केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 56 से भी अधिक दिनों से आंदोलन में बैठे किसानों के साथ अब तक बात नहीं बन पायी है. किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता में बेनतीजा समाप्त हो चुकी है.
इधर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन समाप्त नहीं होने के पीछे अद्दश्य ताकत को बताया है. 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद तोमर ने कहा, कोई अदृश्य ताकत है जो चाहती है कि ये मुद्दा हल नहीं हो. हालांकि जब कृषि मंत्री से उन ताकतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने नाम नहीं बताया.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद अफसोस जताया. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 12-18 महीनों तक स्थगित रखने और तब तक चर्चा के जरिए समाधान निकालने के लिए समिति बनाए जाने सहित केंद्र सरकार की ओर से अब तक वार्ता के दौरान कई प्रस्ताव दिए गए, लेकिन किसान संगठन इन कानूनों को खारिज करने की मांग पर अड़े हैं.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हमेशा किसानों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया और किसानों के सम्मान की बात सोची. इसलिए किसान संगठनों से लगातार बात की जा रही है ताकि उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े और वे किसानों की नुमाइंदगी कर सकें.
उन्होंने कहा, इसलिए भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करें और सही रास्ते पर विचार करने के लिए 11 दौर की बैठक की गई. जब किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे तो सरकार ने उनकी आपत्तियों के अनुसार निराकरण करने व संशोधन करने के लिए एक के बाद एक अनेक प्रस्ताव दिए.
लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता. तोमर ने कहा, मुझे लगता है वार्ता के दौर में मर्यादाओं का पालन तो हुआ, लेकिन किसान के हक में वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो, इस भावना का अभाव था. इसलिए वार्ता निर्णय तक नहीं पहुंच सकी. इसका मुझे खेद है.
कृषि मंत्री ने कहा कि जब आंदोलन का नाम किसान आंदोलन और विषय किसानों से संबंधित हो तथा सरकार निराकरण करने के लिए सरकार तैयार हो और निर्णय ना हो सके तो अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, कोई न कोई ताकत ऐसी है जो इस आंदोलन को बनाए रखना चाहती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनके विकास और उत्थान के लिए उसका प्रयत्न निरंतर जारी रहेगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा, मैं कोई अनुमान नहीं लगाता लेकिन मैं आशावान हूं. मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे. तोमर ने कहा कि किसानों के हित में विचार करने वाले लोग सरकार के प्रस्ताव पर जरूर विचार करेंगे.
Posted By - Arbind kumar mishra