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उपग्रह इनसैट 3डीआर का सफल प्रक्षेपण, ऐसे बढ़ेगा भारत का कद

श्रीहरिकोटा : भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कामयाबी की नयी इबारत लिखते हुए आज अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3 डीआर को जीएसएलवी-एफ 05 के माध्सम से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया. इस 49.13 मीटर उंचे रॉकेट को यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम करीब 4:50 बजे प्रक्षेपित किया गया और यह तत्काल नीले आसमान […]

श्रीहरिकोटा : भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कामयाबी की नयी इबारत लिखते हुए आज अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3 डीआर को जीएसएलवी-एफ 05 के माध्सम से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया. इस 49.13 मीटर उंचे रॉकेट को यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम करीब 4:50 बजे प्रक्षेपित किया गया और यह तत्काल नीले आसमान की अथाह गहराइयों में समा गया तथा करीब 17 मिनट के बाद इस 2,211 किलोग्राम के इनसैट-3डीआर को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर दिया.

इससे पहले आज इस प्रक्षेपण को 40 मिनट के लिए संशोधित किया और इसका प्रक्षेपण शाम चार बजकर 50 मिनट निर्धारित किया गया. इस अंतरिक्ष स्टेशन के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से इसे चार बजकर 10 मिनट पर छोड़ा जाना निर्धारित किया गया था. अधिकारियों ने कहा था कि इसके प्रक्षेपण में 40 मिनट की देरी हुयी. क्रायोस्टेज फिलिंग ऑपरेशन में देरी के कारण प्रक्षेपण चार बजकर 50 मिनट पर निर्धारित किया गया.

इनसैट-3डीआर को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसका जीवन 10 साल का होगा. यह पहले मौसम संबंधी मिशन को निरंतरता प्रदान करेगा तथा भविष्य में कई मौसम, खोज और बचाव सेवाओं में क्षमता का इजाफा करेगा. आज का यह मिशन जीएसएलवी की 10वीं उडान थी और इसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए खासा महत्व है क्योंकि यह स्वदेशी ‘क्रायोजेनिक अपर स्टेज’ वाले रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान है.

पहले, क्रायोजेनिक स्टेज वाले जीएसलवी के प्रक्षेपण ‘विकासात्मक’ चरण के तहत होते थे. जीएसएलवी-एफ 05 ने स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज की सफलता की हैट्रिक भी बनाई है. इसरो के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘जीएसएलवी-एफ05 का आज का प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि क्रायोजेनिक अपर स्टेज को ले जाने वाली जीएसएलवी की यह पहली परिचालन उड़ान है.

पहले के प्रक्षेपण विकासात्मक होते थे. इस्तेमाल किया गया इंजन रुसी था. आज का प्रक्षेपण स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज था और यह पहली परिचालन उड़ान है.’ साल 2014 की सफलता के बाद भारत उन प्रमुख देशों के समूह में शामिल हो गया था जिन्होंने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन और स्टेज में कामयाबी हासिल की है.

आज की कामयबी से उत्साहित इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने वैज्ञानिकों की अपनी टीम को ‘एक और सफलता’ के लिए बधाई दी और कहा कि उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया है. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार) के निदेशक पी कुनिकृष्णन ने कहा कि आज का प्रक्षेपण सुव्यविस्थत था जहां उपग्रह को बहुत सटीक तरीके से भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया गया.

किरण कुमार ने कहा, ‘‘अद्भुत काम के लिए इसरो की पूरी टीम को बहुत बधाई. इस काम को जारी रखिए.’ इनसैट-3डीआर के कक्षा में स्थापित होने के बाद कर्नाटक के हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी के वैज्ञानिक कक्षा में इसके शुरुआती अभ्यास को अंजाम देंगे और बाद में इसे भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करेंगे. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है.

* इनसैट 3डीआर में क्‍या है खास

इनसैट 3डीआर एक अत्‍याधुनिक मौसम सेटेलाइट है. जिसमें कई आधुनिक सिस्‍टम लगाये गये हैं मौसम की सटीक जानकारी लेने के लिए. हालांकि मौसम की जानकारी लेने के लिए भारत ने पहले से ही कई सेटेलाइट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, लेकिन भारत ने अब तक जितने भी मौसम की जानकारी के लिए सेटेलाइट भेजे हैं उनमें इनसैट 3डीआर इसलिए खास है क्‍योंकि इसमें बेहतर इमेजिंग सिस्‍टम और एटमॉस्‍फेयर साउंडर लगाया गया है.

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इनसैट 3डीआर जमीन से लगभग 70 किलोमीटर की ऊचांई तक 40 स्‍तरों पर वायुमंडल का तापमान और 15 किलोमीटर तक 21 स्‍तरों पर नमी का लेवल सही-सही माप सकता है.

* बढ़ेगी आत्‍मनिर्भरता

इनसैट 3डीआर के सफल प्रक्षेपण के बाद मौसम की स‍टीक जानकारी लेने में अब भारत को विदेशी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना होगा. इनसैट 3डीआर के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण से अब भारत इस क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर हो जाएगा. इस सेटेलाइट की मदद से अब मौसम की जानकारी रात के वक्‍त भी बादलों और कोहरों की सटीक जानकारी मिल जाएगी.

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