संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा आगामी चार अक्टूबर को आयोजित होने वाली है. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC Civil Services Prelims) की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों की कोरोना वायरस की टेस्ट करवाना अनिवार्य है, इसके अलावा उनकी रिपोर्ट निगेटिव होने पर परीक्षा में शामिल होने की बात काफी वायरल हो रही थी.
जिन छात्रों ने इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन किये हैं, इनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होगी, तभी वे परीक्षा में शामिल हों पाएंगे. इस निर्देश के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) समेत अन्य प्रमुख सेवाओं की परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र परेशान हो गए थे.
भारत सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ने वायरल खबर का खंडन किया है. पीआईबी ने एक अखबार की खबर को टैग करते हुए ट्वीट किया है कि ‘यह खबर फर्जी है. यूपीएससी द्वारा ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है.
इसका खंडन करते हुए पीआईबी ने कहा, “यह खबर फ़र्ज़ी है. यूपीएससी द्वारा ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है.” यूपीएससी ने 2020 के परीक्षा कैलेंडर में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 और भारतीय वन सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2020 की तारीख 31 मई 2020 रखी थी. परंतु कोरोना महामारी के कारण संघ लोक सेवा आयोग ने अपने परीक्षा कैलेंडर में संशोधन किया और सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा को 04 अक्तूबर, 2020 को कराने का निर्णय लिया.
छात्रों की चिंता यह भी थी कि अभी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की ही जांच नहीं हो पा रही है, फिर इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की जांच कैसे हो पाएगी? यदि सरकार से अधिकृत निजी अस्पताल या पैथालॉजी में कोरोना जांच करानी पड़ी तो हर छात्र को इसके लिए 2500 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा.
सेहत के मद्देनजर केंद्र बदलने की अनुमति
यूपीएससी द्वारा परीक्षा केंद्र में बदलाव की अनुमति इसलिए दी गई थी क्योंकि कई उम्मीदवारों को अपने घर या कस्बों से 4 अक्टूबर की परीक्षा के लिए यात्रा करने जाना पड़ रहा था, जो उनके लिए स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है. उम्मीदवारों ने आयोग से अनुरोध किया था कि एनटीए और जेईई मेन परीक्षा 2020 के जैसे परीक्षा केंद्रों को बदलने की अनुमति दी जाए.