबू ने उन्हें चुनाव में पराजित कर दिया था.

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