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टाना भगत कॉलेज घाघरा : शिक्षा का मंदिर या लूट का अड्डा, जानें क्‍यों चर्चा में है कॉलेज

दुर्जय पासवान/अजीत गुमला : टाना भगत कॉलेज, घाघरा चर्चा में है. घाघरा से लेकर गुमला व रांची तक कॉलेज सुर्खियां बटोर रहा है. वजह, छात्रों का आंदोलन है. आंदोलन का कारण फीस के नाम पर विद्यार्थियों से अवैध वसूली है. शिक्षकों के कुछ नजदीकी लोगों को नौकरी भी दी गयी है. यह कॉलेज शिक्षा का […]

दुर्जय पासवान/अजीत
गुमला : टाना भगत कॉलेज, घाघरा चर्चा में है. घाघरा से लेकर गुमला व रांची तक कॉलेज सुर्खियां बटोर रहा है. वजह, छात्रों का आंदोलन है. आंदोलन का कारण फीस के नाम पर विद्यार्थियों से अवैध वसूली है. शिक्षकों के कुछ नजदीकी लोगों को नौकरी भी दी गयी है. यह कॉलेज शिक्षा का मंदिर है.
लेकिन विद्यार्थियों ने जिस प्रकार मामले का खुलासा किया है इससे सवाल खड़ा हो गया है कि कॉलेज शिक्षा का मंदिर है या फिर लूट का अड्डा. बहरहाल, विद्यार्थियों के आंदोलन के बाद केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत से लेकर गुमला प्रशासन गंभीर हो गया है. कॉलेज में अब तक क्या-क्या हुआ है, इसकी जांच चल रही है. जांच के बाद पता चलेगा कि छात्रों का आंदोलन कितना सही था. लेकिन जिस प्रकार का माहौल कॉलेज में उत्पन्न हुआ है, इसे बड़ी आसानी से कॉलेज प्रबंधन दूर कर सकता था. लेकिन कॉलेज प्रबंधन द्वारा उत्पन्न विवाद व समस्या को दूर करने का प्रयास सही ढंग से नहीं किया गया. इसके कारण 11 फरवरी से छात्रों द्वारा शुरू आंदोलन अब भी जारी है. हालांकि, उपायुक्त श्रवण साय के निर्देश पर जांच टीम में शामिल एसडीओ केके राजहंस की पहल से अभी छात्र शांत हुए हैं. लेकिन छात्रों का अल्टीमेटम है कि अगर प्राचार्य को कॉलेज से नहीं हटाया गया और प्रबंधन समिति को भंग नहीं किया गया तो मजबूरन छात्र कॉलेज से टीसी लेकर पलायन को विवश होंगे.
मामला, जो तूल पकड़ा
जैसा छात्रों ने बताया है. सबसे पहले जब पार्ट वन में विद्यार्थी एडमिशन के लिए आये, तो उनसे मनमाना फीस वसूला गया. किसी से 4500 तो किसी से 6000 रुपये तक लिया गया. विद्यार्थियों से पैसे का डील प्राचार्य जीतेंद्र साहू खुद अपने कक्ष में करते थे. इसके बाद पैसा जमा कराने के लिए प्राचार्य एक-एक कर विद्यार्थी को कॉलेज के बड़ा बाबू घुड़ा उरांव के पास ले जाते. साथ ही प्राचार्य द्वारा छात्रों को कहा जाता था कि रसीद के अलावा जो अतिरिक्त पैसा लिया जा रहा है. उसे अपने अभिभावक के पास ना बोलें. इसके बाद एक महीना गुजरते ही प्राचार्य ने फिर से उगाही का फार्मूला अपनाया. प्राचार्य ने कहा तुम लोगों का रजिस्ट्रेशन फेल हो गया है. इस कारण 500-500 रुपये फिर लगेगा. छात्रों ने 500 रुपये फिर दिये. जिसका कोई रसीद नहीं दिया गया. परीक्षा शुल्क किसी भी कॉलेज में नहीं लग रहा है. परंतु परीक्षा शुल्क के नाम पर 500-500 रुपये वसूला गया. फिर सेमेस्टर वन के फाइनल परीक्षा के लिए 2200 रुपये की मांग की गयी. जबकि अन्य कोई भी कॉलेजों में पैसा नहीं लिया जा रहा है. इस कारण विद्यार्थी आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर पढ़ाई छोड़ आंदोलन पर उतर आये.
