नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि 2012 में केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के दो मरीन के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून लागू किये के कारण इतालवी सरकार के साथ उठे विवादों को हल करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि इन मरीन के खिलाफ मुकदमा शुरु करने में विलंब हुआ है क्योंकि इनके साथ जहाज पर मौजूद गवाह भारत आकर गवाही देने के लिये तैयार नहीं है. इन गवाहों ने हालांकि पहले इस संबंध में आश्वासन दिया गया था.अटार्नी जनरल ने इन आरोपी मरीन के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून लागू किये जाने को लेकर इतालवी सरकार की आपत्तियों पर जवाब देने के लिये न्यायालय से कुछ वक्त मांगा. इतालवी सरकार का तर्क है कि मरीन के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून लागू करने का मतलब इटली गणराज्य को आतंकी देश मानना है.
न्यायाधीशों ने अटार्नी जनरल की दलीले सुनने के बाद इस मामले की सुनवाई तीन फरवरी के लिये स्थगित कर दी. न्यायालय ने आशा व्यक्त की कि इस दौरान केंद्र सरकार इस मसले को सुलझाने का गंभीरता से प्रयास करेगी.न्यायालय इन मरीन के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून लागू करने को चुनौती देने वाली इतालवी सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इटली सरकार का कहना है कि यह कार्यवाही शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ है क्योंकि इसमें समुद्रीसीमा कानून, भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया सहिता और यूएनसीएलओएस के तहत ही कार्यवाही की इजाजत दी गयी थी.व्यापारिक जहाज ‘एंनरिका लेक्सी’ पर सवार लाटोरे और गिरोने ने समुद्री लुटेरों की आशंका में 15 फरवरी, 2012 को भारतीय मछुआरों की नौका पर गोली चलायी थी. इस हमले में दो भारतीय मछुआरे मारे गये थे. इन दोनो मरीन को 19 फरवरी, 2012 को गिरफ्तार किया गया था.