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झारखंड : बाल विवाह के सबसे अधिक मामले गोड्डा में….जानें बाकि जिलों में क्‍या है स्थिति

एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट : पहले देवघर जिले में होता था सर्वाधिक बाल विवाह रांची : कम उम्र की सबसे अधिक लड़कियां गोड्डा जिले में ब्याही जा रही हैं. इस जिले में कुल हो रही शादियों में से 63.5 फीसदी मामले में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को बालिका वधू बनना पड़ता है. इस […]

एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट : पहले देवघर जिले में होता था सर्वाधिक बाल विवाह
रांची : कम उम्र की सबसे अधिक लड़कियां गोड्डा जिले में ब्याही जा रही हैं. इस जिले में कुल हो रही शादियों में से 63.5 फीसदी मामले में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को बालिका वधू बनना पड़ता है. इस मामले में गढ़वा (58.8 फीसदी) तथा देवघर (52.7 फीसदी) क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर है. सबसे कम बाल विवाह सिमडेगा (14.7 फीसदी) में हो रहा है.
ये आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)- 4 के हैं. दरअसल, राज्य भर में लड़कियों की सुरक्षा या परंपरा के नाम पर मां-बाप बच्चियों की शादी कम उम्र में कर देते हैं. यह कुप्रथा व अज्ञानता के साथ-साथ लैंगिक भेदभाव का मामला भी है.
गौरतलब है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अांकड़े के अनुसार बाल विवाह के मामले में झारखंड का स्थान पश्चिम बंगाल, राजस्थान व बिहार के बाद देश भर में चौथा (38 फीसदी) है. इससे पहले राजस्थान (51.2 फीसदी) तथा बिहार (49.2 फीसदी) के बाद इसका तीसरा (45.2 फीसदी) स्थान था.
गिरिडीह में सुधार, यूनिसेफ व जागो फाउंडेशन का प्रयास : एनुअल हेल्थ सर्वे (एएचएस) 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह के सर्वाधिक मामले देवघर जिले में थे. इसके बाद गिरिडीह में सर्वाधिक बाल विवाह होता था. वर्ष 2013 में गिरिडीह जिले में करीब 25 हजार शादियां हुई.
इनमें से 15 हजार मामले बाल विवाह के थे. पर संयुक्त राष्ट्र संघ बाल अापात कोष (यूनिसेफ) तथा एनजीअो जागो फाउंडेशन की मदद से चले बाल विवाह विरोधी अभियान के कारण गिरिडीह जिले की स्थिति में सुधार आया है. जिले की 10 पंचायतों के 65 गांवों में यह अभियान अब भी चल रहा है. इससे ग्रामीण, पंचायती राज प्रतिनिधि, धार्मिक गुरु व सामाजिक संगठन कम उम्र की बच्चियों की शादी के खिलाफ खड़े हो रहे हैं.
विभिन्न जिलों में बाल विवाह की क्या है स्थिति
जिले का नाम मामला (%में)
गोड्डा 63.5
गढ़वा 58.8
देवघर 52.7
गिरिडीह 52.6
कोडरमा 50.8
चतरा 49.0
दुमका 47.4
जामताड़ा 44.7
पाकुड़ 41.9
जिले का नाम मामला (%में)
हजारीबाग 40.8
पलामू 40.5
साहेबगंज 38.4
लातेहार 37.1
सरायकेला 33.2
बोकारो 30.6
धनबाद 29.9
लोहरदगा 28.5
रांची 28.1
जिले का नाम मामला (%में)
खूंटी 27.8
रामगढ़ 27.7
पू. सिंहभूम 26.1
गुमला 24.0
प.सिंहभूम 21.3
सिमडेगा 14.7
झारखंड 38
(आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4 के)
बाल विवाह के दुष्परिणाम
मातृ व शिशु मृत्यु तथा कुपोषण का कारण
लड़कियों को पढ़ाई छोड़ने पर विवश करता है
लड़कियों के खिलाफ हिंसा व दुर्व्यवहार का खतरा
बाल विवाह के तथ्य
झारखंड गठन के बाद से अब तक राज्य में करीब 27 लाख बाल विवाह
राज्य में हर वर्ष करीब 3.5 लाख विवाह, इनमें से 1.5 लाख बाल विवाह

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