छात्रों की बात
राजनीतिक शास्त्र के सेमेस्टर वन के छात्र अरविंद यादव ने कहा जब तक प्राचार्य को इस कॉलेज से नहीं हटाया जाता और प्रबंधन समिति को भंग नहीं किया जाता है, तब तक हम लोगों का आंदोलन चलता रहेगा. प्राचार्य की मनमानी अब नहीं चलेगी. कॉमर्स के छात्र प्रेम कुमार साहू ने कहा कि इस कॉलेज में प्राचार्य अपनी मर्जी से हर काम करते हैं, जो प्राचार्य का जय-जय कार करता है, प्राचार्य उन्हीं की सुनते हैं. अवैध पैसे की उगाही पर कुछ भी बोलने से तत्काल टीसी देकर लाल दागी मारने की धमकी देते हैं. भूगोल के छात्र अभिषेक कुमार ने कहा यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है. यहां के लोग मजदूरी कर अपने बच्चे को पढ़ा कर भविष्य सुधारना चाह रहे हैं. लेकिन प्राचार्य गरीब अभिभावक और विद्यार्थियों के सपनाें को कुचलने का प्रयास कर रहे हैं. इतिहास की छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा कि हम सभी प्रत्येक दिन कॉलेज आते हैं. पढ़ना चाहते हैं. लाइब्रेरी में पुस्तक रहते हुए भी पुस्तक की मांग की जाती है तो प्राचार्य द्वारा कहा जाता है कि पुस्तक नहीं है. तुम लोग अपना खरीद कर पढ़ो. यह पुस्तक बांटने के लिए नहीं मिला है. जबकि पुस्तकालय में पुस्तक भरा पड़ा है.
भूगोल की छात्रा अंबिका कुमारी ने बताया की उससे नामांकन के समय 4500 रुपये लिया गया था और मात्र 2500 रुपये का रसीद दिया गया था. प्राचार्य ने कहा था कि घर में अभिभावक को 2500 रुपये लगा है बोलना. अधिक पैसा लिया गया है, यह घर में अभिभावक को पता नहीं चलना चाहिए. भूगोल की छात्रा शुभा कुमारी ने कहा कि कॉलेज में एक व्याख्याता अरुणा लकड़ा हैं, जो बहुत ही अच्छे से हम लोगों को पढ़ातीं हैं. हम सभी उनसे पढ़ना चाहते हैं. लेकिन प्राचार्य द्वारा कहा जाता है जो भी अरूणा से पढ़ेगा उसको कॉलेज से निकाल दिया जायेगा. उनका क्लास करने से मना किया जाता है.
शिक्षकों की सुनिये
व्याख्याता अगस्टीन महेश कुजूर ने कहा पढ़ाई का सिलिसला जो चल रहा था, वह आंदोलन से पूरी तरह बाधित हो गया है. हम लोगों द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि बच्चों की मांग जल्द से जल्द पूरी हो और वे आंदोलन छोड़ दें. मानिक चंद साहू ने कहा बच्चों से बात हुई है.
उनके भविष्य को देखते हुए कॉलेज के रूटीन को बाधित नहीं किया जायेगा. विद्यार्थियों की मांग पर जांच चल रही है. शिवदयाल साहू ने कहा बच्चों का आंदोलन सही है. विद्यार्थियों से अवैध पैसे की वसूली की जा रही थी. इस बात काे स्वीकार बड़ा बाबू घुड़ा उरांव ने भी किया है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों पर विधि संगत कार्रवाई होनी चाहिए. कॉलेज में साल में एक बार अनुदान की राशि आती है. जिसे कर्मचारियों व व्याख्याताओं के बीच बांटा जाता है. आंतरिक स्रोत से आने वाले पैसे का भी बंटवारा नियम संगत कर्मचारियों के बीच किया जाता था. लेकिन पिछले दो वर्षों से सिर्फ अनुदान की राशि को ही बांटा जा रहा है. आंतरिक स्रोत वाले पैसे को नहीं बांटा जा रहा है और उसका कोई हिसाब नहीं है.
