भयंकर तंगहाली से गुजर रहे पाकिस्तान ने दुनिया को दिखाने के लिए आतंकवादियों पर कार्रवाई करना शुरु कर दिया. पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर है. इस कारण पाकिस्तान की हालत खस्ता होती जा रही है. कोई भी देश पाकिस्तान को भाव नहीं दे रहा. ऐसे में पाकिस्तान नई चाल चल रहा है और आतंकियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा रहा है. जो या तो फर्जी है या फिर बहुत ही कमजोर.
गौरतलब है कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पिछले साल पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था. सितंबर में एफएटीएफ पाक को आतंकवाद पर ठीक ढंग से कार्रवाई न करने के लिए ब्लैकलिस्ट कर सकता है. जिसे लेकर भी संस्था ने पाक को जनवरी में चेतावनी भी दी थी. अब इमरान सरकार ने इससे निपटने की नई तरकीब निकाल ली है. उसने आतंकियों के खिलाफ नकली और कमजोर मुकदमे दर्ज करवाने शुरू कर दिए हैं.
एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकवादियों के खिलाफ मामले दर्ज कर पाकिस्तान एफएटीएफ को दिखाना चाहता है कि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. जबकि पाकिस्तान की ओर से आतंकियों के खिलाफ दर्ज किए गए अधिकतक ऐसे मुकदमे हैं जिनमें उनके छूटने के ज्यादा आसार हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने एक जुलाई को लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के खिलाफ जमीन विवाद को लेकर मामला दर्ज किया था, लेकिन केस इतना कमजोर है कि कोर्ट में आतंकी पर कोई कार्रवाई होने की संभावना नहीं है. बताया जा रहा है कि पाक इन मामलों को इस तरह पेश कर रहा है जैसे वह आतंकियों की संपत्ति जब्त कर उनके लेन-देन पर रोक लगा रहा हो. लेकिन ये सब एक दिखावा जैसा है क्योंकि अभी तक पाकिस्तान ने किसी आतंकी संगठन के सरगना पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
एफआईआर में लश्कर प्रमुख हाफिज सईद या आतंकी अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, आमिर हमजा और मलिक जफर इकबाल के नाम का जिक्र तक नहीं है, जबकि यह सब भी उस जमीन के मालिकों में शामिल थे. एफआईआर में आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत का भी कोई जिक्र नहीं है.