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भर्ती करने के बाद देखने नहीं आते डॉक्टर

जमशेदपुर : कायाकल्प का पुरस्कार पाने वाले सदर अस्पताल की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. मरीजों के अनुसार भर्ती होने के बाद प्रतिदिन कोई भी डॉक्टर देखने के लिए नहीं आता है. वहीं, जब कोई बुलाने के लिए जाता है, तो उसे नर्सों व कर्मचारियों द्वारा डांट कर भगा दिया जाता है. […]

जमशेदपुर : कायाकल्प का पुरस्कार पाने वाले सदर अस्पताल की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. मरीजों के अनुसार भर्ती होने के बाद प्रतिदिन कोई भी डॉक्टर देखने के लिए नहीं आता है. वहीं, जब कोई बुलाने के लिए जाता है, तो उसे नर्सों व कर्मचारियों द्वारा डांट कर भगा दिया जाता है. मरीजों ने बताया कि वे लोग एक-एक सप्ताह से भर्ती हैं, लेकिन अभी तक एक या दो बार ही डॉक्टर देखने के लिए आये हैं, जिससे परेशानी हो रही है.

वहीं, कई मरीजों को बिना ठीक हुए ही अस्पताल से छुट्टी दे दिया जा रहा है या फिर दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है, जबकि जिस डॉक्टर की ड्यूटी रहती है उसको अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को देखना है.
अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी, बरामदा में लगाया गया बेड : सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इसमें अधिकतर वायरल फीवर से ग्रसित हैं.
इसके कारण 100 बेड फुल हो जाने के कारण मरीजों को बरामदा में रखकर इलाज किया जा रहा है. साथ ही इमरजेंसी व वार्ड में अतिरिक्त बेड लगाये गये हैं. वहीं, वार्ड में पंखा नहीं होने के कारण मरीजों को गर्मी झेलना पड़ रहा है.
आइ ओपीडी बंद
सदर अस्पताल के नेत्र विभाग की डॉ किरण सगेन एक्का ने एमजीएम में योगदान दे दिया. इससे सदर अस्पताल में नेत्र विभाग में अब डॉक्टर नहीं हैं.
यहां प्रतिदिन लगभग 70 से 80 मरीज अपनी आंखों का इलाज कराने के लिए आते हैं, लेकिन डॉक्टर के नहीं होने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल में नियुक्त टेक्नीशियन द्वारा सिर्फ मरीजों की अांखों के पावर की जांच की जा रही है. कोई बीमारी होने पर एमजीएम भेज दिया जा रहा है.
केस : एक
जादूगोड़ा के विकास कुमार ने बताया कि वह पिछले रविवार को सदर अस्पताल में भर्ती हुआ था. उसकी छाती में दर्द है. भर्ती होने के बाद सिर्फ दो बार डॉक्टर आये. इस दौरान उसका ब्लड जांच के लिए ले जाया गया, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं दी गयी. वहीं, पूछने पर ठीक से नहीं बताया जाता है.
केस : दो
कदमा के शंभू लोहरा ने बताया कि उसके लिवर में दिक्कत है. जिसको लेकर 10 जुलाई से वे भर्ती हैं. इस बीच एक दिन डॉक्टर ने आकर देखा. इसके बाद शनिवार को डॉक्टर आये और छुट्टी दे दी. इसी दौरान वह बाथरूम गया, तो चक्कर आ गया. जिससे वहीं बैठ गया. फिर डॉक्टर ने आकर भर्ती कर लिया.
केस : तीन
परसुडीह झाड़ग्राम बस्ती के निपेंद्र पोद्दार ने बताया कि वह 17 जुलाई को अस्पताल में भर्ती हुए थे. इस बीच सिर्फ एक बार डॉक्टर देखने के लिए आये. डॉक्टरों द्वारा उनको पानी चढ़ाया जा रहा था, जिस दौरान पानी की पाइप के पास खून बाहर निकल रहा था. जानकारी देने के लिए पत्नी इमरजेंसी गयी, तो नर्सों ने भगा दिया.
अस्पताल में ये डॉक्टर हैं नियुक्त : डॉ पांडा, डॉ शिवेंदु, डॉ वर्मा, डॉ एमसी दास, डॉ बी साहा, डॉ एस चंद्रा, डॉ बाखला, डॉ गीतांजलि, डॉ प्रेम लता, डाॅ पूनम, डॉ सांत्वना, डॉ आरके जायसवाल, डॉ वीणा सिंह, डॉ नसीम, डॉ हेंब्रम.
अस्पताल के पीछे कचरे का अंबार, नाली जाम : अस्पताल के पीछे कचरे का अंबार लगा हुआ. साथ ही अस्पताल के आसपास बनी नाली पूरी तरह से जाम हो गयी है, जिससे वार्ड व अस्पताल परिसर में दुर्गंध फैल रही है. इसके अलावा जहां-तहां कचरा फैला हुआ है. साथ ही दो माह से बिजली की तार खुले अवस्था में छोड़ दिया गया है, जिससे कभी भी कोई घटना घट सकती है.
मुझे डॉक्टरों के मरीज नहीं देखने की जानकारी नहीं है. डॉक्टर व नर्सों को मरीजों से सही व्यवहार करने के लिए कहा गया है. इसके बाद भी यदि सही से व्यवहार नहीं किया जा रहा है, तो जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.
डॉ महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन, पूर्वी सिंहभूम

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