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तेलंगाना विधेयक में अडचनें

नयी दिल्ली: तेलंगाना विधेयक पारित कराने की सरकार की योजना बाधित होती नजर आ रही है क्योंकि विधेयक पर राज्यसभा में आज चर्चा नहीं हो सकी. भाजपा और सरकार के बीच एक संविधान संशोधन तथा सीमांध्र के लिए उचित पैकेज की मांग को लेकर गतिरोध हो गया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई मंत्रियों एंव राज्यसभा […]

नयी दिल्ली: तेलंगाना विधेयक पारित कराने की सरकार की योजना बाधित होती नजर आ रही है क्योंकि विधेयक पर राज्यसभा में आज चर्चा नहीं हो सकी. भाजपा और सरकार के बीच एक संविधान संशोधन तथा सीमांध्र के लिए उचित पैकेज की मांग को लेकर गतिरोध हो गया.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई मंत्रियों एंव राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली तथा भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू के बीच हुई बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी. राजनीतिक विश्लेषक महसूस करते हैं कि भाजपा के रुख की एक वजह सीमांध्र की चुनावी संभावनाएं हो सकती है.लगता है कि कांग्रेस सीमांध्र के लोगों की भावनाओं को शांत करना चाहती है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार से कहा है कि वे सीमांध्र को पांच साल के लिए विशेष दर्जा दें ताकि वह अपनी विकास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके.

उच्च सदन में इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ. तेदेपा सदस्य सी एम रमेश ने महासचिव शमशेर के शरीफ को धक्का लेकर उनसे कागजात छीने. दिन में कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पडी.शाम को जब उम्मीद की जा रही थी कि कल लोकसभा द्वारा पारित आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में लिया जाएगा तो अचानक कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गयी.सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे के लिए संविधान संशोधन लाने की आवश्यकता बतायी क्योंकि पुनर्गठन विधेयक कानून व्यवस्था के अधिकार राज्यपाल को देने का प्रस्ताव करता है, जो शायद संविधान के प्रावधानों के खिलाफ हो.

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