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मोदी, पेटीएम संस्थापक ‘टाइम” के सर्वाधिक 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल

न्यू याॅर्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेटीएम के संस्थापक विजय शंकर शर्मा को टाइम पत्रिका की इस साल के लिए जारी ‘दुनिया के 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों ‘ की सालाना सूची में जगह मिली है. इस सूची में सिर्फ दो भारतीय ही शामिल हैं. पत्रिका ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन […]

न्यू याॅर्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेटीएम के संस्थापक विजय शंकर शर्मा को टाइम पत्रिका की इस साल के लिए जारी ‘दुनिया के 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों ‘ की सालाना सूची में जगह मिली है. इस सूची में सिर्फ दो भारतीय ही शामिल हैं. पत्रिका ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे को भी अपनी सूची में जगह दी है.

इस सूचीमें दुनिया भर के कलाकारों, नेताओं और प्रमुख हस्तियों को जगह मिली है जिन्हें उनके नवोन्मेष, उनकी महत्वाकांक्षा, समस्याओं को हल करने में उनकी प्रतिभा को लेकर सम्मानित किया गया है. मोदी (66) का प्रोफाइल लेखक पंकज मिश्रा ने लिखा है. उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने की कल्पना से भी काफी पहले मई 2014 में मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बन गये.

इसमें कहा गया है कि मुस्लिम विरोधी हिंसा में उनकी संदिग्ध भूमिका को लेकर कभी अमेरिका ने उन पर पाबंदी लगा दी थी और स्वदेश में भी उनका राजनीतिक रूप से बहिष्कार किया गया था. लेकिन, इस हिंदू राष्ट्रवादी ने परंपरागत मीडिया को पीछे छोड़ते हुए ट्विटर का इस्तेमाल किया और वैश्विकरण में पीछे छूटता महसूस कर रहे लोगों से सीधे तौर पर बात की. उन्होंने स्वार्थी संभ्रांत वर्ग को हटाकर भारत को फिर से महान बनाने का वादा किया.

प्रोफाइल में कहा गया है कि सत्ता में आने के करीब तीन साल बाद भारत की आर्थिक, भू-राजनीतिक और सांस्कृतिक सर्वोच्चता के बारेमें मोदी की दूरदृष्टि साकार होने से कोसों दूर है. लेकिन, हिंदू राष्ट्रवादियों का उनका विस्तारित परिवार धर्मनिरपेक्ष और उदार बुद्धिजीवियों तथा गरीब मुसलमानों को बलि का बकरा बना रहा है.

इसमें कहा गया, ‘फिर भी मोदी का आभामंडल कम नहीं हुआ है. वह राजनीतिक रूप से आकर्षित करने, डर की भावना से खेलने और नीचे धकेल दिये जाने या अवरुद्ध गतिशीलता का सामना कर रहे लोगों की सांस्कृतिक असुरक्षा से खेलने की कला में माहिर हैं. उत्तर प्रदेश में शानदार चुनावी जीत ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि निर्वाचित शक्तिशाली लोग संभ्रांत वर्ग के खिलाफ वैश्विक विद्रोह का फायदा उठाने वालों में प्रमुख हैं.

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