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सैकड़ाें महिलाअाें काे पाकिस्तानी फाैज से मुक्त कराया

विजय दिवस 16 को l 1971 की जंग लड़ चुके कैप्टन बीएन पांडेय ने बतायी पाकिस्तानी फौज की दरिंदगी की कहानी जमशेदपुर : 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के दाैरान भारतीय फाैज ने पाकिस्तानी सेना की दरिंदगी भी देखी. शायद इसी दरिंदगी के खात्मा के लिए भारतीय फाैज का वहां वर्षाें से लाेग इंतजार […]

विजय दिवस 16 को l 1971 की जंग लड़ चुके कैप्टन बीएन पांडेय ने बतायी पाकिस्तानी फौज की दरिंदगी की कहानी

जमशेदपुर : 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के दाैरान भारतीय फाैज ने पाकिस्तानी सेना की दरिंदगी भी देखी. शायद इसी दरिंदगी के खात्मा के लिए भारतीय फाैज का वहां वर्षाें से लाेग इंतजार कर रहे थे.
1971 का युद्ध लड़ चुके भारतीय सेना के कैप्टन बीएन पांडेय ने बताया कि सीज फायर के पहले ही भारतीय फाैज ने ढाका के गर्ल्स कॉलेज काे पाकिस्तानी फाैज से अपने कब्जे में ले लिया था. पाकिस्तानी सेना द्वारा वहां महिलाआें-युवतियाें का शाेषण किया जा रहा था. बंकराें में इन्हें छिपाकर रखा गया था. जब भारतीय फाैज ने ढाका गर्ल्स कॉलेज काे अपने कब्जे में लिया ताे वहां की प्रिसिंपल ने हाथ जाेड़कर शुक्रिया किया. जब तक भारतीय फाैज वहां थी,
हर दिन प्रिंसिपल उन लाेगाें से मिलने के लिए स्वयं आती थी. टेल्काे खड़ंगाझाड़ में रहनेवाले कैप्टन बीएन पांडेय ने 1965 में सेना में याेगदान दिया. लंबे समय तक वे नागालैंड चकमा आंदाेलन का हिस्सा रहे. इसके बाद उनकी कंपनी चंडीगढ़ से हाेते हुए 1971 में अबाेहर पहुंची. कुछ दिन वहां रहने के बाद ही ढाका मूवमेंट का आदेश मिल गया.
अबाेहर से एक स्पेशल ट्रेन में सवार हाेकर भारतीय फाैजी निकले ताे वह नजारा देखने वाला था. हर स्टेशन पर महिला-पुरुष हाथाें में आरती की थाली-चंदन-राेड़ी-टीका लेकर स्वागत कर रहे थे. मां भारती के नारे लग रहे थे. वैसा सम्मान शायद ही किसी काे मिले, जैसा उन्हाेंने महसूस किया. उस सम्मान के बाद हाैंसले इतने बुलंद हाे गये थे कि युद्ध के सिवा आैर कुछ नहीं सूझ रहा था. उस वक्त लगा कि वाकई देश का गाैरव सेना के पास है. महसूस हुआ कि अगर युद्ध के मैदान में वीरगति काे भी प्राप्त कर गये ताे जिंदगी का गम नहीं हाेगा.
उस वक्त एक ही मकसद था किसी तरह मिशन पर पहुंच जाये. माता-पिता, भाई-बहन, परिवार किसी की याद नहीं आ रही थी. पूर्वी पाकिस्तान बॉर्डर पर पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से छिपते-छिपाते उनकी कंपनी काे ढाका तक पहुंचने का माैका मिला. इसके बाद 14 दिनाें के बाद सीज फायर हाे गया.
जनरल नियाजी ने एक लाख पाकिस्तानी फाैज के साथ ढाका के मैदान में हथियार डाल दिये. भारतीय फाैज ने उनके पाकिस्तानी फाैजियाें के साथ युद्धबंदी वाला सलूक किया, लेकिन उन्हाेंने हमारे फाैजियाें के साथ गलत व्यवहार किया. काफी संख्या में ढाका से लाेगाें काे जमशेदपुर आैर रांची लाया गया.
माैजूदा स्थिति से कैप्टन बीके पांडेय काफी नाराज हैं. उन्हाेंने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान सेना, आइएसआइ कश्मीर में आतंकवादियाें काे आगे कर छद्म युद्ध लड़ रही है, वह बर्दाश्त के बाहर है. हर भारतीय काे साेचना हाेगा कि सिर्फ उन्हीं पर ही प्रतिबंध क्याें है. जिस किसी देश पर काेई दूसरा हमला करता है या फिर आतंकी घटना काे अंजाम देता है, तुरंत उसके यहां जवाबी कार्रवाई हाेती है, लेकिन हम पर कॉमनवेल्थ, यूएनआे समेत कई तरह के दबाव लाद दिये जाते हैं.

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