32.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

जॉब के नाम पर शोषण कर रहे कई कोचिंग सेंटर

गिरिडीह : एक ओर बेहतर शिक्षा की गारंटी देते ब्रांडेड स्कूल-कॉलेजों में भारी भरकम फीस तो दूसरी ओर कॅरियर का ख्वाब बेचनेवाले महंगे होते कोचिंग सेंटर. स्कूल-कॉलेज से निकले तो कोचिंग सेंटर में उलझे अभिभावक कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हैं. अधिक नंबरों से पास कराने की गारंटी के नाम पर कई कोचिंग […]

गिरिडीह : एक ओर बेहतर शिक्षा की गारंटी देते ब्रांडेड स्कूल-कॉलेजों में भारी भरकम फीस तो दूसरी ओर कॅरियर का ख्वाब बेचनेवाले महंगे होते कोचिंग सेंटर. स्कूल-कॉलेज से निकले तो कोचिंग सेंटर में उलझे अभिभावक कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हैं. अधिक नंबरों से पास कराने की गारंटी के नाम पर कई कोचिंग सेंटर मोटी रकम वसूल रहे हैं.
शहरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोचिंग सेंटर चलाये जा रहे हैं. शिक्षा के व्यापार की दुकान पर सुनहरे सपने बेचे जा रहे हैं. बेरोजगार युवकों का भावनात्मक शोषण कर आर्थिक दोहन किया जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम आने पर ऐसे युवक-युवतियां ठगा महसूस करते हैं.
जीएसटी के नाम पर मनमानी वसूली : जहां एक ओर स्कूलों की भारी भरकम फीस तो दूसरी ओर ट्यूशन फीस. बच्चों के अभिभावक कर्ज तले दबे जा रहे हैं. कोचिंग संचालक अधिक नंबरों से पास करवाने के नाम पर मोटी और मनमानी फीस वसूल रहे हैं. दूसरी तरफ जीएसटी के नाम पर भी इन्होंने खेल शुरू किया है. अभिभावकों को लूटना शुरू कर दिया है. इस बाबत अभिभावक रितेश प्रसाद ने बताया कि पहले कोचिंग की फीस 300 रुपये थी, पर कुछ दिन पहले बच्चे ने बताया की जीएसटी की वजह से फीस बढ़ाकर 400 कर दी है. इस तरह मनमानी फीस लेकर अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है. अभिभावकों से जीएसटी लेने का क्या मतलब .
बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहा व्यापार : शहर में अधिकांश कोचिंग सेंटर्स बिना पंजीकरण के ही बड़ी आसानी से फल-फूल रहे हैं. यही नहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर भी ठीक नहीं. एक-दो कमरे में ही सभी को भेड़-बकरियों की तरह बैठा कर पढ़ाया जाता है. यहां तक कि शहर के कई मुहल्लों में धड़ल्ले से कोचिंग चलाये जा रहे हैं. एक-एक कक्षा में कम से कम 30 से 40 तक बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं. जिससे वहां रहने वाले लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पङता है.
आरटीइ के नियंत्रण से बाहर हैं कोचिंग : जिला शिक्षा उपाधीक्षक मिथिलेश कुमार पांडेय का कहना है कि कोचिंग सेंटर आरटीइ के नियंत्रण से बाहर है. यह भी कहा कि शिक्षित बेरोजगार युवक कोचिंग सेंटर चलाकर अपना जीविकोपार्जन करते हैं. कहा कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है. अगर विभागीय उच्चाधिकारियों का आदेश मिले तो ही कोचिंग सेंटरों की जांच-पड़ताल की जा सकती है.
केस स्टडी 1 : सपने दिखाकर मोटी रकम वसूली गयी
शहरी क्षेत्र के बरगंडा में संचालित एक कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले छात्र अभिमन्यु कुमार ने बताया कि वह दो वर्षों से एसएससी की तैयारी कर रहा है. तैयारी शुरू करते वक्त पूरे कोर्स के लिए 2800 रु बतौर फीस ली गयी. पिछले दो वर्षों तक मैंने उसी कोचिंग सेंटर में तैयारी की थी, पर अब मैं ठगा हुआ महसूस कर रहा हूं. सपने दिखाकर मोटी रकम वसूली गयी है.
केस स्टडी 2 : तीन साल हो गये, नहीं मिला जॉब
शहरी क्षेत्र के मकतपुर में कोचिंग करने वाली पूजा कुमारी ने कहा कि उसने वर्ष 2015 में स्नातक पास कर बैंकिंग की तैयारी शुरू की थी. एक कोचिंग सेंटर में अपना नामांकन करवाया. उस वक्त बैंकिग की तैयारी के लिए 15 हजार रुपये दिये. लगातार तीन वर्ष तक मुझसे हर साल 15-15 हजार रुपये लिये गये. सच तो यह है कि अभी तक मुझे जॉब नहीं मिल पाया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें