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दिग्विजय ने कहा- युवाओं को दें जिम्मेदारी, अब कोई विकल्प नहीं बचा

नयी दिल्ली : विधानसभा चुनाव में पटखनी खाने के बाद कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है. राजीव गांधी के पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नेतृत्व परिवर्तन की बात कही. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पार्टी नेताओं से अपील करते हुए कहा कि पार्टी […]

नयी दिल्ली : विधानसभा चुनाव में पटखनी खाने के बाद कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है. राजीव गांधी के पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नेतृत्व परिवर्तन की बात कही. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पार्टी नेताओं से अपील करते हुए कहा कि पार्टी की बाग-डोर युवाओं के हाथ में सौंपे, इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘हर किसी को युवाओं की आकांक्षा को समझने की जरूरत है, कांग्रेस ने हमेशा युवाओं को मौका दिया है.

गौरतलब है कि दो दिन पहले आये पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशजनक रहा है. कांग्रेस ने केरल व असम में अपनी सरकार गंवा दी. लोकसभा चुनाव से मिल रही लगातार हार के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर चुका है. उसे भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है. असम में पिछले 15 सालों से कांग्रेस सत्ता में थी. यहां भाजपा पहली बार सत्ता में आयी है. आमतौर पर पूर्वोतर भारत कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन असम में भाजपा की इस सफलता के बाद कांग्रेस शासित पूर्वोतर केअन्यराज्यों में उसे बीजेपी से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है.
दक्षिण में बढ़ रहा है भाजपा का प्रभाव
दक्षिण भारत के राज्य कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है. जिन राज्यों में कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा है. उन प्रांतों में भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है. केरल में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है और भाजपा पहली बार विधानसभा चुनावों में खाता खोलने में सफल हो पायी है. 2018 मेंकर्नाटक विधानसभा चुनाव होने वाला है. यहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में है. कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां भाजपा पहले शासन कर चुकी है. इस स्थिति में कांग्रेस की लापरवाही उसे सत्ता से बेदखल कर सकती है.
कांग्रेस के सामने क्या है चुनौती
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती नेतृत्व परिवर्तन को लेकर है सत्ता का केंद्र अभी भी पुरानी पीढ़ी के नेताओं के पास है. उधर भाजपा ने अपने नेतृत्व में पीढ़ीगत परिवर्तन कर लिया है. कांग्रेस के ज्यादातर नेता नये जमाने के राजनीति में फिट नहीं बैठ पा रहेहैं. हालांकि कांग्रेस के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितेंद्र सिंह, जतिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं की अच्छी-खासी फेरहिस्त है, जिन्हें संगठन में अति सक्रिय करने की आवश्यकता है.देश में तेजी से बढ़ती युवा आबादी के बीच कांग्रेस पार्टी यूथ को कनेक्ट कर नहीं पा रही है. हालांकि इसके पास युवा प्रतिभावान नेताओं का आभाव नहीं है लेकिन उन्हें जिम्मेदारी देने से लोग हिचकिचा रहे हैं.

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