नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह (अदालत) शहर में बेघरों को आश्रय देने के दिल्ली सरकार के प्रयासों से ‘‘खुश नहीं’’ है. अदालत ने इस मुद्दे पर योगदान के लिए गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ) को आमंत्रित नहीं करने पर भी कटाक्ष किया.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम इससे खुश नहीं हैं. बैठकें आयोजित करने का कोई उचित तरीका नहीं है. क्या आप व्यवस्थित बैठक आयोजित करके इस मुददे पर चर्चा नहीं कर सकते.’’ उन्होंने सरकार को बेघरों के लिए आश्रय स्थल सुनिश्चित करने के नये प्रयासों के बारे में अवगत कराने के लिए चार हफ्तों का समय दिया.
पीठ की इस प्रतिक्रिया से पहले कुछ एनजीओ के प्रतिनिधियों ने उसके सामने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि इस मुददे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 15 जनवरी को बुलाई गई बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया.
पीठ ने सरकार को बेघरों, उन पर पुलिस बर्बरता और उनकी मौतों के मुददों पर बैठकों के लिए एनजीओ ‘शहरी अधिकार मंच: बेघरों के साथ’ और ‘महिलाएं प्रगति की ओर’ को आमंत्रित करने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा कि राय लेने में कुछ भी गलत नहीं है. आप ऐसे लोगों को आमंत्रित क्यों नहीं कर रहे हैं जो नियमित रुप से सुनवाई में शामिल हो रहे हैं. इन दो एनजीओ को प्रक्रिया में शामिल कीजिए और व्यवस्थित बैठक करके यहां आइए. हम इससे खुश नहीं हैं. अदालत ने यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी में बेघरों को आश्रय उपलब्ध कराने के मुददे पर सुनवाई के दौरान पारित किया.