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श्रीनगर के लाल चौक पर गणेश उत्सव का रंग पड़ा फीका

<figure> <img alt="गणेश चतुर्थी, कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/28B0/production/_108661401_800daf46-6ed1-4c06-b186-dc8fca1a665f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>श्रीनगर के लाल चौक पर सालों से गणेश उत्सव मनाया जाता रहा है. ये जान कर आपको हैरानी हो सकती है. पर ये सच है.</p><p>कश्मीर का जब भी ज़िक्र होता है, तो हमारे सामने तनाव, सुरक्षा बल और चरमपंथ जैसे शब्द आते हैं.</p><p>लेकिन कश्मीर के […]

<figure> <img alt="गणेश चतुर्थी, कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/28B0/production/_108661401_800daf46-6ed1-4c06-b186-dc8fca1a665f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>श्रीनगर के लाल चौक पर सालों से गणेश उत्सव मनाया जाता रहा है. ये जान कर आपको हैरानी हो सकती है. पर ये सच है.</p><p>कश्मीर का जब भी ज़िक्र होता है, तो हमारे सामने तनाव, सुरक्षा बल और चरमपंथ जैसे शब्द आते हैं.</p><p>लेकिन कश्मीर के लाल चौक भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती रही है.</p><p>गणेश उत्सव दस दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है. इस साल गणेश उत्सव दो सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जा रहा है.</p><p>श्रीनगर में मनाए जाने वाले गणेश उत्सव में कश्मीर मुस्लिम, पंडित, सिख और मराठी लोग इसे मिल-जुल कर मनाते हैं.</p><p>लाल चौक में पंचमुखी हनुमान का मंदिर है. इसी मंदिर में गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है.</p><h3>श्रीनगर का सर्राफ़ा बाज़ार</h3><p>श्रीनगर में रहने वाले अमित वांछो बताते हैं, &quot;पिछले 37 साल से ये परंपरा चली आ रही है.&quot;</p><p>गणपति उत्सव वैसे तो महाराष्ट्र के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है लेकिन श्रीनगर में इसकी शुरुआत कैसे हुई होगी. ये सवाल आपके ज़ेहन में आ सकता है.</p><p>तक़रीबन साठ साल पहले महाराष्ट्र के सांगली ज़िले से सोने-चांदी के ज़ेवर तैयार करने वाले कुछ लोग श्रीनगर जाकर बस गए थे.</p><p>लाल चौक पर हरिसिंह हाई स्ट्रीट के पास श्रीनगर का सर्राफ़ा बाज़ार है. इस मार्केट में सांगली ज़िले के कुछ मराठी परिवार सोने-चांदी के जवाहरात तैयार करने का काम करते हैं.</p><h3>सांगली से श्रीनगर</h3><p>जम्मू और कश्मीर राज्य में तक़रीबन सौ मराठी परिवार रहते हैं.</p><p>इन्हीं में से कुछ लोगों ने श्रीनगर के लाल चौक स्थित हनुमान मंदिर में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी.</p><p>हिंदू धर्म के लोग ये मानते हैं कि गणपति भगवान विघ्न दूर करते हैं, सुख-शांति लाते हैं.</p><p>अमित वांछो कहते हैं, &quot;इस वजह से कश्मीर में गणपति उत्सव का होना एक सकारात्मक संकेत की तरह है.&quot;</p><p>श्रीनगर के सर्राफ़ा बाज़ार में काम करने वाले ज़्यादातर मराठी कारीगर महाराष्ट्र के सांगली, माण, खटाव, कडेगाव, पलूस और सांगोला जैसे तालुकों से आते हैं.</p><p>ये लोग ज़्यादातर समय श्रीनगर में काम करते हैं लेकिन जब सर्दियां शुरू होती हैं तो वापस अपने गांव लौट जाते हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49373500?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’370 निष्प्रभावी होने के बाद अब लाल चौक एक मामूली चौराहा'</a></p><figure> <img alt="कश्मीर, गणेश चतुर्थी" src="https://c.files.bbci.co.uk/50EC/production/_108661702_b81092ac-11f3-40e7-91fe-58baee6199ac.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>पुणे से गणेश मूर्ति लेकर श्रीनगर गए</h3><p>संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म किए जाने के बाद बने हालात में कई मराठी परिवार इस बार सर्दियों का इंतज़ार किए बग़ैर जल्दी घर लौट गए हैं.</p><p>कुछ समय पहले सांगली भी बाढ़ से जूझ रहा था और वहां दूरसंचार की बुनियादी सुविधाएं परेशानी का सबब बन गई थी.