वाशिंगटन : भारत में महिलाओं के कार्य करने की स्थिति के लिहाज से पूर्वोत्तर का छोटा राज्य सिक्किम जहां पहले स्थान पर है, वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सबसे निचले पायदान पर है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
यह रिपोर्ट अमेरिका के प्रमुख शोध संस्थान सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) तथा नाथन एसोसिएट्स ने संयुक्त रुप से तैयार की है. रिपोर्ट में सिक्किम को सर्वाधिक 40 अंक जबकि दिल्ली को केवल 8.5 अंक मिले हैं जो राष्ट्रीय राजधानी की स्थिति को बयां करता है.
राज्यों की रैंकिंग चार मुख्य तत्वों….कारखानों, खुदरा क्षेत्र तथा आईटी उद्योग में महिलाओं के कामकाजी घंटे पर कानूनी प्रतिबंध, यौन उत्पीडन जैसे महिला कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले अपराध को लेकर राज्य की आपराधिक न्याय व्यवस्था की त्वरित प्रतिक्रिया, कुल कर्मचारियों में महिला कामगारों का प्रतिशत तथा राज्य की स्टार्टअप और औद्योगिक नीतियों में महिला उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन के आधार पर की गयी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘लेकिन कार्य करने के लिहाज से पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम सबसे आगे है. इसकी वजह महिला कार्यबल की उंची भागीदारी, महिलाओं के कामकाजी घंटे को लेकर पाबंदी का न होना तथा महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर कार्रवाई की उच्च दर है.’ इस सूची में सिक्किम के बाद तेलंगाना (28.5 अंक), पुडुचेरी (25.6), कर्नाटक (24.7 अंक), हिमाचल प्रदेश (24.2) आंध्र प्रदेश (24.0), केरल (22.2 अंक), महाराष्ट्र (21.4 अंक), तमिलनाडु (21.1 अंक) तथा छत्तीसगढ़ (21.1) का स्थान है.
रिपोर्ट के अनुसार चार राज्यों….सिक्किम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ने कारखानों, खुदरा दुकानों तथा आईटी क्षेत्र में रात में महिलाओं के काम करने पर लगे तमाम प्रतिबंधों को हटा दिया है.
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अदालत के फैसले के परिणामस्वरुप प्रतिबंध हटाये गये हैं.महाराष्ट्र इस मामले में पीछे है. वहां खुदरा दुकानों में केवल 10 बजे तक काम करने की अनुमति है.वहीं दूसरी तरफ नौ राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश औपचारिक रुप से महिलाओं को रात में किसी भी क्षेत्र में काम करने की औपचारिक अनुमति नहीं देते.
रिपोर्ट के मुताबिक 15 राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश अपनी व्यापार संवर्द्धन नीतियों में महिला उद्यमियों को कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं देते.इसमें कहा गया है, ‘‘यह अचंभित करने वाला है कि दिल्ली हमारे सूचकांक में अंतिम पायदान पर है. इसका मुख्य कारण अपेक्षाकृत न्याय मिलने की कम दर तथा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का कम होना, विभिन्न क्षेत्रों में रात में काम करने को लेकर महिलाओं पर पाबंदी तथा औद्योगिक नीतियों में महिला उद्यमियों के लिये किसी प्रकार के प्रोत्साहन का अभाव है.’ रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला कार्यबल की भागीदारी दुनिया में सबसे कम (24 प्रतिशत) है.
इसके अनुसार यह वृद्धि के लिहाज से बडी बाधा है. मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि भारत में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाए तो 10 साल में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 16 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है.