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शिक्षा पद्धति में बदलाव जरूरी है
देश में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े हमारी शिक्षा पद्धति की दयनीय दशा को उजागर करते हैं. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद के लिए अगर पीएचडी या एमबीए डिग्रीधारी आवेदन करते हैं, तो यह स्थिति समझ में आ जाती है. हमें नये रोजगार सृजन की जरूरत है, पर इससे ज्यादा जरूरी है शिक्षा प्रणाली में सुधार […]
देश में बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े हमारी शिक्षा पद्धति की दयनीय दशा को उजागर करते हैं. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद के लिए अगर पीएचडी या एमबीए डिग्रीधारी आवेदन करते हैं, तो यह स्थिति समझ में आ जाती है.
हमें नये रोजगार सृजन की जरूरत है, पर इससे ज्यादा जरूरी है शिक्षा प्रणाली में सुधार की. जब तक समस्या की जड़ तक नहीं पहुंचेंगे, समस्या का समाधान बेमानी है. शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है, इसके लिए सभी की जवाबदेही बनती है, चाहे शिक्षक हो या सरकार. सरकार योजनाओं को बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती, पर योजना का क्रियान्वयन होना जरूरी है. समय आ गया है कि उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाये.
व्यक्ति आत्मनिर्भर बने. डिग्रीधारी बनाने की बजाय काबिल बने. शिक्षा पद्धति में बदलाव से ही ऐसा संभव है. अगर हमने अभी इस और ध्यान नहीं दिया, तो ये बेरोजगारी का दानव और विकराल रूप लेगा.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, इमेल से
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