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कहीं आभासी मुद्रा बिटक्वाइन को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं कराये जा रहे साइबर हमले!

नयी दिल्ली : इस समय दुनिया भर के करीब 150 देशों की 2 लाख से अधिक कंपनियों पर साइबर हमलों का खतरा मंडरा रहा है. इसके दो दिन पहले दुनिया भर के हैकरों ने फिरौती की वसूली के लिए ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत करीब 90 देशों में ‘रैनसमवेयर’ साइबर हमले किया […]

नयी दिल्ली : इस समय दुनिया भर के करीब 150 देशों की 2 लाख से अधिक कंपनियों पर साइबर हमलों का खतरा मंडरा रहा है. इसके दो दिन पहले दुनिया भर के हैकरों ने फिरौती की वसूली के लिए ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत करीब 90 देशों में ‘रैनसमवेयर’ साइबर हमले किया था. इस बीच, खबर यह भी आ रही है कि दुनिया भर के देशों में साइबर हमले करने वाले आभासी दुनिया के अपराधी पीड़ित देशों अथवा कंपनियों से फिरौती के रूप में बिटक्वाइन की मांग करते हैं, जिसकी वसूली के बाद वे अपनी सहूलियत के हिसाब से उसे भौतिक मुद्रा में तब्दील कर लेते हैं.

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बताया यह जा रहा है कि अभी तक इन साइबर अपराधियों ने करीब 32 हजार डॉलर यानी 20,500 लाख रुपये के मूल्य तक की राशि की वसूली इस बिटक्वाइन के जरिये कर लिया है. इस बीच, आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि दुनिया भर में साइबर हमले कर आभासी मुद्रा में फिरौती की मांग कहीं बिटक्वाइन को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं की जा रही है.

फिलहाल, बिटक्वाइन का सबसे अधिक इस्तेमाल उत्तर और दक्षिण अमेरिकी देशों के अलावा पश्चिमी यूरोप में सबसे अधिक किया जाता है. इसका लेन-देन बेनाम तरीके से अत्याधिक इनक्रिप्टेड कोड से किया जा सकता है और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगती. वर्ष 2008 के दौरान पूरी दुनिया में आर्थिक महामंदी आने के बाद इस आभासी मुद्रा के प्रचलन को लेन-देन के तौर-तरीकों में इस्तेमाल के लिए इस आभासी दुनिया को ईजाद किया गया, जिसका इस समय फिरौती वसूली के लिए उपयोग में लाया जा रहा है.

क्या है बिटक्वाइन

सही मायने में देखा जाये, तो बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी है, जिसका बैंक के बिना ही लेन-देन किया जाता है. बिटक्वाइन का इस्तेमाल इंटरनेट पर रुपये और दूसरी मुद्राओं के लेन-देन के लिए किया जाता है. चूंकि, इंटरनेट दुनिया की यह आभासी मुद्रा किसी कानून के दायरे में नहीं आती, इसलिए इस पर कानूनन कोई कार्रवाई करना भी आसान नहीं है. बताया यह जा रहा है कि यह आभासी मुद्रा किसी देश या सरकार की नहीं है. कुछ ऑनलॉइन पोर्टल इसे स्वीकार भी कर रहे हैं, तो चीन जैसे देशों ने इसका विरोध करते हुए इस पर रोक लगा दी है. पहले तो यह कि इंटरनेट से जुड़ी किसी समस्या का हल करने से बिटक्वाइन मिलते हैं. इसके अलावा इसे पैसे देकर भी खरीदा जा सकता है.

खरीद-बिक्री और लेन-देन में होता है इस्तेमाल

बिटक्वाइन का इस्तेमाल फंड ट्रांसफर, इंटरनेट पर सीधे लेन-देन, सामान खरीदने और गैरकानूनी खरीद-बिक्री में होता है. भारत में बिटक्वाइन के ट्रांजैक्शन का प्लैटफॉर्म https://support.buysellbitco.in/support/home पर उपलब्ध है. हालांकि, बिटक्वाइन को लेकर कुछ सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं. जैसे कि इसके दाम में बेलगाम उतार-चढ़ाव रहता है. बिटक्वाइन किसी सेंट्रल बैंक के नियंत्रण में नहीं है और इसका सौदा किससे हुआ, ये पता लगा पाना आसान भी नहीं है. इसीलिए किसी भी देश अथवा कंपनी पर फिरौती की वसूली के लिए साइबर हमला करने वाले पीड़ित देश अथवा कंपनी से नकदी रकम के बजाय बिटक्वाइन की मांग करते हैं. इस समय रैनसमवेयर के जरिये विभिन्न देशों में साइबर हमले के जरिये करीब 32 हजार डॉलर यानी 20,500 लाख रुपये की वसूली फिरौती के रूप में की जा चुकी है.

किसने बनाया आभासी मुद्रा बिटक्वाइन

सबसे पहले वर्ष 1998 में वेई दाई (wei dai) की ओर से साइफरमपंक्स की मेलिंग सूची पर आभासी मुद्रा के तौर पर क्रिप्टो मुद्रा यानी बिटकौन की अवधारणा को पेश किया गया. इसे पेश किये जाने के पीछे सबसे बड़ी वजह मुद्रा को एक नया रूप देते हुए निर्माण और सौदे को नियंत्रित करते हुए केंद्रीय सत्ता के विरोध में क्रिस्टोग्राफी को इस्तेमाल करना था. इस मुद्रा का सबसे पहली बार वर्ष 2009 में सैतोशी नकामोटा द्वारा किया गया था. हालांकि, उस समय तक यह पता नहीं चल पाया था कि इस आभासी मुद्रा का सबसे पहले इस्तेमाल करने वाला सतोशी नकामोटो किस देश का निवासी है. इसके एक साल बाद वर्ष 2010 में उसने इस पर अपना दावा भी छोड़ दिया था. इसके बाद से ही, इस आभासी मुद्रा का दुनिया भर में बिटक्वाइन से प्रचलन बढ़ गया और आज साइबर हमले के बाद फिरौती वसूली में इस्तेमाल किया जा रहा है.

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