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पानी के लिए मचा हाहाकार, कलेक्ट्रेट पहुंचीं छात्राएं

बिहारशरीफ : भीषण गर्मी के बीच जिलावासियों को पानी की किल्लत से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. भू-जल स्तर के गिरने से शुरू हुई पेयजल की समस्या दिन व दिन जटिल होती जा रही है. शहर से लेकर गांव तक यह स्थिति बरकरार है. सोमवार को सदर अस्पताल बिहारशरीफ के एएनएम हॉस्टल की छात्राओं […]

बिहारशरीफ : भीषण गर्मी के बीच जिलावासियों को पानी की किल्लत से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. भू-जल स्तर के गिरने से शुरू हुई पेयजल की समस्या दिन व दिन जटिल होती जा रही है. शहर से लेकर गांव तक यह स्थिति बरकरार है. सोमवार को सदर अस्पताल बिहारशरीफ के एएनएम हॉस्टल की छात्राओं ने अपनी पेयजल की समस्या को लेकर समाहरणालय पहुंचकर जिलाधिकारी से गुहार लगायी.

छात्राओं ने बताया कि उनके सदर अस्पताल बिहारशरीफ स्थित हॉस्टल में पिछले एक माह से पेयजल की समस्या बनी हुई है. पानी की कमी के कारण उनकी दिनचर्या गड़बड़ा गयी है जिसके कारण रोज ड्यूटी में लेट होना पड़ रहा है.
जिलाधिकारी के दूसरे कार्यों में व्यस्त होने के कारण एएनएम हॉस्टल की छात्राओं से उनकी मुलाकात नहीं हो पायी, मगर दूसरे पदाधिकारियों ने सदर अस्पताल स्थित एएनएम हॉस्टल पहुंचकर छात्राओं की समस्याओं की जानकारी प्राप्त की. इन अधिकारियों से छात्राओं ने हॉस्टल के आसपास बोरिंग कराकर पेयजल की आपूर्ति करने की मांग की. अधिकारियों ने छात्राओं की समस्या सुनने के बाद उसे दूर करने का आश्वासन दिया और हंगामा कर रही छात्राओं को शांत कराया.
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता, बिहारशरीफ को एएनएम हॉस्टल भेजा गया था, उन्होंने नगर निगम के जूनियर इंजीनियर को बुलाकर हॉस्टल की छात्राओं के लिये स्वतंत्र जलापूर्ति की व्यवस्था करने का निर्देश दिया. हॉस्टल के पास गड़े चापाकल में मोटर लगाकर हॉस्टल के टैंक से पाइप जोड़ने का निर्देश दिया, ताकि हॉस्टल की छात्राएं जब जरूरत हो मोटर चलाकर पानी का उपयोग कर सकें.
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार ने बताया कि एएनएम हॉस्टल में करीब 200 छात्राएं रहती हैं. वहां पानी की किल्लत को देखते हुए नगर निगम द्वारा टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है. फिलहाल वहां सुबह-शाम टैंकर से पानी आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि हॉस्टल परिसर के पास स्थित चापाकल में बोरिंग लगाने का काम शुरू कर दिया गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति भी है दयनीय : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है. शहर से लेकर गांव तक में पेयजल संकट दूर करने के लिये करीब 62 टैंकरों एवं ट्रैक्टर पर 1000 लीटर के टैंक में पानी भर कर पानी की आपूर्ति की जा रही है. शहर के करीब 18 मोहल्लों में टैंकर के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है.
जलापूर्ति केंद्रों के खराब होने का सिलसिला जारी
भीषण गर्मी में भू-जल स्तर के गिरने के कारण शहर के जलापूर्ति केंद्रों के खराब होने का सिलसिला जारी है. शहर में पूर्व से संचालित 37 जलापूर्ति केंद्रों की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए नगर निगम लगातार प्रयास कर रहा है. इन जलापूर्ति केंद्रों में कहीं मोटर बदलने का कार्य चल रहा है, तो कहीं राइजर पाइप जोड़ने का काम किया जा रहा है.
