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गोमांस पर टिप्पणी मामले में काटजू को नोटिस जारी, 18 नवंबर तक जवाब देने का आदेश

इलाहाबाद : उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्केंडेय काटजू कोनिचलीअदालत नेगोमांस के सेवन के बारे में की गयी टिप्पणी पर आज नोटिस जारी किया. इस संबंध में दायर याचिका में उनपर अपने ब्लॉग में गोमांस खाने को लेकर कर ‘‘आपत्तिजनक’ टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शुचि श्रीवास्तव ने राकेश नाथ […]

इलाहाबाद : उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्केंडेय काटजू कोनिचलीअदालत नेगोमांस के सेवन के बारे में की गयी टिप्पणी पर आज नोटिस जारी किया. इस संबंध में दायर याचिका में उनपर अपने ब्लॉग में गोमांस खाने को लेकर कर ‘‘आपत्तिजनक’ टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शुचि श्रीवास्तव ने राकेश नाथ पांडे की पुनरीक्षा याचिका पर नोटिस जारी किया.

इसमें आरोप लगाया गया है कि न्यायमूर्ति काटजू ने हिंदुओं की इस आस्था पर प्रहार किया है कि गाय पवित्र है. इसके साथ ही उन्होंने उस कानून को रद्द करने की मांग की थी, जिसके तहत कई राज्यों में गोवध पर प्रतिबंध है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति काटजू से कहा है कि वह 18 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में अपना जवाब दाखिल करें. पांडे ने याचिका दायर कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें न्यायमूर्ति काटजू के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश देने की गुजारिश को नकार दिया था. पिछले साल जनवरी में जब से महाराष्ट्र में गाय का मांस रखने तथा बेचने पर पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया था तब से भारतीय प्रेस परिषद् के पूर्व अध्यक्ष न्यायाधीश काटजू ने कई विवादित बयान दिए थे.
वकील राकेश नाथ पांडेय ने अपनी याचिका में काटजू पर आरोप लगाया था कि उनकी टिप्पणी से उन्होंने बहुसंख्यकों की भावना को ठेस पहुंचाया है. उन्होंने हिंदुओं के धार्मिक भावनाओं पर प्रहार किया है. हिंदू गाय को लेकर अलग मान्यता रखते हैं. गौ हत्या पर कई राज्यों ने पाबंदी लगा रखी है. एडिशनल सेंशन जज शुचि श्रीवास्तव ने नोटिस जारी करते हुए उन्हें इन सवालों का जवाब देने के लिए कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होनी है.
काटजू प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया के भी चेयरमैन रह चुके हैं गो हत्या या बीफ के व्यापार पर महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में कड़े कानून बनाये गये है जिसके तहत पांच साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. सितंबर के महीने में उत्तर प्रदेश की दादरी में हुई अखलाक की हत्या के बाद काटजू ने अपने ब्लॉग पर कई बयान दिये थे. काटजू ने कई ऐसी बातें लिखी थी जिस पर कुछ लोगों ने कड़ी आपत्ति जतायी थी. यह पहली बार नहीं है जब काटजू का नाम विवादों में घसीटा गया हो वो अपने बयानों के माध्यम से हमेशा खबरों में रहते हैं.

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