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कसमार : सैलानियों को सहज ही लुभाते कसमार के पिकनिक स्पॉट

दीपक सवाल कसमार : विकास के आधुनिक मापदंड में कसमार प्रखंड को भले ही पिछड़ा माना जाता है, लेकिन प्राकृतिक, ऐतिहासिक व धार्मिक विशेषताओं वाले कई स्थल इस प्रखंड की अलग तरह की विशिष्टता का एहसास कराता है़ प्रकृति की खूबसूरत वादियों में स्थित ये स्थल सैलानियों को सहज लुभाते हैं. इनमें मृग खोह, सेंवाती […]

दीपक सवाल
कसमार : विकास के आधुनिक मापदंड में कसमार प्रखंड को भले ही पिछड़ा माना जाता है, लेकिन प्राकृतिक, ऐतिहासिक व धार्मिक विशेषताओं वाले कई स्थल इस प्रखंड की अलग तरह की विशिष्टता का एहसास कराता है़ प्रकृति की खूबसूरत वादियों में स्थित ये स्थल सैलानियों को सहज लुभाते हैं. इनमें मृग खोह, सेंवाती घाटी, राम-लखन टुगरी, दुर्गा पहाड़ी, छलछलिया, हिसीम-केदला पहाड़ी का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है़ ये यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के साथ-साथ पिकनिक स्पॉट भी है़ नये साल में पिकनिक मनाने वालों का जमघट इन स्थल पर लगता है. आसपास के गांवों के लोग ही नहीं, दूर-दराज से भी काफी संख्या में लोग पिकनिक के बहाने इन स्थलों का लुत्फ उठाते हैं. ये सभी स्थल पौराणिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक तौर पर भी महत्व रखते हैं.
झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर सेवाती घाटी स्थित है. क्षेत्र के प्रमुख रमणीय स्थलों में इसकी गिनती होती है़ यहां का झरना व प्राकृतिक छटा मनमोहक है़ मकर संक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 16 जनवरी को विशाल टुसू मेला लगता है़ सीमा पर होने के कारण दोनों राज्यों से महिला-पुरुषों की भीड़ उमड़ती है. मौके पर झरना में असंख्य टुसुओं का विसर्जन पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ होता है़ हाल के कुछ वर्षों में मेला में उमड़ने वाली भीड़ में काफी वृद्धि हुई है़ इस घाटी के साथ कई प्रकार की धार्मिक बातें भी जुड़़ी हुई है़ घाटी में करीब 200 फुट की उंचाई से बहता झरना यहां की प्राकृतिक खूबसूरती में चार चांद लगाता है़
दुर्गा पहाड़ी : क्षेत्र का आकर्षण है यहां की पहाड़ी
दुर्गापुर पंचायत स्थित दुर्गा पहाड़ी न सिर्फ प्राकृतिक खूबसूरती, बल्कि धार्मिक-सामाजिक मान्यताओं की ऐतिहासिक घटनाक्रमों से जुड़ी कई बातें अपने साथ समेटे हुए है. इस पहाड़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावना है़ पहाड़ी की बनावट हजारीबाग के प्रसिद्ध कनहरी पहाड़ी से मेल खाती है़ पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के लिए एक पगडंडी है़ करीब 650 फुट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के बाद लोगों को एक अजीब सा सुकून मिलता है़ पहाड़ी की तलहटी पर ऐतिहासिक इमारतों के अवशेष आज भी बिखरे पड़े हैं.
मृगखोह : यहां आये थे भगवान राम!
प्रखंड के डुमरकुदर गांव के पास हिसीम-केदला पहाड़ी श्रंखला में मृगखोह नाम स्थल है़ कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम का आगमन यहां पर हुआ था़ तब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास में थे़ सीता मइया की जिद व इच्छा को पूरी करने के लिए स्वर्ण मृग का पीछा करते हुए यहां तक पहुंचे थे़ कहा जाता है कि यहां पर स्वर्ण मृग को एक खोह में प्रवेश होता देखकर भगवान श्रीराम ने अपने धनुष से तीर चलाया था़ वह तीर खोह के जिस हिस्से में टकराया था, वहां से दूध की धार निकलने लगी थी़ पहाड़ी पर दो अलग-अलग जगहों पर पदचिह्न है़
एक पदचिह्न पर मंदिर का निर्माण भी काफी समय पहले हुआ है़ दूसरा पदचिह्न पहाड़ की चोटी पर स्थित है़ इसमें ग्रामीणों ने हाल ही में अपने स्तर से मंदिर का निर्माण किया है़ इन पदचिह्नों तक पहुंचने के लिए पहाड़ की पगडंडियों से गुजरना पड़ता है़ यहां पर मंदिर और खोह के बीच बहता झरना प्रकृति की खूबसूरती का अहसास कराता है़ प्रत्येक साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर यहां विशाल टुसू मेला लगता है़ यहां की प्राकृतिक छटा लोगों को सहज ही अपनी ओर लुभाती है़ नव वर्ष पर पिकनिक मनाने के लिए यहां केवल आसपास के गांवों से ही नहीं, दूर-दूर से भी लोग पहुंचते हैं. कसमार के मुख्य मार्ग से होते हुए प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर सिंहपुर के पास सिंहपुर शिवालय, डुमरकुदर होकर यहां तक पहुंचा जा सकता है़
और भी हैं रमणिक स्थल
छलछलिया
छलछलिया नामक यह जगह कसमार व जरीडीह प्रखंड की सीमा पर वनचास जंगल में स्थित है़ जंगल के बीच गुजरता नाला इस स्थल का आकर्षण है़ यही कारण है कि नव वर्ष की शुरुआत से लेकर मकर संक्रांति तक लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं.
खांजो, गुवई व इजरी नदी
खांजो, गुवई व इजरी कसमार प्रखंड की प्रमुख नदियों में है़ इसके किनारे जगह-जगह पर मनमोहक वादियां है, जहां पिकनिक मनाने के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. उल्लेखनीय है कि खांजो नदी प्रखंड की दुर्गापुर, मधुकरपुर, बरकईकला, कसमार, दांतू, पोंडा पंचायतों से होकर गुजरती है़ इसलिए इस नदी के किनारे स्थित दर्जनों गांव के लोगों की भीड़ पिकनिक मनाने के लिए उमड़ती है़
हिसीम-केदला पहाड़ी
हिसीम-केदला पहाड़ कसमार प्रखंड के चर्चित स्थलों में एक है़ दूर से देखने पर ऐसा आभाश तक नहीं होता है कि इस पहाड़ व घने जंगलों के बीच गांव भी बसे हैं. लेकिन, पहाड़ पर चढ़ते ही हिसीम, केदला, गुमनजारा व त्रियोनाला जैसे चार-चार राजस्व गांव पहाड़ पर अगल ही नजारा प्रस्तुत करते हैं. पहाड़ की बनावट ऐसी कि बाहर से आने वाले लोग यहां का भ्रमण कर मंत्रमुग्ध हो उठते हैं.
राम-लखन टुंगरी : यहां भी आये थे श्रीराम
मृग खोह के प्रसंग से राम-लखन टुंगरी भी जुड़ी है़ यहां भी कथित तौर पर भगवान श्रीराम के पदचिह्न है़ इसके दर्शन-पूजन के लिए लोग सालों भर पहुंचते हैं. क्षेत्र का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है़ मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल मेला लगता है़ पहाड़ी की बनावट लोगों को आकर्षित करता है. कसमार के मुख्य मार्ग में मंजूरा के पास पूरब की ओर मुख्य मार्ग से करीब दो किमी दूर यह स्थल स्थित है़

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