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दवा दुकानदारों की हड़ताल से मरीज परेशान

आरा : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर तीन दिवसीय बंद के पहले दिन भोजपुर जिले में बंद का असर रहा. सभी दवा की दुकानें बंद रहीं, लेकिन संगठन के द्वारा मरीजों के हित को देखते हुए एक दुकान खोलने का निर्णय लिया गया. शहर के सदर अस्पताल के सामने स्थित न्यू जैन […]

आरा : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर तीन दिवसीय बंद के पहले दिन भोजपुर जिले में बंद का असर रहा. सभी दवा की दुकानें बंद रहीं, लेकिन संगठन के द्वारा मरीजों के हित को देखते हुए एक दुकान खोलने का निर्णय लिया गया. शहर के सदर अस्पताल के सामने स्थित न्यू जैन मेडिकल हॉल खुला था, जिससे लोगों को कम परेशानी हुई, लेकिन पूरे जिले में मरीज परेशान दिखे.

हालांकि बंद के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई. भोजपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन संगठन के लोगों ने शहर में घुमघुम कर जायजा भी लिया. पूर्णत: बंद सफल रहा. इस दौरान संगठन के लोगों ने महावीर टोला स्थित मोहन कॉम्प्लेक्स में एक बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा भी की. हालांकि गुरुवार और शुक्रवार को भी दुकानें बंद रहेंगी. वैकल्पिक तौर पर एक-एक दुकानें खुली रहेंगी.
इस संबंध में भोजपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तीन दिवसीय बंदी का आज प्रथम दिन पूर्णत: सफल रहा. हमारी सात सूत्री मांगों को अगर सरकार नहीं मानती है, तो तीन दिवसीय हड़ताल के बाद हमलोग किसी भी दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं.
बता दें कि दुकानों को फार्मासिस्ट उपलब्धता एवं तकनीकी गलती के नाम पर विभाग द्वारा दुकानदारों को उत्पीड़न एवं शोषण किया जा रहा है, जिसके विरोध में बिहार के केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर तीन दिवसीय बंदी की घोषणा की गयी थी. दवा दुकानें 22, 23 तथा 24 जनवरी तक बंद रहेंगी. इस बंदी के दौरान थोक एवं खुदरा दवा दुकानदार शामिल हैं. इस दौरान जिले के सभी दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन मरीजों के हित को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा तीन अलग-अलग दुकानें खोलने का निर्णय लिया गया है.
बंद के पहले दिन एक दुकान खुली रही. जहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी. मरीज के परिजन कतार में खड़े होकर दवा खरीद रहे थे. 23 जनवरी को सदर अस्पताल के सामने नागेंद्र मेडिकल हॉल खुली रहेगी. वहीं, 24 जनवरी को केसरी मेडिकल हॉल खुला रहेगा.
बता दें कि सरकार द्वारा 29 मार्च, 2019 को दवा दुकानदारों को प्रति दुकान में फार्मासिस्ट की उपलब्धता को लेकर नये नियम बनाये गये थे, जिसको लेकर संगठन द्वारा विरोध किया जा रहा है. संगठन के लोगों का कहना है कि नियम के आड़ में विभाग द्वारा दवा दुकानदारों को उत्पीड़न और शोषण किया जा रहा है.
बंद को सफल बनाने में सचिव अरविंद कुमार, राज्य उपाध्यक्ष पंकज कुमार सिंह, राम उमेश पांडेय, दारोगा प्रसाद साह, विनोद कुमार शर्मा, जय प्रकाश केसरी, कृष्ण प्रसाद गुप्ता, मंटू दूबे, ददन सिंह, सरोज सिंह, मो इकबाल, गोरखनाथ सिंह, रामेश्वर नाथ पाठक, मनीष कुमार, सुनील चंद्र जैन, अजीत देशमुख, योगेंद्र सिंह, तेज नारायण सिंह, भरत सिंह आदि लोगों का भरपूर योगदान रहा.
लगभग डेड़ करोड़ का व्यवसाय हुआ बाधित
जिले में लगभग 850-900 दवा दुकानें हैं, जिनमें थोक एवं खुदरा दुकानें शामिल हैं. दवा दुकानदारों के अनुसार भोजपुर में प्रतिदिन इन दुकानों से लगभग डेढ़ करोड़ का व्यवसाय होता है. दुकानें बंद रहने से डेढ़ करोड़ रुपये का व्यवसाय प्रभावित हुआ. इससे दवा दुकानदार के साथ-साथ सरकार को भी नुकसान हुआ है. इस संबंध में भोजपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि व्यवसाय से सरकार को टैक्स जाता है.
एक दुकान खुलने से दो लाख की बिकीं दवाएं
तीन दिवसीय बंद के दौरान जिले में एक मात्र एक दुकान खुली थी. प्रतिदिन दुकान में सामान्य तौर पर लगभग 25-30 हजार रुपये की बिक्री होती थी, लेकिन बंद के दौरान एक मात्र दुकान खुलने से बुधवार को लगभग दो लाख रुपये की दवाएं बिकी हैं. इस दौरान दवा दुकान पर लोगों की काफी भीड़ थी. हालांकि जिले में बंद के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई. अफरातफरी का माहौल कायम जरूर रहा.
क्या कहते हैं डॉक्टर
सदर अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने बताया कि बंद के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई. सामान्य मरीज आते रहे. उनका इलाज किया गया.
डॉ अरुण कुमार, सर्जन

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