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हर इंसान को स्वतंत्र रहने का अधिकार है : फादर सिप्रीयन

गुमला : गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर सिप्रीयन कुल्लू ने धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किये हैं. उन्होंने कहा है कि ईश्वर ने हर मनुष्य को स्वतंत्र रहने का अधिकार दिया है. मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार धर्म का चयन कर सकता है. ईश्वर खुद किसी बंधन में बंधे हुए नहीं हैं. […]

गुमला : गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर सिप्रीयन कुल्लू ने धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किये हैं. उन्होंने कहा है कि ईश्वर ने हर मनुष्य को स्वतंत्र रहने का अधिकार दिया है. मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार धर्म का चयन कर सकता है. ईश्वर खुद किसी बंधन में बंधे हुए नहीं हैं.
ईश्वर सभी जाति व धर्म के लिए हैं, फिर मनुष्य को किसी धर्म व जाति के बंधन में बांधना गलत है. लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य को एक विशेष धर्म व जाति में बांधने का प्रयास किया जा रहा है. यह गलत है. मनुष्य को अपना जीवन जीने का अधिकार है. उसे जीने दें. उसके जीवन में बाधा न बनें. जाति व धर्म के बीच राजनीति नहीं होनी चाहिए.
अगर राजनीति होती है, तो कोई व्यक्ति उससे प्रभावित नहीं होता है, बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि जब सभी को जीने का अधिकार प्राप्त है, तो फिर धर्म की राजनीति क्यों हो रही है.
इससे हमें बचने की जरूरत है. सभी धर्म व जाति के लोगों के लिए भी एक विचारणीय विषय है. धर्मांतरण को लेकर जिस प्रकार राज्य में हाय तौबा मचा है. क्या इससे कोई एक धर्म व जाति के लोग प्रभावित हैं. अगर आप सोचेंगे, तो देखेंगे कि इससे सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं. धर्मांतरण को लेकर हो रहे बवाल के बाद मेरा अपना मत है मनुष्य को मनुष्य ही रहने दें.
उन्हें किसी धर्म व जाति में बांधने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अगर एक मनुष्य को मंदिर, गिरजाघर, मस्जिद व गुरुद्वारा में जाकर पूजा करना व उससे सुकून प्राप्त करना है, तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए. जब सृष्टि का निर्माण हुआ होगा, तो यहां किसी प्रकार की जाति नहीं थी. कोई धर्म की बात नहीं करता था, लेकिन जैसे-जैसे मनुष्य आगे बढ़ रहा है, कुछ लोग धर्म के नाम पर लोगों को बांटते चले जा रहे हैं.
फादर ने कहा कि किसी धर्म में ईश्वर नहीं कहता कि तुम मेरी पूजा करो. लेकिन राजनीति दावंपेंच के खेल में अब मनुष्य को बाधित किया जा रहा है कि तुम इसी धर्म को मानो. यह गलत है. पूरे समाज को इसपर मंथन करने की जरूरत है. समाज की उन्नति तभी संभव है, जब हम एक सोच के साथ चलते हैं. इसलिए मेरी सोच है : हर कोई को स्वतंत्र रहने का अधिकार है. इस अधिकार को कोई न छीने.

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