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”बीबीसी के नाम” पर वायरल की जा रही रोहिंग्या तस्वीर ग़लत: फैक्ट चेक

दावाः सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप) पर रोहिंग्या बताई जा रही एक बच्ची की तस्वीर शेयर करके दावा किया जा रहा है कि इस बच्ची ने 54 साल के व्यक्ति से शादी की है और कम उम्र में ही दो बच्चों को जन्म दे दिया है. इस तस्वीर पर बीबीसी के ‘लोगो’ का भी इस्तेमाल […]

दावाः सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप) पर रोहिंग्या बताई जा रही एक बच्ची की तस्वीर शेयर करके दावा किया जा रहा है कि इस बच्ची ने 54 साल के व्यक्ति से शादी की है और कम उम्र में ही दो बच्चों को जन्म दे दिया है.

इस तस्वीर पर बीबीसी के ‘लोगो’ का भी इस्तेमाल किया गया है. तस्वीर शेयर करने वाले लोगों ने ये भी लिखा है कि यह बच्ची भविष्य में कम से कम बीस बच्चों को जन्म देगी.

तस्वीर शेयर करने वाले लोगों में से एक ने लिखा है, "देश मे बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी, भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की ओर ले जा रही है और हमारे कुछ ग़द्दार नेता भी इस काम में उनके साथ हैं. समय रहते इस पर ध्यान न दिया गया तो बहुत ही गंभीर समस्या हो सकती है."

वायरल की जा रही तस्वीर का सच

जो तस्वीर शेयर की जा रही है वो बीबीसी की ही एक वीडियो रिपोर्ट से ली गई है. लेकिन बीबीसी की रिपोर्ट में ऐसी कोई बात नहीं कही गई है जिस तरह के दावे सोशल मीडिया की पोस्टों में किए जा रहे हैं.

बीबीसी ने रोहिंग्या मुसलमानों पर 2017 में एक रिपोर्ट बनाई थी. उस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि रोहिंग्या लोग किस रास्ते के ज़रिये म्यांमार से बांग्लादेश की तरफ़ बढ़ रहे हैं और उस वीडियो में आप 2.07 मिनट पर इस बच्ची को देख सकते है.

यह बच्ची और उसके अलावा काफी सारे बच्चें एक स्कूल में बारिश के कारण बैठे हुए हैं और वीडियो में बीबीसी संवाददाता संजॉय मजुमदार कह रहे हैं कि यह लोग यहां पर एक या दो दिन रहने वाले हैं और यह लोग तबतक चलते रहेंगे जबतक कि एक बड़े रेफ्युजी कैंप में नहीं पहुंच जाते हैं. बीबीसी की जिस मूल रिपोर्ट से बच्ची की ये तस्वीर ली गई है उसे आप यहां देख सकते हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=rdeV4hauEEk&feature=youtu.be

वायरल होती इस ख़बर का खंडन करते हुए बीबीसी की एक प्रवक्ता ने कहा, "जो तस्वीर सोशल मीडिया में फैलाई जा रही है वो बीबीसी की रिपोर्ट से ली गई है. इस रिपोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थियों के बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में पहुंचने के पहले अनुभवों के बारे में बताया गया है."

उन्होंने कहा, "इस रिपोर्ट के किसी भी हिस्से में ये दावा नहीं किया गया है कि जो बच्चे उस बच्ची की गोद में हैं वो उसी की संतान हैं. पाठकों को बीबीसी से जुड़े किसी भी पोस्ट पर यक़ीन करने से पहले उन्हें बीबीसी की वेबसाइट पर आकर भी चेक करना चाहिए."

इसके अलावा हम आपको यह भी बता दें कि यह तस्वीर पिछले साल भी "coveragetimes.com" द्वारा वायरल की गई थी जिसपर हमारे सहयोगी "विनीत खरे" ने एक रिपोर्ट की थी.

जब विनीत खरे ने "coveragetimes.com" के संपादक "राजू सिकरवार" से पूछा तो, उन्होंने भी इस बात कि पुष्टि की कि यह ग़लत ख़बर है पर जब हमने उनसे पूछा कि आप यह ग़लत ख़बर कहां से लेकर आते हैं तो, उन्होंने कहा कि हमारे सोर्स है और ग़लती हो जाती है.

आप उस रिपोर्ट को इस लिंक के ज़रिए देख सकते हैं.

https://www.facebook.com/bbcindia/videos/is-this-the-face-of-fake-news-in-india/281199562536068/

सोशल मीडिया पर शेयर की जा रहीं तस्वीर के साथ जो दावा किया जा रहा है, वह हमारी जांच में ग़लत निकला.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

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