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बिहार : प्राइवेट अस्पतालों में अवैध दवा का कारोबार दुकान के नाम पर वसूलते हैं 50 लाख रुपये

इलाज का खेल : अस्पतालों में चल रही केमिस्ट शॉप में बड़े कारोबारियों से हो रही डील पटना : राजधानी के बाइपास इलाके में संचालित प्राइवेट अस्पतालों ने कमाई का जरिया भी अलग-अलग तरीके से अख्तियार कर लिया है. अस्पताल संचालक बिना रोक टोक अपने अस्पताल में दवाओं का कारोबार कर रहे हैं. दुकान के […]

इलाज का खेल : अस्पतालों में चल रही केमिस्ट शॉप में बड़े कारोबारियों से हो रही डील
पटना : राजधानी के बाइपास इलाके में संचालित प्राइवेट अस्पतालों ने कमाई का जरिया भी अलग-अलग तरीके से अख्तियार कर लिया है. अस्पताल संचालक बिना रोक टोक अपने अस्पताल में दवाओं का कारोबार कर रहे हैं.
दुकान के आगे ही छोटे से कमरे में औषधि विभाग के नियमों को ताक पर रख कर अंग्रेजी दवा दुकान संचालित हो रहे हैं. अस्पताल में मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर महंगी दवाएं लिखकर सीधे संबंधित दुकान पर ही दवा खरीदने को बोलते हैं. नतीजा मरीजों का खुलेआम शोषण हो रहा है.
40 से 50 लाख रुपये में होती है दुकान की डील : बाइपास इलाके में संचालित हो रहे अस्पतालों में चल रही केमिस्ट शॉप में बड़े कारोबारियों से डील हो रही है. अस्पताल के अंदर दुकान चलाने के लिए मालिक को 40 से 50 लाख रुपये पगड़ी पहुंचाया जाता है. पगड़ी देने के बाद ही दुकान खोलने का परमिशन दिया जाता है. नाम न बताने के शर्त पर कुछ केमिस्ट शॉप पर काम कर रहे कर्मचारी इस बात का खुलासा कर चुके हैं.
बिना बिल के होता है काम
इन दवा दुकानों के पास लाइसेंस है या नहीं, इसकी जांच आज तक औषधि विभाग की टीम ने नहीं की है. सूत्रों की मानें तो यहां 70 प्रतिशत दवा दुकान के पास लाइसेंस नहीं हैं. इतना ही नहीं मरीजों को दवा देने के बाद भी यहां पक्का बिल नहीं दिया जाता है.
केमिस्ट शॉप व निजी अस्पतालों में बिना बिल के ही सारा काम हो रहा है. इतना ही नहीं, यहां जीएसटी का भी पालन नहीं हो रहा. बिना जीएसटी नंबर दिये ही दवाओं की खरीद-फरोख्त हो रही है. यहां के अस्पतालों के डायग्नोस्टिक सिस्टम में भी बड़ा खेल हो रहा है. जिन केमिस्ट की दुकानों का लाइसेंस लिया गया है वे तय 180 वर्ग मीटर के दायरे से कम हैं. वहीं जो दुकान फार्मासिस्ट के नाम से लाइसेंस लिया गया है, वो फार्मासिस्ट यहां कभी दिखाई नहीं देते.
लिखी गयी दवा कहीं और नहीं मिलती
बाइपास इलाके के अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को जो डॉक्टर दवा लिखते हैं वह दवा कहीं और नहीं मिलती है. दवा सिर्फ उसी दुकान पर दी जाती है. नतीजा मरीज लाचार होकर दवा लेते हैं. इतना ही नहीं अगर कहीं बाहर दवा मिल भी जाये तो अस्पताल स्टाफ मरीज के साथ झगड़ा करने लगते हैं.
मरीजों के साथ इलाज में अगर लापरवाही और लूट हो रही है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. मरीजों का शोषण नहीं हो, इसको लेकर उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन कर टीम गठित किया जायेगा. इसके बाद तुरंत छापेमारी की जायेगी. नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई तय है.
डॉ पीके झा,
सिविल सर्जन पटना
बिहार : फर्जी डॉक्टरों व अस्पतालों पर कार्रवाई होनी तय
पटना : बाइपास इलाके में संचालित हो रहे अवैध अस्पताल व फर्जी डॉक्टरों पर कार्रवाई तय है. नर्सिंग एक्ट के नियम को ताक पर रख कर संचालित हो रहे उन अस्पतालों की सूची स्वास्थ्य विभाग तैयार कर रहा है. इस सूची में उन सभी अस्पतालों को शामिल किया गया है जिनके पास न तो रजिस्ट्रेशन हैं और नहीं अस्पताल खोलने की संरचना. सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक डॉ केके मिश्रा की देखरेख में एक बैठक का आयोजन किया गया. इसमें पटना के सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार झा के अलावा अन्य भी शामिल हुए थे.
जांच टीम करेगी छापेमारी
पटना के सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार झा ने बताया कि पटना बाइपास इलाके में संचालित हो रहे उन अस्पतालों पर छापेमारी होगी, जो नियम का पालन नहीं करते हैं. इसके लिए वह मेडिकल जांच टीम का गठन करेंगे.
इस टीम में दो मेडिकल ऑफिसर, एक औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर, जिला प्रशासन के अधिकारी के अलावा पुलिस फोर्स को शामिल किया जायेगा. दो से तीन दिनों में छापेमारी की जायेगी. प्रकाश पर्व पर श्रद्धालुओं को सुविधा देने पर चर्चा की गयी. गौरतलब है कि मरीजों की शिकायत के बाद प्रभात खबर पिछले दो दिसंबर से झोला छाप डॉक्टर व बाइपास पर स्थित अवैध अस्पतालों के खिलाफ मुहिम चला रहा है.

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