30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रामदेव की कोरोना दवा पर मोदी सरकार सख्‍त क्‍यों ? जानें पूरा मामला

योग गुरु स्‍वामी रामदेव (Yoga Guru Swami Ramdev) की पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved ) ने COVID-19 के इलाज में शत-प्रतिशत कारगर होने का दावा करते हुए मंगलवार को बाजार में कोरोनिल नाम की एक दवा लॉन्‍च की, लेकिन लॉन्‍च होते ही बाबा रामदेव और उनकी पूरी टीम को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा झटका दिया. आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोना दवा के विज्ञापन पर रोक लगा दी और औषधि में मौजूद विभिन्न जड़ी-बूटियों की मात्रा एवं अन्य ब्योरा यथाशीघ्र उपलब्ध कराने को कहा.

नयी दिल्‍ली : योग गुरु स्‍वामी रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने COVID-19 के इलाज में शत-प्रतिशत कारगर होने का दावा करते हुए मंगलवार को बाजार में कोरोनिल नाम की एक दवा लॉन्‍च की, लेकिन लॉन्‍च होते ही बाबा रामदेव और उनकी पूरी टीम को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा झटका दिया. आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोना दवा के विज्ञापन पर रोक लगा दी और औषधि में मौजूद विभिन्न जड़ी-बूटियों की मात्रा एवं अन्य ब्योरा यथाशीघ्र उपलब्ध कराने को कहा.

बाद में पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमने नैदानिक परीक्षण के सभी मानदंडों को शत-प्रतिशत पूरा किया है और कंपनी ने दवाओं की संरचना का विस्तृत ब्योरा आयुष मंत्रालय को भेज दिया है. उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से मंत्रालय को भेजे गए 11 पन्ने के जवाब में दवा और परीक्षण मंजूरी संबंधी पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया गया है.

आयुष मंत्री ने बताया क्‍यों लगायी गयी पतंजलि की कोरोना दवा पर रोक

केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में बताया कि आखिर बाबा रामदेव की कोरोना दवा पर रोक क्‍यों लगाया गया है. उन्होंने बताया, रामदेव को अपनी दवा की घोषणा मंत्रालय से इजाजत लिए बिना नहीं करनी चाहिए थी. उन्‍होंने कहा, ‘हमने उनसे जवाब मांगा है. पूरा मामला टास्‍क फोर्स के पास भेजा गया है. आयुष मंत्री ने बताया कि पतंजलि जो जवाब देगी उसकी और पूरे मामले की समीक्षा टास्‍क फोर्स करेगी. यह देखा जाएगा कि पतंजलि ने कौन-कौन सा फॉर्म्‍युला अपनाया है. सब ठीक रहा तो उनको दवा बेचने की अनुमति दे दी जाएगी.

Also Read: आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक दवा कंपनियों के COVID-19 इलाज वाले 50 विज्ञापन पाए गए भ्रामक
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से क्‍या-क्‍या की मांग

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कोरोनिल के बारे में कहा कि इस दावे के तथ्य और बताये जा रहे वैज्ञानिक अध्ययन के ब्योरे के बारे में उसे जानकारी नहीं है. पतंजलि को नमूने के आकार, स्थान एवं उन अस्पतालों का ब्योरा देने को कहा गया है, जहां अनुसंधान अध्ययन किया गया. साथ ही,संस्थागत नैतिकता समिति की मंजूरी भी दिखाने को कहा गया है.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, संबद्ध आयुर्वेदिक औषधि विनिर्माता कंपनी को सूचित किया गया है कि आयुर्वेदिक औषधि सहित दवाइयों का इस तरह का विज्ञापन औषधि एवं चमत्कारिक उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम,1954 तथा उसके तहत आने वाले नियमों और कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों से विनियमित होता है. इससे पहले, हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में संवाददाताओं से रामदेव ने कहा, यह दवाई शत प्रतिशत (कोविड-19) मरीजों को फायदा पहुंचा रही है.

बाबा रामदेव ने क्‍या कहा

रामदेव ने इस पूरे मामले में कहा कि इस दवा के अनुसंधान में पतंजलि और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से परीक्षण और क्लीनिक ट्रायल किया. उन्होंने कहा, पंतजलि ने सबसे पहले नैदानिक अध्ययन किया और दवा की खोज के लिए निर्धारित सभी नियमों का पालन करते हुए नैदानिक नियंत्रण परीक्षण (क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल) किया.

आईसीएमआर जैसी सरकारी एजेंसी से दवा की मंजूरी लिए जाने के सवाल पर रामदेव ने कहा कि इन दवाओं का नैदानिक नियंत्रण अध्ययन दिल्ली, अहमदाबाद और मेरठ समेत कई शहरों में किया गया और आरसीटी (सांयोगिक नैदानिक परीक्षण) जयपुर आधारित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान में किया गया.

उन्होंने कहा, ‘क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरई) से मंजूरी मिलने और सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ऐसा किया गया. हमने ऐसे नैदानिक परीक्षण के लिए आधुनिक विज्ञान द्वारा तय सभी मानदंडों का पालन किया.

कोरोना दवा पर बाबा की पतंजलि का दावा

पतंजलि आयुर्वेद ने ‘कोरोनिल’ दवा पेश करते हुए दावा किया कि उसने कोविड-19 का इलाज ढूंढ लिया है. पतंजलि ने दावा किया कि इस दवा का 100 मरीजों पर नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किया गया, जिसमें तीन दिन के अंदर 69 प्रतिशत और चार दिन के अंदर शत प्रतिशत मरीज ठीक हो गये और उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आयी.

वहीं, फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के फेफड़ा रोग विभाग के प्रमुख डॉ रवि शंकर झा ने कहा कि शरीर क्रिया विज्ञान के अनुसार, यह बिल्कुल असंभव है कि यहां कोई दवा शरीर से वायरस को पांच से सात दिन में पूरी तरह समाप्त कर सकती है.

posted by – arbind kumar mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें