नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना काल में सुधारों, केंद्र और राज्य की भागीदारी, रचनात्मक नीति-निर्माण को लेकर अपने एक ब्लॉग का पोस्ट साझा किया है. इस पोस्ट को लिंक्डइन पर साझा किया गया था. उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में स्थिरता सुनिश्चित करते हुए लोक कल्याण के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक साबित हो रहा है. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के लिए आर्थिक प्रतिक्रिया तैयार करने में यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारे समाधान 'एक आकार सभी के लिए उपयुक्त' मॉडल का पालन ना करें. हमें अपनी संघीय राजनीति की मजबूती पर भरोसा था और हम केंद्र-राज्य की भागीदारी की भावना से आगे बढ़े.
हमारे जैसे जटिल चुनौतियों वाले बड़े राष्ट्र के लिए यह एक अनूठा अनुभव था. हमने देखा है कि विभिन्न कारणों से योजनाएं और सुधार अक्सर वर्षों तक अक्रियाशील रहते हैं. यह अतीत से एक सुखद प्रस्थान था, जहां केंद्र और राज्य महामारी के बीच कम समय में सार्वजनिक अनुकूल सुधारों को लागू करने के लिए एक साथ आये. यह सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के हमारे दृष्टिकोण के कारण संभव हुआ. इन सुधारों पर काम कर रहे अधिकारियों का सुझाव है कि अतिरिक्त धन के इस प्रोत्साहन के बिना, इन नीतियों को लागू करने में वर्षों लग जाते. भारत ने 'चुपके और मजबूरी से सुधार' का एक मॉडल देखा है. यह 'विश्वास और प्रोत्साहन से सुधार' का एक नया मॉडल है.
प्रधानमंत्री ने जिन चार सुधारों का जिक्र किया है, वे सभी सुधार जनता और खास तौर से गरीब, कमजोर और मध्यम वर्ग के लिए जीवन की सुगमता में सुधार से जुड़ा था. साथ ही राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देना है. पिछले साल मई में आत्मानिर्भर भारत पैकेज के रूप में जीएसडीपी के अतिरिक्त दो फीसदी की अनुमति दी गयी थी, जिसमें से एक फीसदी को कुछ आर्थिक सुधारों के कार्यान्वयन पर सशर्त बनाया गया था.
चार सुधारों का किया जिक्र
'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत थी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत राज्य में सभी राशन कार्ड सभी परिवार के सदस्यों के आधार संख्या के साथ जुड़े हुए हैं. साथ ही सभी उचित मूल्य की दुकानें हैं. बिक्री उपकरणों का इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट था. इसका मुख्य लाभ यह है कि प्रवासी श्रमिक देश में कहीं से भी अपना भोजन राशन प्राप्त कर सकते हैं.
दूसरा सुधार व्यापार करना आसान बनाना है. इसमें राज्यों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सात अधिनियमों के तहत व्यवसाय से संबंधित लाइसेंसों का नवीनीकरण केवल शुल्क के भुगतान पर स्वचालित, ऑनलाइन और गैर-विवेकाधीन हो. एक अन्य जरूरत एक कंप्यूटरीकृत यादृच्छिक निरीक्षण प्रणाली का कार्यान्वयन और एक और 12 अधिनियमों के तहत उत्पीड़न और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए निरीक्षण की पूर्व सूचना थी. यह एक बेहतर निवेश माहौल, अधिक निवेश और तेज विकास को भी बढ़ावा देता है.
तीसरे सुधार के लिए राज्यों को संपत्ति कर और पानी व सीवरेज शुल्क की न्यूनतम दरों को शहरी क्षेत्रों में संपत्ति लेनदेन और वर्तमान लागत के लिए क्रमशः स्टांप शुल्क दिशा-निर्देश मूल्यों के अनुरूप अधिसूचित करने की जरूरत है. यह शहरी गरीबों और मध्यम वर्ग को सेवाओं की बेहतर गुणवत्ता, बेहतर बुनियादी ढांचे का समर्थन करने और विकास को प्रोत्साहित करने में सक्षम बनायेगा. इस प्रकार शहरी क्षेत्रों में गरीबों को सबसे अधिक लाभ होगा. इस सुधार से नगर निगम कर्मियों को भी लाभ होता है, जिन्हें अक्सर मजदूरी के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ता है.
चौथा सुधार किसानों को मुफ्त बिजली आपूर्ति के बदले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की शुरुआत थी. वर्ष के अंत तक प्रायोगिक आधार पर एक जिले में वास्तविक क्रियान्वयन के साथ राज्यव्यापी योजना तैयार करने की जरूरत थी. इससे जीएसडीपी के 0.15 फीसदी की अतिरिक्त उधारी जुड़ी हुई थी. एक घटक तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे में कमी के लिए और दूसरा राजस्व और लागत के बीच के अंतर को कम करने के लिए प्रदान किया गया था. यह वितरण कंपनियों के वित्त में सुधार करता है, पानी और ऊर्जा के संरक्षण को बढ़ावा देता है और बेहतर वित्तीय और तकनीकी प्रदर्शन के माध्यम से सेवा की गुणवत्ता में सुधार करता है.