अनुज शर्मा
पटना : राजधानी के एग्जीबिशन रोड पर 12 सितंबर वाहन जांच के दौरान पुलिस पर पब्लिक अवैध वसूली का आरोप लगाकर पथराव कर देती है. बाद में पुलिस 11 लोगों जेल भेज देती है. एक दिन बाद मुजफ्फरपुर में पुलिसकर्मी अपने पहचान के व्यक्ति को छोड़ते हैं तो भीड़ हंगामा कर चेकिंग अभियान बंद करवा देती है. वहीं, 22 जुलाई को नालंदा जिले में शराब के धंधेबाजों को पकड़ने गयी पुलिस टीम पर हमला हो जाता है. कई पुलिसवालों को गंभीर चोटें आती हैं. ये घटनाएं बताती हैं कि भीड़ के दुस्साहस का दायरा बढ़कर अब पुलिस तक पहुंच गया है.
हैरान करने वाला तथ्य है कि बीते छह महीने में पुलिस पर हमलों के करीब 100 वाकये हुए. पुलिस के काम में बाधा पहुंचाने के ही करीब 34 केस दर्ज हुए हैं. कई मामलों में केस ही नहीं दर्ज किये गये. मामूली घटनाओं में भी लोग पुलिस कार्रवाई का विरोध करने लगे हैं. भीड़ की ‘एकजुटता’ आरोपितों की ढाल बनने लगी है. बीते 60 दिनों में ही राज्य में ऐसी करीब दो दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कहीं अपराधियों की गोली ने जान ली है, तो कहीं भीड़ के हमले में पुलिसकर्मी घायल हुए. भीड़ तंत्र का यह रवैया समाज विज्ञानियों के लिए भी चिंता का
कारण है. भीड़ के हमले की घटनाएं पुलिस की साख से भी जुड़ी हैं. एनडीआरएफ के रिटायर्ड डीजीपी डॉ पीएम नैयर का कहना है कि एसपी-एसएसपी जिला पुलिस को लीड नहीं कर रहे हैं. थाने से जब क्राइम की खबर आती है, तब वे जाते हैं. यह रवैया बदला होगा. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी कई मंच से कह चुके हैं कि पुलिस ऐसे दौर से गुजर रही हैं, जहां लोगों में कानून का सम्मान और कानून का भय खत्म हो रहा है. यह सबके लिए चिंता का विषय है.
हाल में पुलिस पर हमले की घटनाएं
16 अगस्त : सारण जिले में ही रात में गौरा के शराब व्यवसायी के यहां छापेमारी करने गयी पुलिस टीम पर भीड़ का हमला
05 अगस्त : मोतिहारी के मीना बाजार जुलूस के दौरान विवाद होने पर पहुंची पुलिस की टीम पर हमला कर दिया, इसमें डीएसपी, दारोगा समेत आधा दर्जन जख्मी हो गये.
21 जुलाई: पटना के सालिमपुर थाना क्षेत्र में गंगा घाट पर डूबने से एक युवक की मौत के बाद स्टेट हाइवे जाम कर रहे ग्रामीणों का पुलिस पर हमला, कई पुलिसकर्मी घायल
19 जुलाई : पटना जिले में पुनपुन के लोचना गांव में शराब के धंधेबाजों को पकड़ने गयी पुलिस पर हमला, आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल
13 जुलाई : कटिहार के बिंजी गांव में आर्म्स एक्ट के आरोपित की गिरफ्तारी के लिए गयी पुलिस टीम पर हमला, आरोपित को छुड़ाया, दो दारोगा सहित चार पुलिसकर्मी घायल.
27 मई मुजफ्फरपुर के कांटी में सड़क जाम कर रहे लोगों ने पुलिसवालों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, 10 पुलिसकर्मी घायल .
02 मई : नालंदा के औंगारी धाम गांव में एक हादसे के बाद भीड़ से बचने के लिए थाने में घुसी महिला को बाहर निकालने के लिए ग्रामीणों ने थाने पर किया पथराव
आम आदमी भी मान बैठा है कि पैसे देकर केस निबटा देंगे : अभयानंद
पूर्व डीजीपी अभयानंद पुलिस की कार्यप्रणाली को ही इस हालात के लिए दोषी मानते हैं. वह कहते हैं कि करप्शन इतना है कि आम आदमी भी यह मान बैठा है कि पैसा देकर केस निबटा देंगे. पुलिस जब तक यह संदेश नहीं देगी कि सबूत के साथ पकड़े जाने पर कोई भी नहीं बचा पायेगा, तब तक कानून हाथ में लेने वालों की हिम्मत नहीं टूटेगी.
राज्य भर में पुलिस के काम में बाधा डालने के करीब 34 केस दर्ज किये गये हैं. इन मामलों में अकाट्य साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तारी भी की जायेगी. लोगों से अपील है कि वह पुलिस को सहयोग करें.
-जितेंद्र कुमार, एडीजी मुख्यालय
जनता के मन में पुलिस के प्रति सम्मान का भाव नहीं : डॉ एके वर्मा
सेंटर फॉर द स्टडी आॅफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक एवं समाजशास्त्री डॉ एके वर्मा इसके लिए पुलिस की आक्रांता वाली छवि को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि पुलिस की रणनीति-भ्रष्टाचार के चलते जनता के मन में सम्मान का भाव नहीं है. भले ही पुलिस की अपनी कितनी ही समस्याएं हैं.
जनता काे यह महसूस हो रहा है कि पुलिस जनता का मित्र होने के बजाय अपराधियों की मित्र हो गयी है. दोनों में इतनी दूरी हो गयी है कि पुलिस सही भी काम करे, तो जनता उसके और दूसरे पक्ष के बीच में आ रही है. सरकारों को पुलिस को मशीन की जगह मानव के रूप देखना होगा. संगठनात्मक सुधार करना होगा