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बूढ़े लोगों के बारे में आपकी सोच बदल देगा यह रिसर्च…

लंदन : भारत में बुजुर्गों की आबादी के बीच अशक्तता के नये आकलनों से स्पष्ट है कि समस्या का स्तर राष्ट्रीय जनगणना में सुझाये गये आंकड़ों से कहीं ज्यादा बड़ा है. एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है. ऑस्ट्रिया के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएएसए) के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ये […]

लंदन : भारत में बुजुर्गों की आबादी के बीच अशक्तता के नये आकलनों से स्पष्ट है कि समस्या का स्तर राष्ट्रीय जनगणना में सुझाये गये आंकड़ों से कहीं ज्यादा बड़ा है.

एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है. ऑस्ट्रिया के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएएसए) के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ये अनुमान रहन-सहन की तीन बुनियादी गतिविधियों – चलना, कपड़े पहनना और प्रसाधन कार्य कर सकने की क्षमता पर आधारित हैं.

अध्ययन में पाया गया कि 60 या उससे ऊपर की उम्र के 17.91 प्रतिशत पुरुष और 26.21 प्रतिशत महिलाओं को इन तीन कार्यों में अशक्तता का अनुभव होता है जो 90 लाख बुजुर्ग पुरुषों एवं एक करोड़ 40 लाख महिलाओं के बराबर है.

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल पांच प्रतिशत बुजुर्ग जनसंख्या को अशक्तता का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि अशक्तता की संभावना विधवा महिलाओं और गरीब एवं निरक्षरों के बीच बहुत ज्यादा होती है.

आईआईएएसए की नंदिता साइकिया और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू के मुकेश परमार ने पुराने विकारों या लंबे समय से बनी हुई स्वास्थ्य परिस्थितियों और अशक्तता के बीच आंकड़ों की दृष्टि से महत्वपूर्ण संबंध है.

उन्होंने ऐसी तीन स्थितियों – मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी का अध्ययन किया. अशक्तता के साथ मधुमेह का सबसे अधिक परस्पर संबंध था और उसके बाद उच्च रक्तचाप तथा ह्रदय विकारों का.

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