नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) में खाली पदों के लिए विपक्ष की आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने आयोग में पांच सदस्यों की नियुक्ति की है. आयोग पर अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी है, लेकिन इस साल मार्च में इस संस्था में सदस्यों के सारे पद खाली पड़े थे. कांग्रेस की अगुवाईवाली पिछली यूपीए सरकार की ओर से नियुक्त किये गये आयोग के सभी सात सदस्य नौ सितंबर, 2015 और इस साल नौ मार्च के बीच सेवानिवृत्त हो गये थे.
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के समाजसेवी गयरुल हसन आयोग के अध्यक्ष होंगे. केरल के भाजपा नेता जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री सुलेखा कुंभरे, गुजरात से जैन प्रतिनिधि सुनील सिंघी और उद्वदा अर्थानन अंजुमन वडा दस्तूरजी खुर्शीद आयोग के अन्य नवनियुक्त सदस्यों में शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि आयोग के दो और सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
जनवरी 2014 में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक के तौर पर अधिसूचित करने के बाद पहली बार इस समुदाय के किसी व्यक्ति को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है.
सूत्रों ने बताया, ‘‘अब तक परंपरा यह थी कि किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या नौकरशाह को आयोग का अध्यक्ष या सदस्य बनाया जाता था. ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि सारे सदस्य समाजसेवी हैं और जमीनी हकीकत को समझते हैं.’ अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मुख्तार अब्बास नकवी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इन नियुक्तियों की पुष्टि की. नकवी ने कहा, ‘‘ये काफी योग्य लोग हैं. हमें उम्मीद है कि वे अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों के साथ न्याय करेंगे.’
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत एनसीएम की स्थापना हुई थी, जिसका काम देश के पांच धार्मिक समुदायों (मुस्लिमाें, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों) की शिकायतों पर विचार करना है. एनसीएम में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित सात सदस्य हैं.