</p><p>अलग कारणों से सही लेकिन, ऐसा हाल इन दिनों श्रीनगर में भी है जहां लोगों की खोज ख़बर लेना मुश्किल हो रहा है.</p><p>इस सूरतेहाल में कई लोगों को ये पता भी नहीं चल पाया कि श्रीनगर में गणपति उत्सव मनाया जाना मुमकिन हो पाएगा या नहीं.</p><p>श्रीनगर में रहने वाले मराठी समाज के कार्यकर्ता संजय सोनवणी ने बताया, &quot;हम लोगों ने पुणे की ग़ैर-सरकारी संस्था सरहद के संजय नहार से इसके लिए संपर्क किया.&quot;</p><p>&quot;इसके बाद ही गणेश की मूर्ति पुणे से श्रीनगर भेजने का इंतज़ाम हो पाया. ये मूर्ति पुणे की बाबू गेनु गणपित मंडल ने मुहैया कराई.&quot;</p><h3>लाल चौक की छवि</h3><p>सरहद के संजय नहार कहते हैं, &quot;श्रीनगर के लाल चौक की जो छवि बनी हुई है, उस लिहाज़ से वहां गणपति उत्सव का आयोजन राष्ट्रीय एकता और सामाजिक बंधुत्व के लिए अच्छा उदाहरण है.&quot;</p><p>संजय सोनवणी कहते हैं, &quot;लाल चौक के पास मराठी लोगों का वहां के सामाजिक जीवन में घुलमिल कर रहना एक बड़ी बात है. वहां सालों से गणपति उत्सव मनाया जा रहा था लेकिन इस बार के हालात देखकर ये लगा कि शायद ये सिलसिला टूट जाएगा. इसी वजह से पुणे से श्रीनगर मूर्ति भेजी गई.&quot;</p><p>संजय सोनवणी सितंबर की पहली तारीख़ को हवाई जहाज़ से गणेश की मूर्ति पुणे से श्रीनगर ले आए ताकि दो सितंबर को तय समय पर गणेश पूजा शुरू की जा सके. </p><p>वे कहते हैं, &quot;मूर्ति आने की वजह से लोग ख़ुश हैं. श्रीनगर में रह रहे मराठी परिवारों को टेलीफोन-मोबाइल नेटवर्क के बंद होने की वजह से महाराष्ट्र में मौजूद अपने परिजनों से संपर्क करने में दिक़्क़त हो रही थी.&quot;</p><p>संजय सोनवणी कहते हैं, &quot;कश्मीरी पंडित लोग इसी समय एक ख़ास, पन त्योहार मनाते हैं जिसमें देवी पार्वती की विशेष पूजा होती है. पार्वती ने गणपति को जन्म दिया है, इसलिए पन त्योहार में इनकी पूजा की जाती है. इस साल गणपति उत्सव और पन त्योहार लगभग एक ही समय मनाया जा रहा है.&quot; </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49335873?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: 1992 में लाल चौक पर तिरंगा फहराने में नरेंद्र मोदी का क्या योगदान था</a></p><figure> <img alt="गणेश चतुर्थी, कश्मीर, लाल चौक" src="https://c.files.bbci.co.uk/77FC/production/_108661703_a8f1e6b2-3ac3-4a23-9e3f-457d99a59541.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>कश्मीरी लोगों से नाता</h3><p>दत्तात्रेय सूर्यवंशी पिछले 16 साल से श्रीनगर में मनाए जाने वाले गणेश उत्सव में शिरकत करते आ रहे हैं.</p><p>वे कहते हैं, &quot;जम्मू और कश्मीर में तक़रीबन दो सौ से ज़्यादा मराठी लोग रहते हैं. अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के बाद बाज़ार बंद हैं. इसकी वजह से हम महाराष्ट्र वापस चले गए. हमने किसी डर की वजह से श्रीनगर नहीं छोड़ा.&quot;</p><p>&quot;इतने सालों से कश्मीरी लोगों से एक नाता सा बन गया है. मैं 16 सालों से श्रीनगर का गणेश उत्सव देख रहा हूं. इसमें सभी तबक़े लोग हिस्सा लेते आए हैं. वहां के लोग काफ़ी अच्छे हैं और श्रीनगर में हर जगह हमारे साथ अच्छा बर्ताव होता है.&quot;</p><p>मराठी लोग पिछले साठ सालों से जम्मू और कश्मीर में रह रहे हैं. ये लोग अपने बच्चों की दसवीं तक की शिक्षा कश्मीर में ही पढ़ाते हैं लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को महाराष्ट्र भेज देते हैं.</p><p>श्रीनगर में काम करने वाले इन कारीगरों को उर्दू के साथ-साथ कश्मीरी भाषा दोनों ही आती है.</p><p>मराठी लोग आपस में चंदा जुटाकर ये त्योहार मनाते आए हैं लेकिन इस बार के हालात में श्रीनगर में कुछ ही मराठी परिवार बचे हैं.</p><p>गणपति उत्सव का ये सिलसिला टूट न जाए, इसलिए स्थानीय लोगों ने इस बार मराठी समुदाय के लोगों का साथ दे रहे हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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