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रोहिणी से आया मोर मंदिर के गुंबद पर चढ़ा

देवघर : महाशिवरात्रि के दिन परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर के गुंबद पर सबसे पहला मोर रोहिणी से लाकर चढ़ाया गया. उसके बाद लोगों ने काफी संख्या में शिखर पर माेर चढ़वाये. मान्यता है कि जिसकी शादी में देरी हो रही है, वे बाबा को मोर चढ़ाने की बात को मन में रख भगवान शिव […]

देवघर : महाशिवरात्रि के दिन परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर के गुंबद पर सबसे पहला मोर रोहिणी से लाकर चढ़ाया गया. उसके बाद लोगों ने काफी संख्या में शिखर पर माेर चढ़वाये. मान्यता है कि जिसकी शादी में देरी हो रही है, वे बाबा को मोर चढ़ाने की बात को मन में रख भगवान शिव से शादी की कामना करते हैं. इससे उनकी शादी जल्द हो जाती है. कामना पूर्ण होने के बाद महाशिवरात्रि पर मोर चढ़ाने की पंरपरा वर्षों से चली आ रही है. बाबा मंदिर के पूरब द्वारा में दर्जनों मोर बेचने वाले सुबह से ही दुकान सजाये बैठे दिखे.
विधिवत पूजा के बाद भेजा गया रोहिणी का मोर मुकुट
देवघर : महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा बैद्यनाथ की शादी का सामान व बाबा के लिए मोर मुकुट रोहिणी के ई-स्टेट घाटवाल परिवार की ओर से बाबाधाम भेजा गया. घाटवाल परिवार के वंशज संजीव कुमार देव व चिरंजीव देव ने बताया कि उनके पूर्वज रानी कस्तूरबा कुमारी के शासनकाल से ही महाशिवरात्रि के अवसर पर सामग्री भेजने की परंपरा की शुरुआत हुई थी.
परंपरा के अनुसार विवाह सामग्री में मोर मुकुट, सिंदूर, पटवासी, साड़ी, धोती, गंजी, गमछा, लहठी समेत अन्य सामग्री होती हैं. रोहिणी के शिव मंदिर परिसर में रखकर आचार्य उपेंद्रनाथ पांडेय की देखरेख में पंडितों ने मंत्रोच्चार कर विधि-विधान के साथ पूजा की. इस अवसर पर जागु पांडे, सुधीर देव, गौतम मिश्रा, सदाशिव राणा, भास्कर पांडे आदि थे.

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