मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में ब्याज दर में कटौती नहीं करने के पक्ष में मतदान किया और कहा कि नये नोटों को तेजी से चलन में आने और उपभोक्ताओं की ऐच्छिक मांग के फिर जोर पकडने से चालू वित्त वर्ष में आगे आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी.
इस महीने सात और आठ तारीख को मौद्रिक नीति समति की बैठक के दौरान पटेल ने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति के रुख को ‘नरम’ के स्थान पर ‘तटस्थ’ किये जाने से नीतिगत दर को किसी भी दिशा में बदलने के लिए केंद्रीय बैंक को पर्याप्त लचीली स्थिति उपलब्ध होगी.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी एमपीसी की बैठक के ब्योरे के अनुसार पटेल ने कहा, ‘‘पिछले दो महीनों में अर्थव्यवस्था में नये नोट तेजी से चलन में आये हैं, ऐसे में आर्थिक गतिविधियों में 2016-17 की चौथी तिमाही में जोर पकड़ने की उम्मीद है.” उन्होंने यह भी कहा, ‘‘नोटबंदी के बाद ग्राहकों की जो ऐच्छिक मांग थी, वह प्रभावित हुई, अब उसके फिर से पटरी पर आने की उम्मीद है.” समिति के सभी छह सदस्यों ने नीतिगत दर (रेपो) को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया.
पटेल ने आगे कहा कि तीसरी तिमाही में कारपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन पर सीमित आंकडा उपलब्ध है जो यह बताता है कि बिक्री वृद्धि में पिछली तिमाही के मुकाबले सुधार हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में बुनियादी ढांचा पर खर्च बढ़ाया गया है और सस्ते मकान पर जोर दिया गया है. वैश्विक वृद्धि 2016 के मुकाबले 2017 में अधिक रहने का अनुमान है.
पटेल ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति के निर्णयों के प्रभाव के प्रसार (पारेषण:)में सुधार के साथ इन कारकों से चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 2017-18 में वृद्धि की संभावना उल्लेखनीय रुप से सुधरी है.”