नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार का भंडाफोड करने वाले नौकरशाह तथा प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे पुरस्कार के लिए चयनित संजीव चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के कामकाज के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि वह केवल स्वतंत्र न्यायपालिका की वजह से ‘बच’ सके. चतुर्वेदी ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए न कि ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ. मैं प्रधानमंत्री कार्यालय के कामकाज से निराश हूं क्योंकि प्रधानमंत्री के कहे अनुरुप मैंने भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के अनुरुप काम किया. मैंने इस संदेश को दिल से लिया और एम्स में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए निजी तौर पर खतरा उठाया.’
वह रेमन मैगसेसे पुरस्कार के लिए चुने जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. इस वर्ष भारत से दो लोगों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है जिसमें चतुर्वेदी के अलावा एनजीओ गूंज के संस्थापक अंशू गुप्ता शामिल हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने कथित भ्रष्टाचार के कई मामलों में कार्रवाई की जिसमें वरिष्ठ अधिकारी और प्रभावशाली लोग शामिल थे और इस संदर्भ में प्रधानमंत्री के ‘न खाउंगा और न खाने दूंगा’ जैसे नारों से प्रेरणा ली.
उन्होंने कहा कि हमारे दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम मेरे लिये आदर्श थे. उनकी देश की सकारात्मक और निस्वार्थ सेवा हमेशा मेरे लिये प्रेरक रहेगी. चतुर्वेदी को पिछले वर्ष अगस्त में एम्स के मुख्य सतर्कता आयुक्त के पद से हटा दिया गया था. उनका आरोप है कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने एम्स में अनियमितता का पता लगाया था.