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बंद होगा पुनर्वास परियोजना का नामोकेशिया प्रोजेक्ट!

रूपनारायणपुर : रानीगंज किल्फील्ड एरिया (आरसीएफए)पुनर्वास परियोजना का नामोकेशिया प्रोजेक्ट बंदी के कगार पर खड़ा है. यहां रहने वाले तीस आदिवासी परिवार इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे है. प्रोजेक्ट साईट के मुख्य मार्ग को चार बांस को बम्बू गाड़कर रोक दिया है. जिसके कारण यहां कार्य करने वाली ब्रिज एंड रूफ कम्पनी के कर्मी […]

रूपनारायणपुर : रानीगंज किल्फील्ड एरिया (आरसीएफए)पुनर्वास परियोजना का नामोकेशिया प्रोजेक्ट बंदी के कगार पर खड़ा है. यहां रहने वाले तीस आदिवासी परिवार इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे है. प्रोजेक्ट साईट के मुख्य मार्ग को चार बांस को बम्बू गाड़कर रोक दिया है. जिसके कारण यहां कार्य करने वाली ब्रिज एंड रूफ कम्पनी के कर्मी साईट एरिया के अंदर दाखिल नहीं हो पा रहे है.

इन चार बम्बूवों को हटाने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा है, न पुलिस, न प्रशासन और न ही राजनैतिक नेता. इन्हें हटाने की मांग करते हुए निर्माणधीन कंपनी ने गुरुवार को पुलिस आयुक्त से अपील करते हुए उन्हें पत्र लिखा.

जिसकी प्रति जिला शासक सहित संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों को भेजा. सनद रहे कि भूमिगत आग और भूधंसान से प्रभावित जिले के 141 बस्ती के चालीस हजार परिवारों को सुरक्षित जगह मुहैया कराने के उद्देश्य से आरसीएफए परियोजना तैयार हुयी. इसके तहत रानीगंज, अंडाल, बाराबनी और सालानपुर इन चार प्रखंडों में पहले चरण में साढ़े ग्यारह हजार आवास बनाने के कार्य राज्य सरकार की हाउजिंग विभाग ने आरम्भ की.
इसके तहत सालानपुर प्रखण्ड में साढ़े 26 एकड़ सरकारी जमीन पर 1904 आवास बनाने का कार्य 14 मार्च 2018 को आरम्भ हुआ. आदिवासियों ने इसका जमकर विरोध किया और कार्य कर रहे कंर्मियों पर जानलेवा हमला किया.
जिसमें नामजद प्राथमिकी होने के बावजूद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुयी. अगस्त 2018 में पुनः कार्य आरंभ हुआ. तीन दिन कार्य चलने के बाद बन्द हो गया. नवम्बर माह से भरी पुलिस बल की मौजूदगी में पुनः कार्य आरंभ हुआ.
28 नवम्बर को आदिवासियों ने प्रोजेक्ट साईट के अंदर झुग्गी झोपड़ी डाल दी और साईट के मुख्य मार्ग को चार खंभा का बैरिकेट लगाकर रोक दिया. इस प्रोजेक्ट को मार्च 2019 में पूरा करके हाउजिंग विभाग को सौंपना था, लेकिन अब तक ले आउट का कार्य भी पूरा नहीं हुआ है. विभाग मंत्री ने इस मुद्दे पर दो बार कोलकाता में बैठक की. विभाग के सचिव ओंकार सिंह मीणा ने भी आकर अंडाल में इस मुद्दे पर बैठक की. वरीय अधिकारी अनेकों बार साईट का दौरा कर गए. स्थिति जस की तस बनी हुयी है.
पुलिस की उपस्थिति में ही आदिवासी साईट क्षेत्र में हल चलाकर खेती भी कर गए. पुलिस मूकदर्शक बनी रही.इस स्थित में निर्माणाधीन कंपनी को प्रतिदिन भारी नुकसान उठाना पड़ रहा. कम्पनी प्रबंधन ने इस मुद्दे पर गुरुवार को पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर अपील किया कि बम्बूवों को हटाने की दिशा में उचित कार्यवाई की जाय. ताकि वे लोग वहां सुचारू रूप से अपना कार्य कर सके.

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