अभिभावकों की पीड़ा
अभिभावक महादेव चीक बड़ाईक ने बताया कि वह मजदूरी कर अपने बच्चे को ग्रेजुएशन करा रहे हैं. पैसा नहीं रहने के कारण वे रांची में नामांकन नहीं करा कर घाघरा में ही नामांकन कराये हैं. परंतु यहां तो रांची से भी अधिक पैसा लग जा रहा है. उन्होंने कहा इस तरह से हमेशा पैसे की उगाही की जायेगी तो वह अपने बच्चे को नहीं पढ़ा सकेंगे. अंत में उसे कोई दुकान में काम करने के लिए लगा देंगे. अभिभावक रामजी यादव ने कहा वह अपने बच्चे को अपने साथ दूसरे प्रदेश कमाने के लिए ले जायेंगे. क्योंकि इतना पैसा उनके पास नहीं है कि वह कॉलेज में पढ़ा सकें. हालांकि उनकी सोच थी कि वह अपने बच्चे को पढ़ा कर कोई पदाधिकारी बनायें. पर कॉलेज में अवैध तरीके से पैसे की मांग की जाती है. इतना अधिक पैसा देने में असमर्थ हैं.
शिक्षिका से भेदभाव
व्याख्याता अरुणा लकड़ा ने कहा कि प्राचार्य द्वारा उन्हें कॉलेज से निकाल देने की बात कही जाती है. पिछले एक साल से कॉलेज नहीं आने के लिए कहा जा रहा है. साथ ही उन्हें व्याख्याता कक्ष में भी बैठने नहीं दिया जाता. वह बाहर अकेले बैठ कर अपना क्लास लेती हैं और चली जाती हैं. कभी-कभी तो उनको उपस्थिति पंजी में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करने नहीं दी जाती है.
प्राचार्य जीतेंद्र का पक्ष
प्राचार्य जीतेंद्र साहू ने कहा पैसे की अवैध उगाही नहीं की गयी है. जिसका माइग्रेशन नहीं था, उससे कुछ पैसा अधिक लिया गया है. उसके पैसे को परीक्षा फॉर्म भरने में मेकअप किया जायेगा. प्राचार्य का कहना है कि ऐसे मात्र दो से तीन विद्यार्थी हैं. उन सभी विद्यार्थियों के पैसे को धीरे-धीरे करके मैनेज किया जायेगा. जान बूझ कर मामले को तूल दिया गया है और कॉलेज को बदनाम करने की साजिश की जा रही है. छात्रों से अपील है कि वे किसी के बहकावे में न आयें.
मिशन बदलाव ने की पहल
गुमला : घाघरा कॉलेज में उत्पन्न विवाद व छात्रों की मांग को लेकर मिशन बदलाव के सदस्य भूषण भगत, जितेश मिंज व कुणाल शर्मा ने रांची विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉक्टर दिवाकर मिंज से मुलाकात की.
कॉलेज की समस्या से अवगत कराते हुए छात्रों के भविष्य को देखते हुए समस्याओं को दूर करने की मांग की. इस पर डॉ मिंज ने कहा कि कॉलेज के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री सह सांसद सुदर्शन भगत हैं. मैंने कॉलेज की समस्या से उनको अवगत करा दिया है. अगर छात्रों से अवैध पैसा वसूला गया है तो इसमें जो लोग भी शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इधर, भूषण भगत ने कहा कि कॉलेज शिक्षा का मंदिर है. अगर छात्र आंदोलन करते हैं तो इस पर गंभीरता से विचार करते हुए उसका समाधान किया जाना चाहिए.
छात्रों के आंदोलन व मांगों की जानकारी के बाद मैंने मामले को गंभीरता से लेते हुए गुमला एसडीओ को जांच का आदेश दिया है. जांच के बाद जो रिपोर्ट प्राप्त होगी, उसके अनुसार कार्रवाई होगी.
श्रवण साय, उपायुक्त गुमला
बच्चों के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है. छात्र अगर आंदोलन कर रहे हैं तो इसमें जरूर कोई बात होगी. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. जांच के बाद कार्रवाई हो.
बॉबी भगत, कांग्रेस महिला अध्यक्ष

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