37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

पूर्व क्रिकेटरों से इस बात पर नाराज है यह मशहूर कमेंटेटर, जानें पूरा मामला…!

पद्मश्री से सम्मानित मशहूर खेल कमेंटेटर सुशील दोषी खासकर टीवी चैनलों पर ज्यादातर पूर्व क्रिकेटरों की हिंदी कमेंटरी के गिरते स्तर के कारण बेहद खफा हैं. उनका कहना है कि क्रिकेट को देश के घर-घर तक पहुंचाने वाली जुबान से इन कमेंटेटरों का खिलवाड़ रोकने के लिए बीसीसीआई को अपनी जिम्मेदारी निभानी ही चाहिए. अगले […]

पद्मश्री से सम्मानित मशहूर खेल कमेंटेटर सुशील दोषी खासकर टीवी चैनलों पर ज्यादातर पूर्व क्रिकेटरों की हिंदी कमेंटरी के गिरते स्तर के कारण बेहद खफा हैं. उनका कहना है कि क्रिकेट को देश के घर-घर तक पहुंचाने वाली जुबान से इन कमेंटेटरों का खिलवाड़ रोकने के लिए बीसीसीआई को अपनी जिम्मेदारी निभानी ही चाहिए.

अगले साल खेल कमेंट्री की दुनिया में 50 साल पूरे करने जा रहे दोषी ने इंदौर में कहा, ज्यादातर पूर्व क्रिकेटर व्याकरण के हिसाब से निहायत गलत और अशुद्ध हिंदी बोल कर कमेंट्री कर रहे हैं.

नतीजतन खासकर टीवी चैनलों पर हिंदी को उचित मान-सम्मान नहीं मिल रहा है. उन्होंने शहर के जावरा कम्पाउंड इलाके में स्थित अपने घर पर कहा, हिंदी वह जुबान है जिसने भारत में क्रिकेट को मशहूर करने में अहम भूमिका निभायी है.

बड़े दर्शक और श्रोता वर्ग के कारण हिंदी का महत्व दिनों-दिन बढ़ ही रहा है. लेकिन मुझे अफसोस है कि देश में पूर्व क्रिकेटरों की गलत हिंदी कमेंट्री खामोशी से सहन की जा रही है.

कमेंटरी के नाम पर इस भाषा से पूर्व क्रिकेटरों का खिलवाड़ बंद होना चाहिये. दोषी ने कहा, अच्छे कमेंटेटरों से मुझे कोई शिकायत नहीं है. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर अच्छी हिंदी कमेंट्री कर लेते हैं.

पूर्व बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू भी हिंदी कमेंटेटर के रूप में खासे लोकप्रिय हैं. भाषाई शुद्धता की कसौटी पर हिंदी और अंग्रेजी कमेंट्री की तुलना करते हुए वह सवाल करते हैं, क्या टीवी चैनलों पर कमेंट्री के दौरान गलत अंग्रेजी बोली जा सकती है.

मुझे याद है कि दक्षिण अफ्रीका में कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने जब एक बार कमेंट्री के वक्त व्याकरण की दृष्टि से गलत अंग्रेजी बोली थी, तो वहां के अखबारों में उनकी कड़वी आलोचना की गयी थी.

दोषी ने जोर देकर कहा कि कमेंट्री की दुनिया में हिंदी की अस्मिता की रक्षा की जिम्मेदारी से बीसीसीआई पल्ला नहीं झाड़ सकता. 70 वर्षीय कमेंटेटर ने कहा, बीसीसीआई टीवी चैनलों को क्रिकेट मैचों के प्रसारण के अधिकार बेचता है.

लेकिन इस देश में हिंदी भाषा की अस्मिता को हरगिज नहीं बेचा जा सकता. बीसीसीआई को मैचों के प्रसारण अधिकार बेचने के अनुबंध में विशेष प्रावधान करने चाहिए, ताकि संबंधित टीवी चैनलों पर शुद्ध हिंदी कमेंट्री सुनिश्चित हो सके.

दोषी ने यह भी कहा कि बीसीसीआई को अच्छे हिंदी कमेंटेंटरों का चुनाव कर एक पैनल तैयार करनी चाहिए. इसके साथ ही, पूर्व क्रिकेटरों को हिंदी कमेंट्री का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

वह इस बात से कतई सहमत नहीं हैं कि अच्छी क्रिकेट कमेंट्री के लिए एक पेशेवर खिलाड़ी के रूप में खेल की बारीकियां जाननी अनिवार्य है. हिंदी के सबसे ज्यादा अनुभवी खेल कमेंटेटरों में शामिल इस हस्ती ने कहा, क्रिकेट कोई रॉकेट साइंस नहीं है.

कोई गैर खिलाड़ी कमेंटेटर भी अध्ययन और मनन के जरिये इस खेल की बारीकियां समझकर अच्छी कमेंट्री कर सकता है. इस सिलसिले में हमारे पास उदाहरणों की कोई कमी नहीं है.

हिंदी कमेंट्री करने वाले कुछ पूर्व क्रिकेटरों का नाम लिये बगैर वह कटाक्ष करते हैं, हिंदी कमेंट्री की दुनिया में कुछ ऐसे पूर्व क्रिकेटर भी सक्रिय हैं, जिन्होंने अपने करियर में इक्का-दुक्का टेस्ट मैच खेले हैं और इनमें उन्हें नाकाम होते देखा गया है.

लेकिन आज वे कमेंटेटर के रूप में देश के स्टार क्रिकेटरों के खेल की कुछ इस तरह कमियां निकालते हैं, मानो मौजूदा खिलाड़ियों को खेलना ही नहीं आताहै. उन्होंने कहा, मैंने तो अपनी पारी खेल ली.

मैं बस इतना चाहता हूं कि नयी पीढ़ी को शुद्ध हिंदी कमेंट्री सुनने को मिले और इस भाषा की गरिमा बरकरार रह सके. दोषी ने वर्ष 1968 में मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच इंदौर के नेहरु स्टेडियम में खेले गये रणजी मैच के लिए पहली बार हिंदी में कमेंट्री की थी.

गुजरे 49 सालों में वह अलग-अलग रेडियो और टेलीविजन चैनलों के लिए 400 से ज्यादा एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों और टी-20 मैचों की कमेंट्री कर चुके हैं. इसके अलावा, उन्होंने 85 से ज्यादा टेस्ट मैचों के लिए भी कमेंट्री की है.

दोषी संभवत: ऐसे अकेले हिंदी कमेंटेटर हैं, जिन्होंने क्रिकेट के एक दिवसीय और टी-20 प्रारूपों के कुल जमा 10 विश्व कपों का आंखों देखा हाल श्रोताओं और दर्शकों को सुनाया है. खेल कमेंट्री की दुनिया में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से वर्ष 2016 में नवाजा गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें