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डीयू, जहां गर्भवती होने पर जा सकती है नौकरी!

नयी दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय या डीयू के 77 कॉलेजों में क़रीब 4,000 शिक्षक एड हॉक यानी तदर्थ शिक्षक के रूप में पढ़ाते हैं. पिछले कई सालों से विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. इसलिए शैक्षणिक विश्वविद्यालय ने बड़े पैमाने पर एड हॉक शिक्षकों की बहाली कर रखी है […]

नयी दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय या डीयू के 77 कॉलेजों में क़रीब 4,000 शिक्षक एड हॉक यानी तदर्थ शिक्षक के रूप में पढ़ाते हैं. पिछले कई सालों से विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. इसलिए शैक्षणिक विश्वविद्यालय ने बड़े पैमाने पर एड हॉक शिक्षकों की बहाली कर रखी है ताकि कॉलेजों में शिक्षण का कार्य सुचारू रूप से चल सके.

लेकिन अस्थायी शिक्षकों की स्थायी बन चुकी व्यवस्था ने ऐसे शिक्षकों के जीवन को बहुत प्रभावित किया है.इन्हें हमेशा नौकरी जाने का डर सताता रहता है. इनके भीतर की इसी असुरक्षा का फायदा उठाकर उनसे तरह-तरह के ऐसे ग़ैर शैक्षणिक काम भी कराये जाते हैं जो इनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता.

एक सर्वेक्षण से पता लगा है कि डीयू की शैक्षणिक व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले ये शिक्षक हर दिन शोषण, मानसिक यंत्रणा, ज़्यादा काम और असुरक्षा के ऐसे वातावरण में नौकरी करते हैं जिसे किसी भी आधार पर मानवीय नहीं कहा जा सकता.दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज में एड हॉक शिक्षक के रूप में कार्य करने वाली अल्बीना शक़ील ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर यह सर्वेक्षण किया जिसमें एड हॉक शिक्षकों ने अपनी पहचान ज़ाहिर किए बिना बताया कि उन्हें किस तरह के माहौल में कार्य करना पड़ता है और किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस सर्वेक्षण में विश्वविद्यालय के 4000 में से केवल 223 एड हॉक शिक्षकों ने हिस्सा लिया.कई एडहॉक शिक्षकों का कहना है कि छात्र भी उनके साथ भेदभाव करते हैं.मैं कई ऐसी एड हॉक शिक्षकों को जानती हूं जिनकी प्रेग्नेंट होने की वजह से नौकरी चली गई है.

एड हॉक टीचर हमेशा इस कोशिश में लगा रहता है कि एचओडी और सीनियर टीचर उससे खुश रहें ताकि जब भी स्थायी नियुक्ति का मौका आए तो वो उसके लिए प्रयास करें.

इसके अलावा कॉलेज में जो भी पढ़ाने से अलग काम होते हैं, उनमें जरूरी तौर से एड हॉक टीचर की मंशा जाने बिना लगा दिया जाता है और इसमें कोई विकल्प नहीं होता.हालांकि एड हॉक टीचर के रूप में एक उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजग़ार को अपनी शैक्षणिक प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलता है. 51-52 हज़ार रुपए की तनख्वाह भी मिलती है जिसे कम नहीं कहा जा सकता.

कॉलेजों में कुछ लोग चाहते हैं कि एड हॉक की व्यवस्था बनी रहे ताकि उनसे असुरक्षा की वजह से जो ग़ुलामी करवाई जाती है उसे क़ायम रखा जा सके. कई कॉलेजों में एड हॉक सीनियर टीचर के कहने पर उनकी क्लास को भी पढ़ाते हैं.

आप पीएचडी हों, एम फ़लि हों या एमएड हों, एड हॉक टीचर के रूप में आपको इनक्रीमेंट का लाभ नहीं मिलता, पीएफ़ की सुविधा नहीं है.एड हॉक शिक्षकों पर सर्वे भारती कॉलेज में पढ़ानेवाली जेएनयू छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष अल्बीना शकील और उनकी टीम ने किया.

11-12 साल से पढ़ा रहे कुछ लोगों को हाल ही में एक कॉलेज से यह कहकर निकाल दिया गया कि आप योग्य नहीं हैं. अगर ऐसा था तो सवाल व्यवस्था पर उठता है कि क्या 11-12 साल से वह शिक्षक अपने विद्यार्थियों के साथ अन्याय कर रहा था.

हद तो तब हो जाती है जब विद्यार्थी भी आपको एहसास दिलाने लगते हैं कि आप एड हॉक टीचर हैं और चाय वाला भैया भी आपकी अवहेलना करने लगता है.

कुछ कॉलेजों में एड हॉक टीचरों के लिए स्टूडेंट फ़ीडबैक का सिस्टम चल रहा है. अगर छात्र टीचर के बारे में ख़राब फ़ीडबैक देते हैं तो उन्हें लगने लगता है कि उनकी नौकरी पर ख़तरा है. इस व्यवस्था की वजह से एड हॉक टीचर को अतिरिक्त सतर्क रहना पड़ता है कि कहीं छात्र ख़राब फ़ीडबैक न दे दें. फ़ीडबैक का ऐसा प्रावधान स्थायी शिक्षकों के लिए नहीं होता. चाहे वो जैसा पढ़ाएं.

जब इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आज ही डीयू में 4000 एड हॉक शिक्षक पढ़ा रहे हैं. पिछले 10 सालों में कभी भी ऐसा नहीं रहा कि विश्वविद्यालय में 2000-2500 से कम एड हॉक शिक्षक रहे हों.

दिनेश सिंह ने कहा, "जल्दी ही एड हॉक शिक्षकों के स्थान पर कॉलेजों में स्थायी शिक्षक नियुक्त हो जाएंगे. चार साल की परियोजना लागू हो रही थी, वर्कलोड ठीक से कैलकुलेट होना था. उसका सारा काम पूरा हो गया है और सभी कॉलेजों में रोस्टर बन गया है. अब मेरे हिसाब से नई नियुक्तियों में कोई बाधा बची नहीं है."

केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर का कहना था, "दिल्ली विश्वविद्यालय में एड हॉक टीचर्स का मसला बहुत महत्वपूर्ण है. मेरी डीयू के कुलपति से इस बारे में चर्चा हुई है. उन्होंने कहा है कि नई भर्ती के लिए विज्ञापन आ गए हैं और जल्दी ही समयसीमा के तहत इन रिक्तियों को भरा जाएगा."

(साभार बीबीसी हिंदी डॉट कॉम)

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