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कोलकाता : आयुर्वेद परिषद के रजिस्ट्रार के लिए संस्कृत की डिग्री भी अनिवार्य, आयुर्वेद चिकित्सकों में गहरा रोष

कोलकाता : जहां एक ओर आयुर्वेद समकालीन स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान हेतु प्रभावी, कुशल, सस्ती और समग्र चिकित्सा पद्धति के रूप में फिर से अपनी पैठ बना रही है वहीं दूसरी इस इसमें कैरियर बनाने के लिए आयर्वुेद विद्यार्थियों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में एक तो पहले ही अवसर […]

कोलकाता : जहां एक ओर आयुर्वेद समकालीन स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान हेतु प्रभावी, कुशल, सस्ती और समग्र चिकित्सा पद्धति के रूप में फिर से अपनी पैठ बना रही है वहीं दूसरी इस इसमें कैरियर बनाने के लिए आयर्वुेद विद्यार्थियों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में एक तो पहले ही अवसर की कमी है और जो थोड़ा-बहुत मौका भी है उसके लिए आयुर्वेद के विद्यार्थियों को प्राथमिकता ना देकर संस्कृत डिग्रीधारियों को महत्ता दी जा रही है.
हाल ही में पश्चिम बंगाल आयुर्वेद परिषद की ओर से रजिस्ट्रार पद की नियुक्त के लिए निर्देशिका जारी की गयी हैं, जिसमें आयुर्वेद शिरोमणि डिग्री या बैचलर अॉफ आयुर्वेद मेडिसीन एंड सर्जरी (बीएएमएस) के साथ-साथ संस्कृत विषय से ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन करनेवाले उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं. इसकी अंतिम तारीख 26 दिसंबर है. रजिस्ट्रार पद के आवेदन के ये मापदंड आयुर्वेद चिकित्सकों के पल्ले नहीं पड़ रहा है. क्योंकि आयुर्वेद शिरोमणि की डिग्री काफी पुरानी है.
अब आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले छात्र (बीएएमएस) डिग्री धारी होते हैं. इस विषय में आयुर्वेद के एक वैद्य ने अपना रोष जताते हुए बताया कि वर्तमान समय में बीएएमएस की डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों को साइंस से 12 वीं (साइंस) के साथ फिजिक्स , केमिस्ट्री और बायोलॉजी में 50 फीसदी अंक रहना अनिर्वाय होता है. इसके साथ राष्ट्रीय स्तर पर नैशनल इलिजिबिलिटी कम ऐंट्रेंस टेस्ट (नीट) क्वालीफाई करना पड़ता है.
ऐसे एक छात्र संस्कृत की भी डिग्री ले यह कैसे संभव है. उनका कहना है कि यह सब सोची-समझी रणनीति है. अपने किसी खास व्यक्ति को उक्त पद पर बैठाने की लिए तभी तो उम्मीदावारों से इस तरह की पात्रता की मांग की गयी है. पश्चिम बंगाल आयुर्वेद परिषद बीएएमएस, एमडी, फार्मासिस्ट बी फार्मा और डी फार्मा कर चुके आयुर्वेद विशेषज्ञों को रजिस्ट्रेशन देता है.
जल्द ही मेडिकल कॉलेज में होगा रेनल ट्रांसप्लांट
कोलकाता. कॉलेज स्क्वायर स्थित कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल देश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज में शामिल है. साथ ही पूर्वी भारत का यह पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, जहां दो सफल व नि:शुल्क हर्ट ट्रांसप्लांट किया गया है.
अस्पताल के इस परफॉर्मेंस से राज्य सरकार भी संतुष्ट है. हाल में ही मेडिकल कॉलेज को हृदय प्रत्यारोपण के लिए लाइसेंस मिला था. अब मेडिकल को जल्द ही रेनल (किडनी) ट्रांसप्लांट के लिए भी लाइसेंस मिल जायेगा.
किडनी ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए अस्पताल के संबंधित विभाग के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है. अस्पताल में हाल में ही एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया था, जहां रेनल ट्रांसप्लांट करने वाले विशेषज्ञों ने चिकित्सकों का मार्ग दर्शन किया.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रेनल ट्रांसप्लांट के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए मेडिकल कॉलेज ने स्वास्थ्य विभाग में आवेदन किया है. वहीं अस्पताल व नेफ्रोलॉजी विभाग के आधर भूत ढांचे में भी सुधार की गयी है. आरओटीटीओ (रोटो) व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अस्पताल के उक्त विभाग का निरीक्षण कर जल्द ही उक्त लाइसेंस प्रदान कर सकता है.
विदित हो कि अब तक यह लाइसेस पीजी को प्राप्त था. अब अगर मेडिकल कॉलेज को भी रेनल ट्रांसप्लांट के लिए लाइसेंस मिल जाता है, तो जरूरत मंद लोग लाभान्वित होंगे. वहीं ऑर्गन ट्रांसप्लांटके मामले में पश्चिम बंगाल का ग्राफ उपर की ओर बढ़ेगा.
विदित हो कि हृदय ट्रांसप्लांट के लिए जल्द ही पीजी को भी लाइसेंस मिल सकता है. हृदय प्रत्यारपोण के लिए यहां के चिकित्सक दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सकों से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. वहीं हृदय के प्रत्यारोपण के लिए पीजी के सीटीवीएस विभाग के आधारभूत ढांचे में भी सुधार की गयी है.

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