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नाम हिंदू हो या मुसलमान, क्या फ़र्क़ पड़ता है: वुसअत का ब्लॉग

<figure> <img alt="कुछ लोगों की परछाइयां." src="https://c.files.bbci.co.uk/92E2/production/_108820673_01dc03ca-e0a8-497b-b49c-e6e3c0f3cc9b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नोतूमल ने अपना पूरा जीवन हज़ारों छात्रों को शिक्षा देने में बिता दिया और रिटायर हो गए. फिर नोतूमल ने घोटकी में अपना प्राइवेट स्कूल खोल लिया और हिंदू-मुसलमान बच्चों को पहले की तरह पढ़ाने लगा. </p><p>कल अचानक उनके स्कूल की नौवीं जमात […]

<figure> <img alt="कुछ लोगों की परछाइयां." src="https://c.files.bbci.co.uk/92E2/production/_108820673_01dc03ca-e0a8-497b-b49c-e6e3c0f3cc9b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नोतूमल ने अपना पूरा जीवन हज़ारों छात्रों को शिक्षा देने में बिता दिया और रिटायर हो गए. फिर नोतूमल ने घोटकी में अपना प्राइवेट स्कूल खोल लिया और हिंदू-मुसलमान बच्चों को पहले की तरह पढ़ाने लगा. </p><p>कल अचानक उनके स्कूल की नौवीं जमात में पढ़ने वाले एक छात्र को सर नोतूमल के लेक्चर के दौरान किसी बात पर लगा कि जैसे सर नोतूमल ने हज़रत मोहम्मद की ईशनिंदा की हो. </p><p>14 वर्ष के इस छात्र ने घर आकर अपने बाप को बताया. बाप थाने पहुंच गए और सर नोतूमल के ख़िलाफ़ धारा 295-सी का पर्चा कटवा दिया. इस धारा के तहत धार्मिक हस्तियों की तौहीन पर मृत्युदंड भी मिल सकती है. </p><p>यानि छात्र जिसकी उम्र अभी 14 वर्ष है उसकी बात पर उसके बाप ने 100 प्रतिशत फ़ौरन यक़ीन कर लिया और पुलिस ने छात्र के बाप की बात पर यक़ीन कर लिया और फिर सारे घोटकी शहर ने इन तीनों की बात पर यक़ीन कर लिया. </p><p>किसी ने 60 वर्ष से अधिक के नोतूमल से नहीं पूछा कि भईया 30 वर्ष तक शिक्षा देने के बाद आपने कल ऐसा क्या कह दिया कि 14 वर्ष का आपका छात्र उसे हज़रत मोहम्मद के ख़िलाफ़ ईशनिंदा समझ बैठा और फिर सारे शहर ने उसकी बात पर यक़ीन भी कर लिया. </p><p>फिर यूं हुआ कि प्रिंसिपल नोतूमल का स्कूल जल गया, एक मंदिर पर पथराव हुआ, घोटकी की हिंदू बिरादरी ने घरों के किवाड़ बंद कर लिए और नोतूमल को पुलिस और बिरादरी के बड़ों ने जान के ख़ौफ़ से कहीं सुरक्षित जगह पर छुपा दिया. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-39302446?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’ईशनिंदा मामलों में मदद करे फ़ेसबुक'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39278040?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ईश निंदा पर क्यों मुखर हुई पाकिस्तानी संसद?</a></li> </ul><figure> <img alt="प्रतीकात्मक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/E102/production/_108820675_94bb0a58-bb7e-4802-8348-7fba22d86069.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><p>मसला यह नहीं कि नोतूमल ने मुसलमानों के पैग़ंबर की तौहीन की है या नहीं, मसला ये है कि अगर छान-फटक के बाद नोतूमल बेगुनाह भी पाया गया तब भी उसे बाक़ी जीवन छुपकर गुज़ारना पड़ेगा. अदालत भले ही माफ़ कर दे लेकिन जनता माफ़ नहीं करेगी. </p><p>नोतूमल जो भी अपनी सफ़ाई में कहे वो झूठ ही होगा और उस पर इल्ज़ाम लगाने वाला 14 वर्ष का छात्र सच्चा ही कहलाएगा. </p><p>बिल्कुल उसी तरह जैसे दादरी का अख़लाक़ अहमद कुछ भी कहता रहे पर गाय का गोश्त रखने का इल्ज़ाम लग गया सो लग गया. </p><p>पहलू ख़ान ने गाय चुराई की नहीं पर उसको दौड़-दौड़ा कर मारने वाले धर्म रक्षक ही कहलाएंगे और अगर अदालत भी उन्हें बरी कर दे तो क़सूरवार कौन हुआ, ज़ाहिर है पहलू ख़ान. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49379390?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पहलू ख़ान को क्यों नहीं मिला इंसाफ़, एसआईटी करेगी जांच</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49663769?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">लिंचिंगः किन कारणों से प्रभावित हो जाती है पुलिस की जांच</a></li> </ul><figure> <img alt="हरियाणा के किसान पहलू ख़ान की गायों की तस्करी करने के शक में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी." src="https://c.files.bbci.co.uk/12F22/production/_108820677_007d6556-1973-4fa2-8f51-79a206aa553a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>हरियाणा के किसान पहलू ख़ान की गायों की तस्करी करने के शक में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.</figcaption> </figure><p>इंसान का नाम अख़लाक़ अहमद हो या नोतूमल, नाम से क्या फ़र्क़ पड़ता है. इल्ज़ाम लगाने वाला संजीव हो या रहमान, नाम से क्या फ़र्क़ पड़ता है. </p><p>छान-फटक करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर का नाम रवि हो के असलम, नाम से क्या फ़र्क़ पड़ता है. पाकिस्तान में हज़रत मोहम्मद की तौहीन करने का आरोप लगे या गाय काटने का इल्ज़ाम भारत में लगे, क्या फ़र्क़ पड़ता है. </p><p>मस्जिद गुजरात में ढहाई जाए या मंदिर सिंध में, काम तो एक ही है, क्या फ़र्क़ पड़ता है. आधार कार्ड पर जीवन राम लिखा हो या शनाख़्ती कार्ड पर रसूल बख़्श, क्या फ़र्क़ पड़ता है. </p><p>जब डीएनए ही एक है, जब दिमाग़ में भूसा भी एक ही तरह का भरा हुआ हो, जब लबों पर हंसी भी एक जैसी हो और दिल में कालिख भी एक जैसी, तो किसी चीज़ से क्या फ़र्क़ पड़ता है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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