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जांच के बाद विजिलेंस ने सौंपी रिपोर्ट, ऑटो टिपर घोटाले की जांच की आंच मेयर तक पहुंची

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में ऑटो टिपर खरीद मामले में हुए घोटाला की जांच रिपोर्ट विजिलेंस ने विभागीय सचिव को सौंप दी है. रिपोर्ट में तत्कालीन निगम प्रशासन व प्रक्रिया में शामिल इंजीनियर व कर्मियों पर ऊंगली उठायी गयी है. इसमें तत्कालीन दो नगर आयुक्त, एक कार्यपालक अभियंता, दो सहायक अभियंता, तीन कनीय अभियंता के […]

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में ऑटो टिपर खरीद मामले में हुए घोटाला की जांच रिपोर्ट विजिलेंस ने विभागीय सचिव को सौंप दी है. रिपोर्ट में तत्कालीन निगम प्रशासन व प्रक्रिया में शामिल इंजीनियर व कर्मियों पर ऊंगली उठायी गयी है. इसमें तत्कालीन दो नगर आयुक्त, एक कार्यपालक अभियंता, दो सहायक अभियंता, तीन कनीय अभियंता के अलावा एक कर्मचारी भी दोषी पाये गये हैं. मेयर सुरेश कुमार भी इसके लपेटे में हैं.

विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में मेयर पर आपूर्तिकर्ता को भुगतान के लिए अनुमोदन का आरोप है. मेयर के अनुमोदित करने के बाद ही 50 में से 24 ऑटो टिपर की आपूर्ति होने पर नगर आयुक्त ने डेढ़ करोड़ से अधिक रुपये का चेक काटा था. रिपोर्ट में चेक काटने की प्रक्रिया को आनन-फानन में पूर्ण करने की बात कही गयी है. बताया जाता है कि जब आइएएस नगर आयुक्त संजय दूबे की पोस्टिंग हुई तो आनन-फानन में ऑटो टिपर के भुगतान के लिए चेक काटा गया था.
दो जेई पहले ही हो चुके हैं बर्खास्त
विजिलेंस रिपोर्ट से पहले ही ऑटो टिपर घोटाला में दोषी मानते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर डूडा के दो कनीय अभियंता को बर्खास्त किया जा चुका है. इसमें संविदा पर बहाल जेई भरत लाल चौधरी व प्रमोद कुमार शामिल हैं. इसके अलावा दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन व एडीएम डॉ रंगनाथ चौधरी समेत तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बिंदा सिंह, सहायक अभियंता महेंद्र सिंह, नंद किशोर ओझा, कनीय अभियंता मो क्यामुद्दीन अंसारी समेत अन्य निगम कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू है. प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि इन सभी के विरुद्ध प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए संबंधित विभाग के प्रधान सचिव को जवाब-तलब के लिए पत्र लिखा गया है.
खुले आसमान के नीचे कबाड़ बन रहा अॉटो टिपर
खरीदारी के बाद नगर निगम में पहुंच चुके 50 ऑटो टिपर अभी कबाड़ बन रहा है. कंपनीबाग नगर आयुक्त आवास से सटे खाली परिसर व इंदिरा पार्क के भीतर जनवरी से ही ऑटो टिपर खड़ा है. अधिकतर टिपर के चक्के का हवा निकल गया है. धूप व बारिश में रहने के कारण टिपर का कलर भी अब खराब होने लगा है.
3.80 करोड़ में 50 ऑटो टिपर की हुई थी खरीद
स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए दिसंबर, 2017 में 50 ऑटो टिपर की खरीद हुई थी. जिस एजेंसी को टेंडर दिया गया, उसने जनवरी 2018 में आपूर्ति की. एक ऑटो की कीमत 7.60 लाख रुपये है. पचास ऑटो टिपर की खरीदारी 3.80 करोड़ में हुई थी. मुजफ्फरपुर के तिरहुत ऑटोमोबाइल के अलावा पटना की एक एजेंसी ने अपना कोटेशन दिया था. आरोप है कि तिरहुत ऑटोमोबाइल का रेट कम रहने के बाद भी अधिक रेट पर पटना की एजेंसी से खरीदारी की गयी.
अगर कोई सामान की आपूर्ति करेगा, तो उसका पेमेंट भी जरूरी है. हमने पेमेंट करने का निर्देश दिया था. विजिलेंस ने क्या रिपोर्ट किया है, इसकी कोई जानकारी मुझे नहीं है. विजिलेंस के अधिकारी हमसे कभी कोई बातचीत भी इस मुद्दे पर नहीं किये हैं. ऐसे जब हमसे पूछा जायेगा, तो हम वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे. मुझे मामले में लपेटना बिल्कुल ही गलत है.
ऐसे हुई गड़बड़ी
स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए हुई थी खरीदारी
नवंबर 2017 में टेंडर, जनवरी 2018 में हुई थी आपूर्ति
तिरहुत ऑटोमोबाइल का एन-वन टेंडर के बावजूद पटना की कंपनी को मिला था ठेका
आइएएस नगर आयुक्त की पोस्टिंग के बाद 17 जनवरी को अानन-फानन में चेक काट किया गया था भुगतान

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