शहर के बनौलिया एवं महल पर जलापूर्ति केंद्रों में नयी सबमर्सिबल मोटर लगायी जा चुकी है. वहीं खासगंज एवं सोहसराय सूर्य मंदिर जलापूर्ति केंद्र में सबमर्सिबल मोटर लगाने के लिए क्रॉस तोड़ने का कार्य किया जा रहा है. क्रॉस तोड़ने के बाद इन जलापूर्ति केंद्रों में सबमर्सिबल मोटर लगाये जायेंगे.
शहर में जमीन के नीचे पानी मिलना मुश्किल
शहर में भूमिगत जल 90 से 100 फुट नीचे चला गया है. शहर में स्थिति यह हो गयी है कि शहर के कई मोहल्लों में जमीन के नीचे पानी नहीं मिल पा रहा है. कई मोहल्लों में जमीन के नीचे 150 से 200 फुट पर पहाड़ मिल जा रहा है, जिसके नीचे बोरिंग करना संभव नहीं हो पा रहा है. शहर के अगल-बगल के गांवों में भूमिगत जल 50 से 58 फुट नीचे है.
ग्रामीण क्षेत्रों में भी 60 से 65 फुट नीचे है भूगर्भीय जल का स्तर
ग्रामीण क्षेत्रों में राजगीर की भूई-लोदी पंचायत में भूमिगत जल 55 से 60 फुट नीचे है. वहीं, सिलाव प्रखंड की पांची-गोनावां पंचायत में 57 से 60 फुट नीचे पानी है. इसी प्रकार बेन प्रखंड की बारा-अरावां पंचायत में भूमिगत जल 60 से 65 फुट नीचे है. गिरियक प्रखंड की गाजीपुर पंचायत में 45-48 फुट नीचे पानी है. वहीं कतरीसराय प्रखंड का मैरा-बरीठ पंचायत में 48 से 50 फुट नीचे पानी है. इस्लामपुर प्रखंड की सकरी-सूढ़ी पंचायत में भूमिगत पानी 54 से 60 फुट नीचे है.
अधिक गहराई वाली बोरिंग पर है लोगों की प्यास बुझाने की जिम्मेदारी
भू-गर्भीय जल स्तर के लगातार नीचे जाने से कुएं, तालाब सभी सूखे पड़े हैं. कम गहराई वाले चापाकल व बोरिंग बेकार साबित हो रहे हैं. अब प्यास बुझाने के लिए एकमात्र सहारा अधिक गहराई वाली बोरिंग ही है. अधिक गहराई वाली बोरिंग कराना आम लोगों के वश की बात नहीं है.
इसके कारण आम लोग प्यास बुझाने के लिए सरकारी जलापूर्ति केंद्रों पर आश्रित होते जा रहे हैं. सरकारी जलापूर्ति केंद्रों की स्थिति भी काफी दयनीय है. सरकारी जलापूर्ति केंद्र भी एकाएक फेल होते जा रहे हैं. जलापूर्ति केंद्रों के तेजी से खराब होने की स्थिति बदतर होती जा रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
शहरवासियों को प्यास बुझाने के लिए नगर निगम हर संभव प्रयास कर रहा है. शहर के जलापूर्ति केंद्रों में राइजर पाइप जोड़कर पाइप की लंबाई बढ़ायी जा रही है. जलापूर्ति केंद्रों में लगी मोटर की शक्ति बढ़ायी जा रही है. शहर के कई वार्डों में नयी बोरिंग की जा रही है. शहर में कहीं से भी पानी की किल्लत की सूचना मिलती है, वहां टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है.
सौरभ जोरेवाल, नगर आयुक्त, बिहारशरीफ
ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचइडी द्वारा भू-जल स्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है. पानी की कमी वाले गांवों में ट्रैक्टर व टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है. जिले में पेयजल आपूर्ति की कई बहुग्रामीण पेयजल की योजनाएं संचालित हैं. सात निश्चय के तहत संचालित नल-जल योजना से भी पेयजल की आपूर्ति की जा रही है.
मनोज कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी, बिहारशरीफ

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