श्रीनगर/नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर की घाटी में हिंसा फैलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पत्थरबाजों की गतिविधियों को कम करने के लिए राज्य सरकार की ओर से फेसबुक-ट्विटर समेत करीब 22 सोशल साइटों पर रोक लगा दी गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की ओर से कश्मीर में हिंसा पर काबू पाने के लिए यह फैसला किया गया है. राज्य सरकार की ओर से इन सोशल साइटों पर फिलहाल करीब एक महीने तक रोक लगी रहेगी. हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक दिन पहले ही यूनिफाइड कमांड की बैठक में सुरक्षा बलों को संयम की नसीहत दी थी और अब सरकार ने अफवाहों पर रोक लगाने के लिए कश्मीर में 22 सोशल नेटवर्किंग साइटों पर रोक लगाने का फैसला किया है.
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गृह विभाग की ओर से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों को जारी आदेश में सोशल मीडिया की साइट पर रोक लगाने को कहा गया है. घाटी में उपद्रवियों की ओर से सोशल मीडिया का सहारा लेकर अफवाहें फैलाकर हिंसा भड़कायी जा रही थी. इस आदेश के बाद अब घाटी के लोग यू-ट्यूब पर भी अपनी सामग्रियों को अपलोड नहीं कर सकेंगे.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, घाटी में आतंकी संगठनों, कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, पत्थरबाजों और उपद्रवियों द्वारा कई वीडियो वायरल किये जा रहे थे. इससे उपद्रव, पत्थरबाजी और हिंसा पर अंकुश लगाने में दिक्कतें आ रही थीं. कश्मीर में सोशल मीडिया पर होने वाले देश-विरोधी और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ दुष्प्रचार पर गृह विभाग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए इस आशय का फैसला लिया है. अब 22 नेटवर्किंग साइट पर उपभोक्ता मैसेज के साथ कुछ भी अपलोड नहीं कर सकेंगे.
किस-किस पर साइट्स लगी रोक
सरकार के फैसले के बाद फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, क्यू क्यू, वीचैट, क्यूजोन, टूंबिर, गूगल प्लस, बैडू, स्काइप, लाइन, वायवर, स्नैपचैट, पिंटरेस्ट, टेलीग्राम, रेडिट, स्नैपफिश, यू ट्यूब अपलोड, वाइन, जैंगा, बजनेट और फ्लिकर साइटों पर एक महीने के लिए पूरी तरह रोक लग गयी है. मोबाइल कंपनियों पर इंस्टेट मैसेजिंग सर्विस भी बंद रहेगी. सरकार के आदेश में कहा गया कि कश्मीर में फेसबुक और ट्विटर का भी गलत उपयोग हो रहा था. शरारती तत्व इसके दुरुपयोग से जन सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे थे. सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा था.