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जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने कर्ज समाधान योजना को मंजूरी, कर्जदाता होंगे सबसे बड़े शेयरधारक

नयी दिल्ली : कर्ज में फंसी निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने गुरुवार को बैंक की अगुवाई में तैयार कर्ज समाधान योजना (बीएलआरपी) को मंजूरी दे दी. इसके तहत, कर्जदाताओं के कर्ज को इक्विटी शेयर में बदला जायेगा. इससे वे एयरलाइन के सबसे बड़े शेयरधारक बन जायेंगे. रिजर्व बैंक के 12 […]

नयी दिल्ली : कर्ज में फंसी निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने गुरुवार को बैंक की अगुवाई में तैयार कर्ज समाधान योजना (बीएलआरपी) को मंजूरी दे दी. इसके तहत, कर्जदाताओं के कर्ज को इक्विटी शेयर में बदला जायेगा. इससे वे एयरलाइन के सबसे बड़े शेयरधारक बन जायेंगे. रिजर्व बैंक के 12 फरवरी, 2018 के परिपत्र के अंतर्गत करीब 8,500 करोड़ रुपये के वित्त की कमी को पूरा करने के तहत कर्ज पुनर्गठन का प्रस्ताव किया गया है.

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एयरलाइन ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि समाधान योजना में कर्जदाताओं को इक्विटी शेयर आवंटित करने का विचार है. इसके तहत, कर्जदाताओं के कर्ज को 10-10 रुपये के 11.40 करोड़ शेयरों में तब्दील करने का प्रस्ताव है. इससे एयरलाइन को कर्ज दे रखे कर्जदाता कंपनी में सबसे बड़े शेयरधारक बन जायेंगे. योजना के तहत कर्जदाताओं के प्रतिनिधि एयरलाइन के निदेशक मंडल में नियुक्त किये जायेंगे.

बीएलपीआरपी में इस बात पर जोर दिया गया है कि कंपनी 21 फरवरी को होने वाली शेयरधारकों की बैठक में जरूरी मंजूरी प्राप्त करेगी. दिसंबर, 2018 की स्थिति के अनुसार, एयरलाइन के प्रवर्तक नरेश गोयल की कंपनी में 51 फीसदी जबकि एतिहाद एयरवेज की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एयरलाइन के ऊपर 30 सितंबर, 2018 तक कुल 8,052 करोड़ रुपये का कर्ज था.

समाधान योजना में 8,500 करोड़ रुपये के वित्त की कमी का अनुमान लगाया है. इसमें विमान कर्ज के एवज में 1,700 करोड़ रुपये के भुगतान का प्रस्ताव शामिल है. इस कमी को शेयर पूंजी डालने, कर्ज पुनर्गठन, बिक्री/पट्टा वापसी/विमान का पुनर्वित्त समेत अन्य माध्यमों से पूरा करने की बात कही गयी है. प्रस्तावित समाधान योजना को विचार के लिए बैंकों के समूह, भारतीय बैंक संघ की निगरानी समिति, एतिहाद एयरवेज और प्रवर्तकों के समक्ष रखा जायेगा.

बीएलपीआरपी में घरेलू कर्जदाताओं द्वारा उपयुक्त अंतरिम कर्ज सुविधा की मंजूरी की भी बात कही गयी है. इस योजना को लागू करने से पहले सेबी, नागर विमानन मंत्रालय और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से मंजूरी ली जायेगी. दिसंबर, 2018 को समाप्त तिमाही में एयरलाइन को एकल आधार पर 587.77 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ.

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