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PM Modi के राज में 10 उपचुनाव हारकर लोकसभा में भाजपा की सीटें 282 से घटकर 272 हुईं

नयी दिल्ली : कर्नाटक की तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजों ने पीएम मोदी की अगुवाई वाला भाजपा सरकार को बड़ा झटका दिया है. हालिया नतीजों के मुताबिक, जहां कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने विधानसभा की दो सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि लोकसभा की मंड्या और बेल्लारी सीटें भी गठबंधन के […]

नयी दिल्ली : कर्नाटक की तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजों ने पीएम मोदी की अगुवाई वाला भाजपा सरकार को बड़ा झटका दिया है. हालिया नतीजों के मुताबिक, जहां कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने विधानसभा की दो सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि लोकसभा की मंड्या और बेल्लारी सीटें भी गठबंधन के खाते में गयी हैं. हालांकि भाजपा शिमोगा सीट अपने पास रखने में कामयाब रही है. कर्नाटक की 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में सत्तारुढ़ कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन ने अपनी ताकत दिखाकर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की है.

यहां यह जानना गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक 30 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं. इनमें 16 सीटें भाजपा के कब्जे में थीं, लेकिन अब इनमें से केवल 6 सीटें ही भाजपा अपने पास बरकरार रख पायी है. बाकी 10 सीटें पार्टी ने गंवा दी हैं. इससे हुआ यह है कि लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की सीटों का आंकड़ा 282 से घटकर 272 पर सिमट गया है.

मालूम हो कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 282 सीटों पर कमल खिलाने वाली भाजपा 1984 के बाद के 30 साल में अपने दम पर लोकसभा में बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी थी. लेकिन अब हालात ये हैं कि भाजपा अपनी जीती हुई सीटें एक-एक कर हारती जा रही है.

साल 2014 में कुल पांच सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें वडोदरा, बीड, मैनपुरी, मेडक, कंधमाल के नाम शामिल हैं. बात करें वडोदरा और बीड उपचुनाव की, तो ये भाजपा की सीटें थीं, जिन्हें पार्टी ने बरकरार रखा. वहीं, मैनपुरी सपा की सीट थी, जिसे पार्टी ने अपने खाते में बचा लिया. मेडक टीआरएस की सीट थी, जिसे पार्टी बरकरार रखने में कामयाब हुई. जबकि कंधमाल बीजेडी की सीट थी, इसे भी पार्टी ने बरकरार रखा.

साल 2015 में तीन सीटों पर उपचुनाव हुए, इनमें रतलाम भाजपा की सीट थी, जिसे कांग्रेस ने झटक लिया. वहीं, बनगांव टीएमसी की सीट थी, इसे पार्टी ने अपने खाते में बरकरार रखा. वारंगल उपचुनाव में टीआरएस ने अपनी सीट बचाने में कामयाब रही.

इसी तरह साल 2016में पांच सीटों पर उपचुनाव हुए. इनमें तुरा में एनपीपी ने अपनी सीट बरकरार रखी. शहडोल भाजपा की सीट थी, जिसे पार्टी बचाये रखने में कामयाब रही. वहीं तमलुकऔर कूचबिहार टीएमसी की सीटथी, जिसे पार्टी ने बरकरार रखा.जबकि लखीमपुर भाजपा की सीट थी, जो उसके पास बरकरार रही.

बात करें साल 2017 की, तो इस साल चार सीटों पर उपचुनाव हुए. इनमें गुरदासपुर भाजपा की सीट थी, जो कांग्रेस की झोली में चली गयी. वहीं, अमृतसर कांग्रेस की सीट थी, जिसे पार्टी ने बरकरार रखा. श्रीनगर पीडीपी की सीट थी, जिसपर नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत हुई. मलप्पुरम आइयूएमएल की सीट, जिसे पार्टी ने अपने खाते में बरकरार रखा.

वहीं, इस साल यानी 2018में अब तक 10 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, इनमें बेल्लारी भाजपा की सीट कांग्रेस ने अपने नाम कर ली. शिमोगा भाजपा की सीट थी, जिसे पार्टी ने बचा लिया. मांड्या जेडीएस की सीट थी, यह फिर जेडीएस के नाम हो गयी. कैराना भाजपा की सीट थी, जिसे आरएलडी ने छीना. पालघर भाजपा की सीट थी, इसे पार्टी ने अपने खाते में बरकरार रखा. गोंदिया-भंडारा भाजपा की सीट थी, इसे एनसीपी ने अपने नाम कर लिया.

उलबेरिया टीएमसी की सीट थी, जो उसी के खाते में रह गयी. नगालैंड सीट एनडीपीपी की थी, जिसे पार्टी ने बरकरार रखा. अररिया राजद की सीट थी, जिसे पार्टी ने बरकरार रखा. फूलपुर और गोरखपुर भाजपा की सीटें थीं, जिन्हें समाजवादी पार्टी ने अपने नाम कर लिया. वहीं, अलवर और अजमेर भाजपा की सीटें थीं, जिन्हें कांग्रेस ने छीन लिया.

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