नयी दिल्ली : भाजपा संसदीय बोर्ड की आज यहां हुई बैठक में 7 जून से गोवा में होने जा रहे पार्टी के तीन दिवसीय उच्च स्तरीय जमावड़े के एजेंडे पर चर्चा की गई. नवगठित बोर्ड की बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी आज पहली बार उपस्थित हुए. इसमें यह निर्णय भी किया गया कि सभी मोचरे पर संप्रग सरकार की कथित असफलता के प्रति जनता को जागरुक बनाने के लिए 27 मई से 2 जून तक पार्टी देश भर में ‘‘जेल भरो’’ आंदोलन चलाएगी.
पार्टी की शीर्ष निर्णय लेने वाली इस इकाई में फिर से प्रवेश पाने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पहली बार संसदीय बोर्ड की बैठक में हिस्सा लिया. बैठक में उन्होंने सुझाव दिया कि जनता, विशेषत: युवाओं तक पहुंच बनाने के लिए पार्टी को सोशल मीडिया का और अधिक प्रभावकारी ढंग से उपयोग करना चाहिए. बैठक के बाद बोर्ड के सचिव अनंत कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि बोर्ड की बैठक में 7 से 9 जून तक गोवा में होने वाली पार्टी की एक दिवसीय राष्ट्रीय पदाधिकारियों तथा दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकों के विषयों के बारे में चर्चा की गई.
राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है. राजनीतिक प्रस्ताव देश की राजनीतिक स्थिति और उसकी सुरक्षा को कथित खतरे के बारे में होगा. आर्थिक प्रस्ताव में मंहगाई और देश की बिगड़ती आर्थिक व्यवस्था पर चर्चा होगी. संसदीय बोर्ड की बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और झारखंड के आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में भी चर्चा की गई. कुमार ने बताया, ‘‘बोर्ड ने संप्रग के 9 साल के शासन पर भी चर्चा की. यह सरकार सभी मोचरे पर विफल रही है, चाहे मंहगाई को नियंत्रण करने का मामला हो या आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा का मामला अथवा आर्थिक प्रबंधन का. भाजपा इसके खिलाफ 27 मई से 2 जून तक जेल भरो आंदोलन चलाएगी.’’ मोदी ने अपने विचार रखते हुए बैठक में कहा कि भाजपा को संप्रग के 9 साल के शासन की असफलताओं पर जनता के बीच चर्चा छेड़नी चाहिए. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली संप्रग सरकार की ‘‘असफलताओं’’ पर बुधवार को संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगे.
संप्रग-2 के शासन की उपलब्धियों को गिनाने वाले सरकार के प्रस्तावित श्वेत पत्र के विरुद्ध भाजपा ने उसकी कथित असफलताओं पर ‘काला पत्र’ निकालने का निर्णय किया है. कुमार ने कहा कि संप्रग के नौ साल के शासन को ‘‘शासन का नाम दिया ही नहीं जा सकता. हम इसे केवल कुशासन ही कह सकते हैं. देश की जनता इस सरकार से आजिज आ चुकी है और जितना जल्दी हो, वह इसे उखाड़ फेंकना चाहती है.’’ बैठक में चीन के प्रधानमंत्री की यात्रा पर भी चर्चा की गई.