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विकसित देशों को ‘हरित जलवायु कोष” पर कुछ काम करके दिखाना चाहिए: भारत
कोच्चि : पेरिस में आगामी महत्वपूर्ण जलवायु सम्मेलन से पहले भारत ने आज कहा कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन के लिए ‘‘ऐतिहासिक रुप से जिम्मेदार” हैं और उन्हें इस विषय से निपटने के लिए उनके द्वारा किये गये वायदे के अनुरुप ‘हरित जलवायु कोष’ :जीसीएफ: पर कुछ काम करके विकासशील देशों के साथ ‘‘न्याय” करना […]
कोच्चि : पेरिस में आगामी महत्वपूर्ण जलवायु सम्मेलन से पहले भारत ने आज कहा कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन के लिए ‘‘ऐतिहासिक रुप से जिम्मेदार” हैं और उन्हें इस विषय से निपटने के लिए उनके द्वारा किये गये वायदे के अनुरुप ‘हरित जलवायु कोष’ :जीसीएफ: पर कुछ काम करके विकासशील देशों के साथ ‘‘न्याय” करना चाहिए.
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यहां पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हरित जलवायु कोष के बारे में केवल बात होती है, काम नहीं होता. विकसित देशों ने वर्ष 2020 तक सौ अरब डालर प्रति वर्ष की प्रतिबद्धता जताई है. विकसित देशों द्वारा यह राशि विकासशील देशों को दी जानी चाहिए।” जावडेकर ने कहा कि पेरिस में जलवायु सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहे फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने संकेत दिये हैं कि जब तक जीसीएफ को लागू करने के संबंध में विकसित देशों की तरफ से कुछ विश्वसनीय कदम नहीं उठाए जाते पेरिस वार्ता असफल हो सकती है.
जावडेकर ने कहा, ‘‘इसलिए, हम कह रहे हैं कि जब तक विश्वसनीय कदम नहीं उठाते जाते… और यहां तक कि फ्रांस के (राष्ट्रपति) फ्रांसवा ओलोंद ने कहा है कि अगर वित्त मामले पर स्पष्ट प्रगति नहीं होती, पेरिस (वार्ता) नाकाम हो सकती है… उन्होंने चेताया है.” हरित जलवायु कोष वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचा संधि के तहत स्थापित किया गया था और विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को मदद करने के लिए वर्ष 2020 तक हर वर्ष सौ अरब डालर देने की प्रतिबद्धता जताई थी. उन्होंने इस बात से इंकार किया कि भारत वैश्विक सम्मेलनों में गरीब और असुरक्षित देशों के हितों की रक्षा की अपनी भूमिका से दूर हट रहा है.
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