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लैंपस में बेचे गये धान का 216 किसानों का पैसा बकाया

पैसे के लिए सरकारी कार्यालयों का लगा रहे चक्कर गुमला : किसान किसे और कहां अपना दुखड़ा सुनायें. इनकी कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों की यह व्यथा गुमला जिला की है. किसानों ने लैंपस के माध्यम से सरकार को धान बेचा, लेकिन उसका पैसा नहीं मिला. अब किसान पैसा के लिए सरकारी बाबुओं के […]

पैसे के लिए सरकारी कार्यालयों का लगा रहे चक्कर

गुमला : किसान किसे और कहां अपना दुखड़ा सुनायें. इनकी कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों की यह व्यथा गुमला जिला की है. किसानों ने लैंपस के माध्यम से सरकार को धान बेचा, लेकिन उसका पैसा नहीं मिला. अब किसान पैसा के लिए सरकारी बाबुओं के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. ज्ञात हो कि गुमला जिले के 11 लैंपसों में धान बेचने के बाद जिले भर के 216 किसान पैसे के लिए कभी लैंपस, कभी बैंक, तो कभी सरकारी अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं.

वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिला आपूर्ति विभाग द्वारा 11 लैंपसों में जिले भर के 2732 किसानों से तीन लाख 61 हजार 447 क्विंटल धान खरीदारी का लक्ष्य था, परंतु विभाग द्वारा यह लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सका. लक्ष्य के विरुद्ध महज 952 किसानों से 52 हजार 60 क्विंटल धान (31 मार्च 2019 तक) ही खरीदा जा सका.

इनमें 736 किसानों को उनके बेचे गये धान का पैसा तो दे दिया गया, परंतु 216 किसान वित्तीय वर्ष 2018-19 खत्म होने के बाद भी अब तक अपने पैसे के लिए दर-दर भटक रहे हैं. किसान कभी लैंपस, कभी बैंक, तो कभी सरकारी अधिकारियों (उपायुक्त, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी) के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. जहां अधिकारी किसानों का दु:खड़ा सुन तो रहे हैं, परंतु संभवत: पैसा भुगतान की दिशा में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. यही कारण है कि किसान दर-दर भटकने को विवश हैं.

ऐसा नहीं है कि विभाग के पास किसानों को देने के लिए पैसे नहीं हैं. पैसे तो हैं, परंतु किसानों को पैसा भुगतान का मामला विभागीय दावपेंच में फंस गया है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी यशमीता सिंह के पास अब तक जिले भर के लैंपसों से धान खरीद-बिक्री का हिसाब-किताब नहीं पहुंचा है. जिस कारण किसानों व लैंपसों में खरीदे गये धान का सत्यापन नहीं हो पाया है, जिससे किसानों के भुगतान का मामला लटका हुआ है.

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