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पुलिस के सुरक्षा निर्देश

संतोष उत्सुक व्यंग्यकार निरंतर विकास पथ पर दौड़े जा रहे ‘न्यू इंडिया’ के विकसित हो रहे नागरिकों को अधिक जागरूक करने के लिए पुलिस विभाग ने नागरिक सुरक्षा समिति की बैठक की (जिसमें बढ़ती ठंड व फैलते डर के कारण कम लोग आये). एक हाल में बैठक का मंच सजाया गया और बढ़िया बैनर भी […]

संतोष उत्सुक
व्यंग्यकार
निरंतर विकास पथ पर दौड़े जा रहे ‘न्यू इंडिया’ के विकसित हो रहे नागरिकों को अधिक जागरूक करने के लिए पुलिस विभाग ने नागरिक सुरक्षा समिति की बैठक की (जिसमें बढ़ती ठंड व फैलते डर के कारण कम लोग आये). एक हाल में बैठक का मंच सजाया गया और बढ़िया बैनर भी लगाया गया, ताकि फोटो अच्छा आये और अगले दिन अखबारों में खबर के साथ छपे. बिना लाल बत्ती वाली गाड़ी में पधारे असली वीआइपी ने उद्घाटन किया. बैठक में पधारे नागरिकों को समझाया गया- यदि आप छुट्टियों में घर जा रहे हैं, तो घरों में इस बार सेंसर लॉक जरूर लगवा कर जाएं, आपका घर चोरों से सुरक्षित रहेगा. सारे जेवरात साथ ले जाएं या फिर बैंक लाकर में रख जाएं.
सर्दी के मौसम में चोरी व सेंध की घटनाएं बढ़ जाती हैं. सूचित किया गया कि पिछले साल छोटे से क्षेत्र में ही चोरी के एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हुए. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल चोरों ने अनेक घरों से दस लाख से ज्यादा के गहने चुराये थे (चोर भी इंसान हैं, उनके पास परिवार और पेट दोनों हैं).
पुलिस ने माना कि लोगों के गहने आज तक नहीं मिले हैं और न ही इनको उड़ानेवालों के बारे में पता चल सका है. तफ्तीश जारी है (नकली गहने पहनना ज्यादा सुरक्षित है या फिर पुरातन काल की तरह फूल पत्तियां पहनना शुरू कर दें). उन्होंने यह बताकर जिम्मेदारी बखूबी निभायी कि इस तरह की घटनाएं फिर सामने न आएं (ताकि पुलिस विभाग परेशान न हो) इसलिए आजकल गश्त लगाने के दौरान जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है (इस बहाने व्यायाम भी तो हो रहा है).
पुलिस का कहना है कि लोग अगर पुलिस के सुझावों पर अमल करेंगे, तो पछताना नहीं पड़ेगा (बात ठीक है मगर चोरी होने के बाद तो पछताना ही पड़ेगा). पुलिस के अनुसार बाहर जाते समय पड़ोसी को सुरक्षित तरीके से जरूर बताकर जाएं. अगर उन्हें सूचना नहीं होगी तो चोर के घर में घुसने की स्थिति में पड़ोसी सोचेंगे कि घर में आप ही होंगे. कभी कभार पड़ोसी को चाय, बिस्कुट और नमकीन की सादा दावत देने में फायदा है, इस बहाने पड़ोसी से अच्छे रिश्तों का विकास भी होगा.
व्यक्तिगत सुरक्षा के बारे में, सड़क पर चलते हुए, फुटपाथ न होने, दोपहिया वाहनों की दहशत के बारे में पूछा तो बता दिया गया, यह बैठक सिर्फ सर्दियों के मौसम में होनेवाली संभावित चोरियों के बारे है. अलग-अलग सेक्शन है, जो आवश्यकतानुसार समय-समय पर बैठक कर प्रेस विज्ञप्ति देते हैं.
पुलिस के पास नागरिक सुरक्षा के अलावा और भी बहुत से काम हैं. कर्मचारी भी कम हैं. राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक नेता, अफसर, चोर-उचक्के, असामाजिक तत्व ज्यादा हैं. अधिकतर पुलिसकर्मी उनकी सुरक्षा में ही मसरूफ रहते हैं. इसलिए आम जनता को अपनी सुरक्षा खुद ही करनी चाहिए. ‘न्यू इंडिया’ में अपनी पुलिस खुद ही बनना पड़ेगा.

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